तीर्थयात्रा (हज) (3 का भाग 1)
विवरण: मक्का की बड़ी तीर्थयात्रा, हज, की वो जरूरी जानकारी जो हर नए मुसलमान को पता होना चाहिए, इसकी एक आसान मार्गदर्शिका।
द्वारा Abdurrahman Murad (© 2013 NewMuslims.com)
प्रकाशित हुआ 08 Nov 2022 - अंतिम बार संशोधित 07 Nov 2022
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उद्देश्य:
·हज के महत्व को जानना।
·इससे जुड़ी बुनियादी शर्तों को उनके प्रमाणों के साथ सीखना।
अरबी शब्द
·हज - मक्का की तीर्थयात्रा जहां तीर्थयात्री कुछ अनुष्ठानों का पालन करते है। हज इस्लाम के पांच स्तंभों में से एक है, जिसे हर वयस्क मुसलमान को अपने जीवन में कम से कम एक बार अवश्य करना चाहिए यदि वे इसे वहन कर सकते हैं और शारीरिक रूप से सक्षम हैं।
·जिहाद - एक संघर्ष, किसी निश्चित मामले में प्रयास करना, और एक वैध युद्ध को संदर्भित कर सकता है।
·काबा - मक्का शहर में स्थित घन के आकार की एक संरचना। यह एक केंद्र बिंदु है जिसकी ओर सभी मुसलमान प्रार्थना करते समय अपना रुख करते हैं।
·महरम - वह व्यक्ति जो खून, विवाह या स्तनपान से किसी दूसरे व्यक्ति से संबंधित हो, चाहे पुरुष हो या महिला। किसी महिला/पुरुष को उसके पिता/माता, भतीजे/भतीजी, चाचा/चाची, आदि से शादी करने की अनुमति नहीं है।
·तलबियाह - तीर्थयात्रा के दौरान मुसलमानों द्वारा किया जाने वाल जप।
·उम्रह - सऊदी अरब के मक्का शहर में अल्लाह के पवित्र घर की तीर्थयात्रा। अक्सर इसे छोटी तीर्थयात्रा के रूप में जाना जाता है। इसे वर्ष के किसी भी समय किया जा सकता है।
परिचय
हर साल लाखों लोग तलबियाह 'लब्बैक अल्लाहुम्मा लब्बैक, लब्बैका ला शारीक-लका लब्बैक, इन्नल-हम्दा व-नियमता लका वल मुल्क, ला शारीक-लक' का जप करते हैं।[1]
यह 'तलबियाह' एक चमत्कार है; पीढ़ी दर पीढ़ी, साल दर साल, लाखों लोगों ने यह कहा है और पैगंबर इब्राहिम के आह्वान के जवाब में इसे कहेंगे। महान अल्लाह कहता है:
“और घोषणा कर दो लोगों में ह़ज की, वे आयेंगे तेरे पास पैदल तथा प्रत्येक दुबली-पतली स्वारियों पर, जो प्रत्येक दूरस्थ मार्ग से आयेंगी।” (क़ुरआन 22:27)
प्रामाणिक परंपरा में यह बताया गया है कि जब पैगंबर इब्राहिम ने काबा का निर्माण पूरा किया, तो उनसे कहा गया, 'लोगों को बुलाओ!' फिर उन्होंने कहा, 'ऐ ईश्वर, मेरी आवाज़ कहां तक पहुंचेगी?' उनसे कहा गया कि "बुलाओ, और हम तेरी पुकार को प्रसारित करेंगे, और उसे दूर तक पहुंचाएंगे।" पैगंबर इब्राहिम ने तब पुकारा: "ऐ लोगों वास्तव में अल्लाह ने आप पर प्राचीन घर (काबा) की तीर्थयात्रा (हज) निर्धारित की है !" लोगों ने उनकी आवाज सुनी और चारों ओर से तलबिया कहते हुए आये![2]
हज की इस श्रृंखला में, हम हज के कुछ महत्वपूर्ण पहलुओं के बारे में बात करेंगे, व्यावहारिक सलाह और वो चीजें जो हज करते समय सभी के ध्यान मे होनी चाहिए।
हज के गुण
हज के कई गुण हैं, जिनका मैं यहां उल्लेख करूंगा वे सामान्य रूप से हज से संबंधित हैं, और फिर बाकी का उल्लेख तब करेंगे जब हम हज की प्रक्रिया पर चर्चा करेंगे।
1.यह इस्लाम का पांचवां स्तंभ है। महान अल्लाह कहता है:
“…तथा अल्लाह के लिए लोगों पर इस घर का ह़ज अनिवार्य है, जो उस तक राह पा सकता हो…” (क़ुरआन 3:97)
2.यह एक ऐसा कर्तव्य है जिसे एक मुसलमान पूरे गर्व और केवल ईश्वर के प्रति समर्पण के साथ करता है। इसकी कठिनाई के कारण पैगंबर ने इसे जिहाद (संघर्ष) के रूप में वर्णित किया है; ऐसा इसलिए क्योंकि इसके लिए एक व्यक्ति को अपने धन और समय का त्याग करना पड़ता है और पूजा के पूरे कार्य में उन्हें धैर्य रखना पड़ता है। आयेशा (अल्लाह उनसे प्रसन्न हो) ने कहा: "मैंने कहा ऐ अल्लाह के दूत! हम जिहाद को सबसे अच्छे कर्मों में से एक मानते हैं; तो क्या हम जिहाद नहीं करेंगे?” पैगंबर ने कहा: "सबसे अच्छा जिहाद (आपके लिए) वह हज है जो स्वीकार हो जाये।”[3]
3.पूजा के इस कार्य के लिए आवश्यक है कि व्यक्ति इसे पूर्ण करने के लिए अपने सभी ईश्वर प्रदत्त संकायों को समर्पित कर दे! ईश्वर ने उन लोगों से एक महान प्रतिफल देने का वादा किया है जो इस उपासना के कार्य को सिद्ध करते हैं; पैगंबर (उन पर अल्लाह की दया और आशीर्वाद हो) ने कहा: स्वीकार किए गए हज (हज मबरूर) का इनाम जन्नत (स्वर्गीय निवास) है।[4]
4.पैगंबर से पूछा गया: "ईश्वर की दृष्टि में सबसे अच्छा काम क्या है?" उन्होंने उत्तर दिया: "अल्लाह पर विश्वास!" फिर उनसे पूछा गया, "इसके बाद क्या है?" उन्होंने उत्तर दिया: "अल्लाह के मार्ग में जिहाद।" फिर उनसे पूछा गया, "इसके बाद क्या है?" उन्होंने कहा: "एक स्वीकृत हज!”[5]
5.पैगंबर ने कहा: "ऐ अम्र 'क्या आप नहीं जानते कि हज इससे पहले किए गए सभी पापों को मिटा देता है?”[6]
6.पैगंबर ने कहा: जो हज करता है और हज के दौरान अपनी पत्नी के साथ यौन गतिविधियों में शामिल नहीं होता है और बुरा व्यवहार (हज के दौरान) नहीं करता है, तो वह उस हज से ऐसा वापस आएगा मानो वो उसी दिन पैदा हुआ है (यानी पाप मुक्त)।[7]
7.पैगंबर ने कहा: "जब हज के लिए आने वाले व्यक्ति का ऊंट मक्का की तीर्थ यात्रा के लिए अपने कदम बढ़ाता है और उस व्यक्ति ने हज का इरादा किया है, तो उसे प्रत्येक कदम के लिए इनाम मिलता है और प्रत्येक कदम पर पाप मिटा दिया जाता है और उसका पद ऊंचा कर दिया जाता है।”[8]
8.पैगंबर ने यह भी कहा: "हज करने वाला अल्लाह का मेहमान है; अल्लाह ने उन्हें इस कर्तव्य को निभाने के लिए बुलाया और उन्होंने उस पुकार का उत्तर दिया! वे अल्लाह से मांगेंगे, और अल्लाह उन्हें देगा।”
हज की शर्तें
विद्वानों ने हज के दायित्व की शर्तों को विभिन्न उप-श्रेणियों में वर्गीकृत किया है, लेकिन सामान्य तौर पर सभी इस बात से सहमत हैं कि आज लागू होने वाली प्रासंगिक शर्तों में शामिल हैं:
1.मुसलमान होना।
2.बौद्धिक विवेक और तर्कसंगत क्षमता।
3.यौवन की आयु तक पहुंचना।
4.क्षमता (वित्तीय और शारीरिक)।
पूजा के सभी कार्यों के लिए 'आस्था' होना पहली शर्त है। यहां तक कि अगर कोई पूजा के कार्य को पूर्ण करता है और इसे प्राचीन तरीके से करता है, तो इसे तब तक स्वीकार नहीं किया जाएगा जब तक कि वह व्यक्ति मुस्लिम न हो। महान अल्लाह कहता है:
“और उनके कर्मों को हम लेकर धूल के समान उड़ा देंगे।” (क़ुरआन 25:23)
पूजा के सभी कार्यों के लिए बौद्धिक क्षमता और तर्कसंगत क्षमता का होना दूसरी शर्त है, क्योंकि इसके बिना किसी व्यक्ति के कर्मों को स्वीकार नहीं किया जाएगा। पैगंबर ने कहा:
“तीन प्रकार के लोगों को उनके कार्यों के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जाएगा" और उन्होंने उनका उल्लेख किया: "एक पागल जब तक कि वह अपना मानसिक स्वास्थ्य वापस नहीं पाता।”[9]
तीसरी शर्त एक महत्वपूर्ण शर्त है। यदि कोई व्यक्ति यौवन की आयु तक पहुंचने से पहले हज करता है, तो उसे युवावस्था मे एक बार फिर से हज करना आवश्यक होगा। इस स्थिति के प्रमाण का उल्लेख परंपरा में किया गया है, जहां पैगंबर ने उन तीनों का उल्लेख किया जिन्हें उनके कार्यों के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जाएगा, उन्होंने कहा: "कोई भी बच्चा जब तक वो युवावस्था तक न पहुंच जाये।”
क्षमता की चौथी शर्त को दो भागों में उपवर्गीकृत किया जा सकता है; वित्तीय साधन और शारीरिक शक्ति के मामले में क्षमता।
यदि किसी व्यक्ति के पास आर्थिक साधन नहीं है, तो उसे तीर्थ यात्रा करने के लिए ऋण लेने की जरुरत नही है। इसके बजाय उसे हज करने से छूट दी जाएगी। उसे अपने इरादे के कारण इनाम मिलेगा।
ऐसा ही उस व्यक्ति के लिए लागू होगा जो शारीरिक रूप से अक्षम है; उसे स्वयं हज पर जाने की आवश्यकता नहीं है, लेकिन यदि उसके पास आर्थिक साधन हैं, तो वह अपनी ओर से किसी को हज करने के लिए भेज सकता है।
महिलाओं के संबंध में इस स्थिति का एक और पहलु है। अगर उनका कोई महरम नहीं है जो इस यात्रा में उनके साथ जा सकें, तो उन्हें भी हज करने से छूट दी गई है।
अगले पाठ में हम चर्चा करेंगे कि हज कैसे किया जाता है।
फुटनोट:
[1]अर्थ: मै यहां आ गया हूं ऐ अल्लाह आपके बुलाने पर, मै यहां आ गया हूं। मै यहां आ गया हूं, आपका कोई साझी नही है, मै यहां आ गया हूं। निस्सन्देह सारी स्तुति, अनुग्रह और प्रभुता आपकी है। आपका कोई साझी नही है।
[2] फतह अल-बारी 3/478
[3] सहीह अल-बुखारी
[4]अल-जामी अस-सगीर #5733.
[5] सहीह अल-बुखारी
[6] सहीह मुस्लिम
[7] सहीह अल-बुखारी
[8] बैहाकि
[9] अबू दाऊद
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