व्यभिचार, वैश्यावृति, और पोर्नोग्राफ़ी (2 का भाग 1)
विवरण: आज के समय मे मनुष्यों का एक बड़ा हिस्सा अपनी गर्लफ्रेंड के साथ रहता है, कैज़ुअल सेक्स करता है, या पोर्न देखता है। ये सबक एक नए मुसलमान को सिखाएगा कि इस्लाम उस विषय के बारे में क्या सिखाता है जो सीधे दिलों को प्रभावित करता है।
द्वारा Imam Mufti (© 2013 NewMuslims.com)
प्रकाशित हुआ 08 Nov 2022 - अंतिम बार संशोधित 07 Nov 2022
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उद्देश्य:
·यह समझना कि आधुनिक समाज में व्यभिचार और पोर्नोग्राफ़ी कितना प्रचलित है।
·ज़िना पर इस्लाम के स्पष्ट आदेश को जानना, यह आस्था को कैसे प्रभावित करता है, और इसकी क्या सजा मिल सकती है।
·आंखो, जुबान और मन के ज़िना के बारे में जानना।
·यह जानना कि अगर किसी ने ज़िना कर लिया है तो क्या करना चाहिए।
अरबी शब्द:
·ज़िना - व्यभिचार या वैश्यावृति जिसमें योनि और गुदा मैथुन होता है, लेकिन यह अन्य प्रकार के अनुचित यौन व्यवहार को भी संदर्भित करता है।
·हराम - वर्जित या निषिद्ध।
·ईमान - आस्था, विश्वास या दृढ़ विश्वास।
·कबीरा - बड़ा पाप।
·शिर्क - एक ऐसा शब्द जिसका अर्थ है अल्लाह के साथ भागीदारों को जोड़ना, या अल्लाह के अलावा किसी अन्य को दैवीय बताना, या यह विश्वास करना कि अल्लाह के सिवा किसी अन्य में शक्ति है या वो नुकसान या फायदा पहुंचा सकता है।
·बरज़ख - इस जीवन और पुनरुत्थान के बीच का मध्यवर्ती चरण।
व्यभिचार या वैश्यावृति, जिसे अरबी में ज़िना कहा जाता है, सभी धर्मों में पाप माना जाता है। बाइबिल की सातवीं आज्ञा कहती है, "व्यभिचार न करना।" बाइबिल व्यभिचारी और व्यभिचारिणी दोनों के लिए मृत्युदंड का आदेश देती है (लैव्यव्यवस्था 20:10)। अमेरिका के 23 राज्यों में व्यभिचार एक दण्डनीय अपराध है[1], मैरीलैंड में 10 डॉलर के जुर्माने से लेकर मिशिगन में आजीवन कारावास तक की सजा के साथ।
फिर भी यह पाप पूरे इतिहास में होता आया है और आज की संस्कृति में व्यभिचार के अवसर प्रचुर मात्रा में हैं। जबकि टैब्लॉइड कहानियां राजनेताओं, करोड़पति और फिल्म सितारों के प्रेम प्रसंग की बात कहती है, कई फिल्में व्यभिचार को बढ़ावा देती हैं।
व्यभिचार कितना प्रचलित है? जानुस रिपोर्ट ऑन सेक्सुअल बिहेवियर का अनुमान है कि "एक तिहाई से अधिक पुरुष और एक चौथाई महिलाओं ने स्वीकार किया है कि उनका कम से कम एक विवाहेतर यौन संबंध था।”[2]
इस्लाम में व्यभिचार एक पाप है
इस्लाम में अल्लाह ने संभोग के लिए नियम बनाए हैं। ज़िना निषिद्ध है और शिर्क और हत्या के बाद सबसे गंभीर प्रमुख पापों (कबीरा) में से एक है। ज़िना ईमान को नष्ट कर देता है, एक व्यक्ति से आस्था की गुणवत्ता छीन लेता है, और उसे दंड और अपमान का भागी बनाता है जब तक कि वह पश्चाताप नहीं करता। अल्लाह कहता है:
“और जो नहीं पुकारते हैं, अल्लाह के साथ किसी दूसरे पूज्य को और न वध करते हैं, उस प्राण को, जिसे अल्लाह ने वर्जित किया है, परन्तु उचित कारण से और न व्यभिचार करते हैं और जो ऐसा करेगा, वह पाप का सामना करेगा। दुगनी की जायेगी उसके लिए यातना, प्रलय के दिन तथा सदा उसमें अपमानित होकर रहेगा। उसके सिवा, जिसने क्षमा याचना कर ली और ईमान लाया तथा कर्म किया अच्छा कर्म, तो वही हैं, बदल देगा अल्लाह, जिनके पापों को पुण्य से तथा अल्लाह अति क्षमी, दयावान् है।..” (क़ुरआन 25:68-70)
“और व्यभिचार के समीप भी न जाओ, वास्तव में, वह निर्लज्जा तथा बुरी रीति है (जो नर्क की ओर ले जाती है जब तक कि अल्लाह उसे माफ न कर दे)।” (क़ुरआन 17:32)
विद्वानों का कहना है कि इस छंद में अल्लाह यह नहीं कहता कि "ज़िना मत करो ," बल्कि कहता है "ज़िना के करीब भी मत आओ।”
विद्वान समझाते हैं: कोई भी ऐसा काम न करो जो आपको ज़िना के करीब ले जाए या जिना करवाए। एक उदाहरण यह होगा कि यदि कोई विपरीत लिंग के किसी व्यक्ति के साथ निर्बाध गोपनीयता में अकेला रहता है, छूता है, देखता है, बार और नाइटक्लब जैसे अलग-अलग स्थानों पर जाता है, एक महिला से मोहक तरीके से बात करता है, और अनैतिक कार्यों के बारे में सोचता है और योजना बनाता है। इसमें साइबर पाप और आभासी व्यभिचार शामिल है। इससे यह भी संकेत मिलता है कि वेब पर पोर्नोग्राफी, फिल्मों, पत्रिकाओं और फोन सेक्स से दूर रहना चाहिए।
ज़िना किसी की आस्था के लिए कितना हानिकारक है? पैगंबर (उन पर अल्लाह की दया और आशीर्वाद हो) ने कहा: "कोई भी व्यभिचारी उस समय तक (सच्चा) आस्तिक नहीं है जब तक वह व्यभिचार करता रहे; कोई चोर उस समय तक (सच्चा) आस्तिक नहीं होता जब तक वह चोरी करता रहे; कोई भी शराब पीने वाला उस समय तक (सच्चा) आस्तिक नहीं है जब तक वह इसे पिता रहे।”[3]
आंखो, जुबान और मन की ज़िना
इस्लाम केवल विवाहोत्तर योनि संभोग को ज़िना नही कहता है, ये तो इसके कई प्रकारों में से एक है। पोर्नोग्राफ़ी शायद आज ज़िना का सबसे प्रचलित रूप है।
इंटरनेट का इस्तेमाल करने वालों में से 43% लोग पोर्नोग्राफ़िक वेबसाइटों पर जाते हैं। कुछ 40 मिलियन अमेरिकी नियमित रूप से पोर्नोग्राफ़िक साइटों पर जाते हैं, जिनमें सभी इंटरनेट डाउनलोड का 35% पोर्नोग्राफ़िक डाउनलोड होता है। 40 मिलियन नियमित आगंतुकों में से 33% महिलाएं हैं, जबकि 18-24 आयु वर्ग के 70% पुरुष मासिक रूप से अश्लील साइटों पर जाते हैं। ऐसा सिर्फ वयस्क नही करते हैं। "सेक्स" और "पोर्न" 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चो द्वारा सबसे अधिक बार खोजे जाने वाले शीर्ष 5 शब्दों में से हैं।[4] पोर्नोग्राफ़िक उद्योग द्वारा उत्पादित राजस्व सभी प्रमुख प्रौद्योगिकी कंपनियों की संयुक्त आय से अधिक है। यह इंटरनेट खोजों के लिए नंबर एक विषय है। औसतन, 11 साल का बच्चा इसके संपर्क में आता है।[5]
पैगंबर ने कहा, "अल्लाह ने आदम की पीढ़ी के लिए उनके हिस्से का ज़िना तय कर दिया है जो अनिवार्य रूप से उनके साथ रहेगा। आंख का ज़िना देखना है और जुबान का ज़िना बोलना है। दिल चाहता है और लालसा करता है और गुप्तांग इसको स्वीकार करता है या इससे इनकार करता है।”[6]
पोर्नोग्राफी देखना आंखों का ज़िना है। सेक्स की बात करना जुबान का ज़िना है। किसी अजनबी के साथ सेक्स के बारे में कल्पना करना मन की ज़िना है।
परलोक में ज़िना की सज़ा
ज़िना का पश्चाताप किये बिना मरने वालों की सज़ा उनकी क़ब्र से शुरू होती है। एक लंबी हदीस में, अल्लाह के दूत ने एक सपने का वर्णन किया जिसमें उन्होंने जिब्रील और मालिक को पुरुषों के रूप में अपने साथ देखा, जो पैगंबर को दिखा रहे थे कि बरज़ख में कितने पापियों को दंडित किया जा रहा था।
पैगंबर ने कहा: "... हम तब तक आगे बढ़ते रहे जब तक हमें जमीन में एक छेद नहीं मिला जो एक बेकिंग पिट जैसा था, ऊपर की तरफ संकरा और नीचे चौड़ा था। उसमें से बड़बड़ाहट और आवाजें आ रही थीं। हमने उसमें नग्न पुरुषों और महिलाओं को देखा। गड्ढे के नीचे एक भयंकर आग थी; जब भी वह आग भड़कती, स्त्री और पुरुष चिल्लाते और आग के साथ लगभग गड्ढे से बाहर आने तक ऊपर उठते। जैसे ही आग कम होती, वे नीचे की ओर गिर जाते। मैंने पूछा: 'ये कौन हैं?' उन्होंने कहा: '... ये वो पुरुष और महिलाएं हैं जो ज़िना में लिप्त थे’”[7]
इसी तरह के एक बयान में अल्लाह के पैगंबर ने कहा: "हम तब तक आगे बढ़े जब तक मैंने उन लोगों को नहीं देखा जो भयानक रूप से सूज गए थे, और उनमे सबसे भयानक गंध थी, उनकी बदबू सीवर की बदबू की तरह थी। मैंने पूछा: 'ये कौन हैं?' उन्होंने उत्तर दिया: 'ये व्यभिचारी पुरुष और महिलाएं हैं।’”[8]
अगर किसी ने ज़िना कर लिया है तो क्या करना चाहिए?
1. यह समझो कि अल्लाह सभी पापों को क्षमा करता है। इसलिए व्यक्ति को ईमानदारी से अल्लाह से पश्चाताप करना चाहिए।[9] पैगंबर ने कहा, "जो कोई पश्चाताप करता है, अल्लाह उसे सूरज उगने से पहले माफ कर देता है।”[10]
2. व्यक्ति को अपने पाप छुपाने चाहिए और दूसरों को इसके बारे मे अनायास नहीं बताना चाहिए। किसी जानकार विद्वान से सलाह लेनी चाहिए कि शादी के मामले में क्या करना चाहिए क्योंकि इससे एसटीडी (यौन संचारित रोग) हो सकता है।
फुटनोट:
[1] (http://www.nytimes.com/2012/11/15/us/adultery-an-ancient-crime-still-on-many-books.html)
[2] सैमुएल जानुस और सिंथिया जानूस, द जानुस रिपोर्ट ऑन सेक्सुअल बिहेवियर (न्यूयॉर्क: जॉन विले एंड संस, 1993), 169
[3] सहीह अल-बुखारी
[4] (http://www.onlineeducation.net/porn)
[5] (http://www.familysafemedia.com/pornography_statistics.html)
[6] सहीह अल-बुखारी, सहीह मुस्लिम
[7] सहीह अल-बुखारी
[8] इब्न खुजैमाह और इब्न हिब्बन
[9] पश्चाताप के बारे में अधिक जानने के लिए, कृपया देखें: (http://www.newmuslims.com/lessons/7/) [3 भाग]
[10] सहीह मुस्लिम
- स्वैच्छिक प्रार्थना
- जानवरों के प्रति व्यवहार
- झूठ बोलना, चुगली करना और झूठी निंदा करना (2 का भाग 1)
- झूठ बोलना, चुगली करना और झूठी निंदा करना (2 का भाग 2)
- आस्था बढ़ाना (2 का भाग 1): आस्था हमेशा स्थिर स्तर पर क्यों नहीं रहती
- आस्था बढ़ाना (2 का भाग 2): अपनी आस्था (ईमान) बढ़ाना और पुरस्कार अर्जित करना
- स्वैच्छिक उपवास
- न्याय के दिन की निशानियां (2 का भाग 1): छोटी निशानियां
- न्याय के दिन की निशानियां (2 का भाग 2): प्रमुख निशानियां
- व्यभिचार, वैश्यावृति, और पोर्नोग्राफ़ी (2 का भाग 1)
- व्यभिचार, वेश्यावृत्ति, और पोर्नोग्राफ़ी (2 का भाग 2)
- विपरीत लिंगो के बीच मेलजोल के इस्लामी दिशानिर्देश (2 का भाग 1)
- विपरीत लिंगो के बीच मेलजोल के इस्लामी दिशानिर्देश (2 का भाग 2)
- शरिया का परिचय (2 का भाग 1)
- शरिया का परिचय (2 का भाग 2)
- मानव स्वभाव के अनुरूप कार्य (सुनन अल-फ़ित्रह)
- ईद-उल-अजहा शुरू से आखिर तक (3 का भाग 1)
- ईद-उल-अजहा शुरू से आखिर तक (3 का भाग 2)
- ईद-उल-अजहा शुरू से आखिर तक (3 का भाग 3)
- इस्लाम में नवाचार (2 का भाग 1): बिदअत के दो प्रकार
- इस्लाम में नवाचार (2 का भाग 2): क्या यह एक बिदअत है?
- रमजान: अंतिम दस रातें
- उम्रह (2 का भाग 1)
- उम्रह (2 का भाग 2)
- इस्लाम में पापों की अवधारणा (3 का भाग 1)
- इस्लाम में पापों की अवधारणा (3 का भाग 2)
- इस्लाम में पापों की अवधारणा (3 का भाग 3)