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इस्लाम में नवाचार (2 का भाग 2): क्या यह एक बिदअत है?

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विवरण: बिदअत के कार्य या विश्वास को पहचानने के तरीके, सामान्य बिदअत की एक छोटी सूची और "अच्छी बिदअत" के बारे में विद्वानों की राय।

द्वारा Aisha Stacey (© 2013 NewMuslims.com)

प्रकाशित हुआ 08 Nov 2022 - अंतिम बार संशोधित 07 Nov 2022

प्रिंट किया गया: 25 - ईमेल भेजा गया: 0 - देखा गया: 2,588 (दैनिक औसत: 3)


उद्देश्य:

·बिदअत को पहचानने में सक्षम होना।

·कुछ सामान्य बिदअतों को जानना और अन्य को इस सूची में जोड़ने में सक्षम होना।

·कुछ सम्मानित विद्वानों की राय जानना।

अरबी शब्द:

·दीन - इस्लामी रहस्योद्घाटन पर आधारित जीवन जीने का तरीका; मुसलमान की आस्था और आचरण का कुल योग। दीन का प्रयोग अक्सर आस्था, या इस्लाम धर्म के लिए किया जाता है।

·ईद - त्योहार या उत्सव। मुसलमान दो प्रमुख धार्मिक अवकाश मनाते हैं, जिन्हें ईद-उल-फितर (जो रमजान के बाद आता है) और ईद-उल-अज़हा (जो हज के समय होता है) कहा जाता है।

·ईद-उल-अजहा - "बलिदान का पर्व"।

·हज - मक्का की तीर्थयात्रा जहां तीर्थयात्री कुछ अनुष्ठानों का पालन करता है। हज इस्लाम के पांच स्तंभों में से एक है, जिसे हर वयस्क मुसलमान को अपने जीवन में कम से कम एक बार अवश्य करना चाहिए यदि वे इसे वहन कर सकते हैं और शारीरिक रूप से सक्षम हैं।

·एतिकाफ - अल्लाह के करीब होने के इरादे से मस्जिद में खुद को एकांत में रखने की प्रथा।

·रमजान - इस्लामी चंद्र कैलेंडर का नौवां महीना। यह वह महीना है जिसमें अनिवार्य उपवास निर्धारित किया गया है।

·शाबान - इस्लामी चंद्र कैलेंडर के आठवें महीने का नाम।

·शिर्क - एक ऐसा शब्द जिसका अर्थ है अल्लाह के साथ भागीदारों को जोड़ना, या अल्लाह के अलावा किसी अन्य को दैवीय बताना, या यह विश्वास करना कि अल्लाह के सिवा किसी अन्य में शक्ति है या वो नुकसान या फायदा पहुंचा सकता है।

·सुन्नत - अध्ययन के क्षेत्र के आधार पर सुन्नत शब्द के कई अर्थ हैं, हालांकि आम तौर पर इसका अर्थ है जो कुछ भी पैगंबर ने कहा, किया या करने को कहा।

हमें कैसे पता चलेगा कि पूजा का कोई कार्य वास्तव में बिदअत का कार्य है?

3. पूजा की मात्रा:

Innovations2.jpgसुन्नत और बिदअत के बीच अंतर को पहचानने का दूसरा तरीका पूजा की मात्रा पर आधारित है। यदि कोई व्यक्ति जुहर की नमाज़ पांच रकात पढता है तो यह एक बिदअत होगा। हम जानते हैं कि यह नमाज़ चार रकात की होती है; यही वैधानिक है और नामाज़ मे एक अतिरिक्त रकात जोड़ना नवाचार या बिदअत माना जाएगा।

4.पूजा करने की विधि:

एक नवाचार और क़ुरआन और सुन्नत के किसी कार्य के बीच अंतर करने का एक और तरीका है उस कार्य की विधि को देखना। यानी हम पूजा कैसे करते हैं, क्या यह इस्लाम के दीन की शिक्षा के अनुसार है, या क्या हमने सीमाओं को लांघ दिया है और अपने पहले से ही पूर्ण धर्म में कुछ जोड़ा है। इसका एक उदाहरण है नमाज़ से पहले किया जाने वाला वुज़ू, जिसे हांथ धोने से शुरू करने के बजाय पैर धोने से शुरु करना।

5.पूजा का समय:

जिस समय हम पूजा का कार्य करते हैं वह भी महत्वपूर्ण है। यदि कोई पूजा पैगंबर मुहम्मद की शिक्षाओं और निर्दिष्ट समय के अनुसार की जाती है, तो यह वास्तव में हमारे निर्माता को प्रसन्न करता है। हालांकि यदि कोई व्यक्ति अपनी मर्जी से निर्दिष्ट समय को बदलता है तो वह व्यक्ति बिदअत के पाप में गिर जाता है। उदाहरण के लिए, रमजान के महीने में भेड़ की बलि देना और नियत करना कि इसका इनाम ईद उल-अजहा के दिन बलि देने जैसा मिले, इसे एक नवाचार माना जाएगा।

6.पूजा करने की जगह:

जिस स्थान पर पूजा की जाती है, वह भी विधान के अनुसार होना चाहिए। उदाहरण के लिए यदि कोई व्यक्ति अपने घर में एतिकाफ करे तो यह स्वीकार्य नहीं होगा। एतिकाफ करने की जगह मस्जिद है, इसलिए इसे किसी अन्य स्थान पर करना बिदअत माना जाएगा।

सामान्य नवाचारों की एक सूची

·कब्र मे रहने वालों से मदद मांगना। इस बिदअत का विशेष महत्व है क्योंकि इसमें शिर्क भी शामिल है, जो इस्लाम का सबसे बड़ा पाप है।

·समूहों में बैठना और अल्लाह की याद के शब्द बोलना, जैसे कि अल्लाहु अकबर एक स्वर में।

·पैगंबर के जन्मदिन को ईद मानना।

·इस्लामी महीने शाबान के पंद्रहवें दिन उपवास करना और उस रात को प्रार्थना में बिताना।

·पैगंबर मुहम्मद (उन पर अल्लाह की दया और आशीर्वाद हो) का जन्मदिन मनाना।

·मृतक को लाभ पहुंचाने के लिए क़ुरआन पढ़ना (इसमें लोगो से क़ुरआन पढ़वाना शामिल है)।

·वुज़ू करते समय गर्दन के पिछले भाग को पोंछना।

·मृतक के परिवार का आने वाले अन्य लोगों के लिए खाना बनाना।

"अच्छी बिदअत" क्या है?

कई अवसरों पर आपने 'अच्छी बिदअत' के बारे मे सुना होगा। शेख इब्न उथैमीन (अल्लाह उस पर दया करे) के अनुसार, "... इस्लाम मे (धार्मिक अर्थों में) अच्छी बिदअत जैसी कोई चीज नहीं है।[1]शेख ने इस बात पर भी जोर दिया कि "...आदत और प्रथा के सामान्य मामलों के संबंध मे, इन्हें इस्लाम में बिदअत (नवाचार) नहीं कहा जाता है, भले ही उन्हें भाषाई शब्दों में इस तरह वर्णित किया जा सकता है। लेकिन वे धार्मिक अर्थों में नवाचार नहीं हैं, और ये ऐसी चीजें नहीं हैं जिनके खिलाफ पैगंबर ने हमें चेतावनी दी थी।" इसके अलावा प्रसिद्ध इस्लामी विद्वान इमाम इब्न रजब [2] ने कहा, "हमारे धर्मी पूर्वजों ने जिस भी चीज़ को एक अच्छी बिदअत कहा, तो उनका मतलब भाषाई अर्थों में था न कि इस्लामी अर्थ मे।"

संक्षेप में, बिदअत इस्लाम के दीन में एक नया विश्वास या कार्य है जिससे अल्लाह के निकट आने का प्रयास किया जाता है, लेकिन यह किसी भी प्रामाणिक प्रमाण द्वारा समर्थित नहीं है या तो इसकी स्थापना मे या इसे करने के तरीके मे।[3]



फुटनोट:

[1] मजमू' फतावा इब्न 'उथैमीन, खंड 2, पृष्ठ 291

[2] इब्न रजब 6ठी शताब्दी सीई के एक प्रसिद्ध इस्लामी विद्वान थे, जो तफ़सीर, हदीस और फ़िक़ह सहित कई इस्लामी विज्ञानों में कुशल थे।

[3] यह परिभाषा शेख मुहम्मद इब्न सालेह अल-उथैमीन द्वारा लिखित इनोवेशन इन लाइट ऑफ़ दी परफेक्शन ऑफ़ दी शरिया से लिया गया है।

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