नमाज़ में खुशू
विवरण: खुशू क्या है और इसे कैसे प्राप्त करें और बनाए रखें।
द्वारा Aisha Stacey (© 2014 NewMuslims.com)
प्रकाशित हुआ 08 Nov 2022 - अंतिम बार संशोधित 07 Nov 2022
प्रिंट किया गया: 33 - ईमेल भेजा गया: 0 - देखा गया: 6,357 (दैनिक औसत: 6)
उद्देश्य:
·खुशू शब्द की सूक्ष्मताओं को समझना और यह समझना कि यह हमारी नमाज़ो से कैसे संबंधित है।
अरबी शब्द:
·आयात - (एकवचन - आयत ) आयत शब्द के कई अर्थ हो सकते हैं। इसका लगभग हमेशा अल्लाह से सबूत के बारे में इस्तेमाल किया जाता है। इसके अर्थों मे शामिल है सबूत, छंद, सबक, संकेत और रहस्योद्घाटन।
·शैतान - यह इस्लाम और अरबी भाषा में इस्तेमाल किया जाने वाला शब्द है जो शैतान यानि बुराई की पहचान को दर्शाता है।
·सहाबा - "सहाबी" का बहुवचन, जिसका अर्थ है पैगंबर के साथी। एक सहाबी, जैसा कि आज आमतौर पर इस शब्द का प्रयोग किया जाता है, वह है जिसने पैगंबर मुहम्मद को देखा, उन पर विश्वास किया और एक मुसलमान के रूप में मर गया।
·नमाज - आस्तिक और अल्लाह के बीच सीधे संबंध को दर्शाने के लिए अरबी का एक शब्द। अधिक विशेष रूप से, इस्लाम में यह औपचारिक पाँच दैनिक प्रार्थनाओं को संदर्भित करता है और पूजा का सबसे महत्वपूर्ण रूप है।
·सुब्हानल्लाह - कितना मुकम्मल है अल्लाह, हर अधूरेपन से दूर है अल्लाह।
·तफ़सीर - अंग्रेजी मे इसका अनुवाद व्याख्या है। इस प्रकार यह किसी पाठ का स्पष्टीकरण या व्याख्या है। आमतौर पर एक शास्त्र की व्याख्या, इस मामले में क़ुरआन का पाठ।
·वसवसा - विशेष रूप से पूजा को बाधित या नष्ट करने के लिए शैतान का उकसावा।
·सूत्रह - वह आड़ जो व्यक्ति नमाज़ पढ़ते समय अपने सामने रखता है।
·दीन - इस्लामी रहस्योद्घाटन पर आधारित जीवन जीने का तरीका; मुसलमान की आस्था और आचरण का कुल योग। दीन का प्रयोग अक्सर आस्था, या इस्लाम धर्म के लिए किया जाता है।
·दुआ - याचना, प्रार्थना, अल्लाह से कुछ मांगना।
·अज़ान - मुसलमानों को पांच अनिवार्य प्रार्थनाओं के लिए बुलाने का एक इस्लामी तरीका।
खुशू क्या है?
 कभी न कभी आपने किसी को यह कहते सुना होगा कि काश उनकी नमाज़ मे खुशु होती। नमाज में खुशू का अनुवाद विनम्रता और भक्ति के रूप में किया जा सकता है। यह मन की वह स्थिति है जिसमे आप रोज़मर्रा की चिंताओं से दूर होते हैं, ये चिंताएं आपके दिमाग में चलती है और नमाज़ में आपका ध्यान बाधित करती है। हम सभी को थोड़ा अधिक खुशू की आवश्यकता होती है, हम में से कुछ लोगों को दूसरों की तुलना में अधिक, यहां तक कि हममें से सबसे महान और सबसे समर्पित भी कभी-कभी खुशू की कमी के बारे में शिकायत करते हैं।
कभी न कभी आपने किसी को यह कहते सुना होगा कि काश उनकी नमाज़ मे खुशु होती। नमाज में खुशू का अनुवाद विनम्रता और भक्ति के रूप में किया जा सकता है। यह मन की वह स्थिति है जिसमे आप रोज़मर्रा की चिंताओं से दूर होते हैं, ये चिंताएं आपके दिमाग में चलती है और नमाज़ में आपका ध्यान बाधित करती है। हम सभी को थोड़ा अधिक खुशू की आवश्यकता होती है, हम में से कुछ लोगों को दूसरों की तुलना में अधिक, यहां तक कि हममें से सबसे महान और सबसे समर्पित भी कभी-कभी खुशू की कमी के बारे में शिकायत करते हैं।
नमाज़ मे खुशू का अर्थ है एकाग्रता, नम्रता और अधीनता। इसका मतलब है कि जब हम पूरी तरह से अल्लाह की पूजा करने पर ध्यान केंद्रित करते हैं, तो हमारे दिमाग में आने वाले किसी भी विकर्षण या वसवसे से पूरे दिल से लड़ना। शैतान की सबसे महत्वपूर्ण साजिशों में से एक नमाज़ को बाधित करना है। ऐसा करने से उसके दो लक्ष्य पुरे होते हैं; वह लोगों को अल्लाह की पूजा करने की खुशी से वंचित करता है और साथ ही उनके इनाम का कुछ हिस्सा या पूरा हिस्सा मिटा देता है। एक सहाबा बताते हैं कि पैगंबर मुहम्मद ने कहा, "पहली चीज जो आप अपने धर्म से खो देंगे वह है ख़ुशू और आखिरी चीज़ जो आप अपने धर्म से खो देंगे वह है नमाज़…”[1]
“सफल हो गये ईमान वाले। जो अपनी नमाज़ों में विनीत रहने वाले हैं।” (क़ुरआन 23:1-2)
जब व्यक्ति नमाज़ के लिए अपने दिल और दिमाग को खाली करने मे सक्षम होता है और अन्य सभी चीज़ों को छोड़कर सिर्फ नमाज़ पर ध्यान केंद्रित करता है और किसी और चीज के बजाय नमाज़ पढ़ना पसंद करता है, तो हम कह सकते हैं कि उसने खुशू प्राप्त कर लिया है। हम सभी जानते हैं कि यह बहुत मुश्किल हो सकता है, खासकर जब हम शैतान के वसवसे से त्रस्त होते हैं।
जब कोई व्यक्ति नमाज़ पढ़ने के इरादे से खड़ा होता है तो शैतान ईर्ष्या करता है और हमला शुरू करता है जिससे नमाज़ को बर्बाद किया जा सके। वह आस्तिक को हर तरह से विचलित करता है, वह फुसफुसाकर उसे परेशान करता है। वो फुसफुसाता है, क्या तुमने ठीक से वुज़ू किया था?; तुमने चूल्हा खुला तो नहीं छोड़ दिया? वह दीन की बातों का भी उपयोग करेगा जिससे आप नमाज़ के अलावा किसी और चीज के बारे में सोचने लगेंगे।
खुशू प्राप्त करने और बनाए रखने के आठ आसान तरीके।
1)नमाज़ के लिए ठीक से तैयारी करें। आप अज़ान के शब्दों को दोहराकर और दुआ करके ऐसा कर सकते हैं। अपने वुज़ू पर ध्यान दें और हर समय अल्लाह को याद करें। यह भी सुनिश्चित करें कि आपके कपड़े और नमाज़ पढ़ने की जगह साफ सुथरी हो। बेशक अल्लाह हमारे साफ-सुथरे परिधान और परिवेश के सबसे योग्य है।
2)नमाज़ पढ़ने के स्थान पर शांति से जाएं और शांति से नमाज़ पढ़ें। नमाज़ पढ़ते समय चोंच मारने वाले मुर्गे की तरह न हिलें। जल्दबाजी खुशू को रोकती है।
3)मृत्यु को और मृत्यु के बाद हमारे लिए क्या है इसको याद रखें। पैगंबर मुहम्मद ने कहा, "अपनी नमाज़ों में मृत्यु को याद रखें, क्योंकि जो व्यक्ति मृत्यु को याद रखता है, वह ठीक से नमाज़ पढता है और यह सोच के नमाज़ पढता है कि ये उसकी आखरी नमाज़ है।”[2]
4)नमाज़ के शब्दों और क़ुरआन के छंदो के बारे में सोचें। क़ुरआन को इस पर विचार करने के लिए प्रकट किया गया था। इसका तफ़सीर पढ़ना मदद करेगा। प्रत्येक आयत के अंत में रुकें और शब्दों को समझें। उदाहरण के लिए जब पैगंबर मुहम्मद वो आयत पढ़ते जिसमें अल्लाह महिमा का उल्लेख किया गया है, तो वो सुब्हानल्लाह कहते, यदि आयत में अल्लाह से शरण मांगा गया होता वो वह वह अल्लाह की शरण मांगते।[3]
5)धीमे लयबद्ध स्वर में पढ़ें और अपनी आवाज को सुशोभित करने का प्रयास करें। अल्लाह क़ुरआन में कहता है, "...और पढ़ो क़ुरआन रुक-रुक कर" (क़ुरआन 73:4)। धीमी गति से पढ़ना विचार करने के लिए अधिक अनुकूल है।
6)ध्यान रखें कि अल्लाह प्रार्थनाओं का जवाब देता है। प्रार्थना अल्लाह के साथ एक संबंध और बातचीत है और इसे उचित तरीके करना चाहिए। शांति से पढ़ें और रुकें ताकि अल्लाह जवाब दे सके।
7)अपने सामने एक सूत्रह (यदि संभव हो तो) रख कर नमाज़ पढ़ें। यदि बाहर नमाज़ पढ़ रहे हैं तो यह एक दीवार या एक पेड़ हो सकता है, या अपने प्रार्थना स्थल मे सामने एक कुर्सी रख सकते हैं। यह आपको कुछ देखने से रोकता है और किसी को भी आपके सामने से गुजरने से रोकता है। इसमें उन जगहों पर प्रार्थना न करना भी शामिल है जहां बहुत अधिक शोर या ध्यान भंग होता है।
8)सजदे की जगह को देखना। पैगंबर मुहम्मद की प्यारी पत्नी आयशा ने बताया कि पैगंबर अपने सिर को आगे की ओर झुकाकर और जमीन की ओर देखकर नमाज़ पढ़ते थे।[4] दृष्टि, ध्वनि या विचारों से विचलित न होने का प्रयास करें और व्यवधान की किसी भी संभावना को कम करें।
खुशू होने के फायदे
1)पैगंबर मुहम्मद ने कहा, "कोई भी मुस्लिम व्यक्ति जब नमाज़ के निर्धारित समय पर ठीक से वुज़ू करता है, खुशु का उचित दृष्टिकोण रखता है, और ठीक से सजदा करता है, तो उसके पिछले सभी पापों को माफ़ कर दिया जाता है, बड़े पापो को छोड़कर। और यह जीवन का मामला है”[5]
2)नमाज़ का पुरस्कार, प्रयास और इरादे को ध्यान में रखते हुए, खुशू की मात्रा के अनुपात में होता है।
3)जो खुशू के साथ नमाज़ पढ़ता है, वह अपनी नमाज़ के अंत में हल्का महसूस करेगा, जैसे कि उसका कोई बोझ उतर गया हो और वह तरोताजा हो जायेगा।
अंत में, हमेशा ध्यान रखें कि नमाज़ में खुशू एक गंभीर मुद्दा है और इसका न होना किसी आपदा से कम नहीं है। यहां तक कि पैगंबर मुहम्मद भी ऐसे दिल से शरण मांगते थे जिसमें खुशू न हो।[6]
- ईमानदारी से पूजा करना: इखलास क्या है? (भाग 2 का 1)
- ईमानदारी से पूजा करना: इखलास बनाम रिया (2 का भाग 2)
- वैध कमाई
- पैगंबर मुहम्मद के साथी: सलमान अल-फ़ारसी
- पैगंबर मुहम्मद के साथी: बिलाल इब्न रबाह
- पैगंबर मुहम्मद के साथी: अम्मार इब्न यासिर
- पैगंबर मुहम्मद के साथी: ज़ायद इब्न थाबित
- पैगंबर मुहम्मद के साथी: अबू हुरैरा
- इस्लामी शब्द (2 का भाग 1)
- इस्लामी शब्द (2 का भाग 2)
- नमाज़ में खुशू
- गैर-मुस्लिमो को सही राह पर आमंत्रित करना (3 का भाग 1): संदेश को यथासंभव सर्वोत्तम तरीके से फैलाएं
- गैर-मुस्लिमो को सही राह पर आमंत्रित करना (3 का भाग 2): सबसे पहले तौहीद
- गैर-मुस्लिमो को सही राह पर आमंत्रित करना (3 का भाग 3): परिवार के लोगो, दोस्तों और सहकर्मियों को आमंत्?
- अल्लाह पर भरोसा और निर्भरता
- एक अच्छा दोस्त कौन है? (2 का भाग 1)
- एक अच्छा दोस्त कौन है? (भाग 2 का 2)
- अभिमान और अहंकार
- विश्वासियों की माताएं (2 का भाग 1): विश्वासियों की माताएँ कौन हैं?
- विश्वासियों की माताएं (2 का भाग 2): परोपकारिता और गठबंधन
- मुस्लिम समुदाय में शामिल होना
- उम्मत: मुस्लिम राष्ट्र
- इस्लामी तलाक के सरलीकृत नियम (2 का भाग 1)
- इस्लामी तलाक के सरलीकृत नियम (2 का भाग 2)
- एक मुस्लिम विद्वान की भूमिका (2 का भाग 1)
- एक मुस्लिम विद्वान की भूमिका (2 का भाग 2)
- मुसलमान होने के लाभ
- पवित्र शहरें; मक्का, मदीना और जेरूसलम (2 का भाग 1)
- पवित्र शहरें; मक्का, मदीना और जेरूसलम (2 का भाग 2)
 
                 
                 
                 शीर्ष पर जाएं
 शीर्ष पर जाएं             रेटिंग दें
 रेटिंग दें                 प्रिंट करें
 प्रिंट करें                 ईमेल
 ईमेल                 पीडीएफ प्रारूप
 पीडीएफ प्रारूप                 
                                                 
                                                