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एक मुसलमान के जीवन का एक दिन (2 का भाग 2): दोपहर से ले कर सोने तक

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विवरण: जानें कि कैसे एक मुस्लिम व्यक्ति की दैनिक आध्यात्मिक दिनचर्या का पालन करके आप अपने दैनिक दिनचर्या की गतिविधियों को उपासना के पुरस्कृत कार्यों में बदल सकते हैं। इस पाठ का अगला भाग।

द्वारा Imam Mufti

प्रकाशित हुआ 08 Nov 2022 - अंतिम बार संशोधित 07 Nov 2022

प्रिंट किया गया: 19 - ईमेल भेजा गया: 0 - देखा गया: 1,243 (दैनिक औसत: 3)


आवश्यक शर्तें

·नए मुसलमानों के लिए प्रार्थना (2 भाग)

·क़ुरआन के तीन छोटे सूरह की सरल व्याख्या।

उद्देश्य

·दोपहर से सोने के समय तक एक मुसलमान की दैनिक आध्यात्मिक दिनचर्या जानना।

अरबी शब्द

·नमाज - आस्तिक और अल्लाह के बीच सीधे संबंध को दर्शाने के लिए अरबी का एक शब्द। अधिक विशेष रूप से, इस्लाम में यह औपचारिक पाँच दैनिक प्रार्थनाओं को संदर्भित करता है और पूजा का सबसे महत्वपूर्ण रूप है।

·वूदू - वुज़ू।

·फज्र, जुहर, अस्र, मगरिब, ईशा - इस्लाम में पांच दैनिक प्रार्थनाओं के नाम।

·रकात - प्रार्थना की इकाई।

·हदीस - (बहुवचन - हदीसें) यह एक जानकारी या कहानी का एक टुकड़ा है। इस्लाम में यह पैगंबर मुहम्मद और उनके साथियों के कथनों और कार्यों का एक वर्णनात्मक रिकॉर्ड है।

दोपहर

(1) इस्लामी आहार दिशानिर्देशों के अनुसार एक मुसलमान दोपहर को स्वस्थ भोजन करता है।

(2) जुहर की नमाज की 4 रकात पढ़ना: इससे पहले सुन्नत [1] की 4 या 2 रकात नमाज़ पढ़ने की कोशिश करनी चाहिए, और इसके बाद 2 रकात सुन्नत पढ़ना चाहिए। पुरुषों को अनिवार्य नमाज़ मस्जिद में पढ़ने की कोशिश करनी चाहिए, खासकर अगर कोई मस्जिद उसके काम/स्कूल के करीब हो और व सप्ताहांत में। सामूहिक प्रार्थनाओं के बारे में पैगंबर (उन पर अल्लाह की दया और आशीर्वाद हो) ने कहा:

“समूह में प्रार्थना करना व्यक्तिगत प्रार्थना से सत्ताईस गुणा ज्यादा बेहतर है।”[2]

सुन्नत की नमाज़ के बारे में, आयशा (जिससे अल्लाह प्रसन्न है) ने कहा:

“जब पैगंबर मेरे घर में होते थे, तो वह जुहर की नमाज़ से पहले 4 रकात सुन्नत पढ़ते थे , फिर जाकर समूह को नमाज पढ़ाते, और उसके बाद घर लौटते थे और 2 रकात सुन्नत पढ़ते थे। इसी तरह, वह समूह को मग़रिब की नमाज पढ़ाते और वापस आकर 2 रकात सुन्नत पढ़ते। इसी तरह, ईशा की नमाज पढ़ाने के बाद, वह घर वापस आते और 2 रकात सुन्नत पढ़ते।”[3]

महिलाओं के लिए अनिवार्य और सुन्नत नमाज अपने घर पर ही पढ़ना बेहतर है। एक महिला की नमाज के बारे में, पैगंबर (उन पर अल्लाह की दया और आशीर्वाद हो) ने कहा:

“महिलाओं को मस्जिदों में जाने से मत रोको, हालांकि उनके लिए उनके घर बेहतर हैं।”

(3) एक मुसलमान असर की नमाज समय पर पढ़ता है क्योंकि इसका बहुत महत्व है जैसा कि पैगंबर ने कहा:

“जिसने असर की नमाज छोड़ दी समझो उस व्यक्ति ने अपने परिवार और अपनी संपत्ति को खो दिया।”[4]

“उस व्यक्ति को नर्क में नहीं भेजा जाएगा जिसने अपनी फज्र और असर की नमाज़ पढ़ी है।”[5]

(4) कई प्रार्थनाएं हैं जो शाम से पहले पढ़ी जानी चाहिए, लेकिन वे काफी लंबी हैं और इसलिए किसी और पाठ में बताई जाएगी।

शाम

(1) एक मुसलमान अल्लाह के नाम से शुरू कर के ये दुआ पढ़के अपने घर में प्रवेश करता है:

बिस्मिल्लाहि व लज्ना, व बिस्मिल्लाहि खरज्ना, व अला रब्बिना तवक्कलना

“अल्लाह के नाम पर हम दाख़िल होते हैं और अल्लाह ही के नाम पर हम निकलते हैं, और अपने रब पर हम भरोसा रखते हैं”[6]

(2) 3 रकात मग़रिब की नमाज पढ़ना: इसके बाद 2 रकात सुन्नत की नमाज पढ़ने की कोशिश करें। मुस्लिम पुरुष को मस्जिद में नमाज पढ़ने के लिए हर संभव प्रयास करना चाहिए यदि वह मस्जिद के करीब रहता है। बच्चों को मस्जिद में अल्लाह की इबादत करने की आदत डालनी चाहिए। मस्जिद से बहुत दूर रहने वालों के लिए, उन्हें सामूहिक रूप से नमाज़ पढ़ने की कोशिश करनी चाहिए। यह पारिवारिक बंधन को मजबूत करने और बच्चों के लिए सकारात्मक उदाहरण स्थापित करने का एक अच्छा तरीका है।

(3) घर के भीतर एक अध्ययन मंडली का संचालन करना। शाम को परिवार के सदस्यों के लिए इकठ्ठा हो कर क़ुरआन, हदीस, सीरत (पैगंबर मुहम्मद की जीवनी) और इस्लाम ज्ञान के अन्य क्षेत्रों के अध्ययन के लिए एक अच्छा समय है। जिसे दैनिक या साप्ताहिक कार्यक्रम का नियमित हिस्सा बनाया जा सकता है। हालांकि माता-पिता मुख्य रूप से विषयों पर चर्चाएं करेंगे, बड़े बच्चों को समूह की तैयारी के लिए असाइनमेंट दिए जा सकते हैं। उन्हें सक्रिय रूप से भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करने से उनका उत्साह और सीखने में रुचि बढ़ेगी। छोटे बच्चों का ध्यान बनाए रखने के लिए रचनात्मक और आकर्षक तरीकों का इस्तेमाल किया जा सकता है, हालांकि उन्हें लंबे समय तक बैठने के लिए मजबूर नहीं किया जाना चाहिए। शिक्षा के महत्व के बारे में पैगंबर ने कहा:

“आप में से प्रत्येक एक संरक्षक है, और आप में से प्रत्येक से आपकी संरक्षकता के बारे में पूछा जाएगा। सरदार एक संरक्षक है, और पुरुष अपने घर के लोगों का संरक्षक है, और महिला अपने पति के घर और बच्चों की संरक्षक है। इसलिए तुम में से प्रत्येक एक संरक्षक है, और तुम में से प्रत्येक से तुम्हारी संरक्षकता के बारे में पूछा जाएगा।”[7]

अगर संरक्षक अपने बच्चों को सीखाने में सावधानी बरते, और वह खुद और परिवार के बजाय अल्लाह को खुश करने के लिए ऐसा करे, तो इसे पूजा का कार्य माना जाता है।

(4) एक मुसलमान को ध्यान रखना चाहिए कि वह टीवी पर क्या देखता है और इंटरनेट पर या चैट-रूम में कितना समय बिताता है। शाम का एक हिस्सा पारिवारिक चर्चा करने में व्यतीत करना चाहिए क्योंकि यह पारिवारिक चर्चा के लिए एक आदर्श समय है क्योंकि इस समय परिवार के अधिकांश सदस्य उपस्थित होते हैं। पिता को अपने परिवार के सदस्यों के लिए उपलब्ध रहना चाहिए और नियमों, कार्यक्रमों, छुट्टियों की योजना, किशोर मुद्दों आदि पर चर्चा करनी चाहिए। ऐसा नियमित रूप से करने से बच्चे जिम्मेदार बनेंगे और सम्मान बढ़ेगा और उन्हें लगेगा कि वे परिवार का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं और पिता अपने बच्चों की परवरिश में एक जिम्मेदार भूमिका निभाएगा। जैसे-जैसे बच्चे परिपक्व होते हैं और जिम्मेदारी की उम्र तक पहुंचते हैं, उन्हें चर्चा, निर्णय लेने, यहां तक कि वित्तीय नियोजन में शामिल करना आवश्यक हो जाता है, विशेषकर उन मामलों में जो उनसे संबंधित हैं। यह वास्तव में उनके लिए सीखने का समय है कि एक परिवार को कैसे कार्य करना चाहिए क्योंकि वे अंततः अपना खुद का परिवार शुरू करेंगे। जाहिर है, माता-पिता को अपने बच्चों के लिए ऐसा रोल मॉडल बनना चाहिए जिससे बच्चे उनका अनुकरण करें। जब हम बच्चो की अवकाश की गतिविधियां और अपने परिवार के बंधन को अल्लाह की खुशी के लिए नियंत्रित करेंगे तो यह न्याय के दिन किसी के जीवन का सकारात्मक पक्ष होगा।

एक मुसलमान किसी भी बैठक या सभा को इस तरह समाप्त करता है:

सुभानकल-ला'हुम्मा व बे'हमदिक। अशहादु अल्ला इ'लाहा इला अंता अस्तग-फिरूका वा आतुबो इ'लैक

‘ऐ अल्लाह, आप कितने सिद्ध हो, और मैं आपकी स्तुति करता हूं। मैं गवाही देता हूं कि आपके सिवा कोई पूजा के लायक नहीं है। मैं आपकी क्षमा चाहता हूं और पश्चाताप में आपकी ओर मुड़ता हूं।’ [8]

(5) 4 रकात ईशा की नमाज पढ़ना: इसके बाद 2 रकअत सुन्नत और 3 या 1 रकात वित्र की नमाज़ पढ़ने की कोशिश करनी चाहिए।

अल्लाह के दूत ने कहा:

“फज्र की नमाज और ईशा की नमाज की तुलना में पाखंडियों के लिए कोई नमाज अधिक मुश्किल नहीं है, लेकिन अगर वे जानते कि इनमे क्या आशीर्वाद है, तो वे निश्चित रूप से पढ़ते, भले ही उन्हें रेंग के क्यों न आना पड़ता।”[9]

(6) एक मुसलमान को देर रात तक फिल्में देखने, ताश खेलने या अन्य गैर-जरूरी गतिविधियों में समय बर्बाद नहीं करना चाहिए। अल्लाह की ख़ुशी के लिए ऐसी चीजों से बचना एक अच्छा काम माना जाएगा। देर रात तक जागना सेहत के लिए हानिकारक होता है और फज्र की नमाज़ के लिए उठना मुश्किल हो जाता है।

हर रात जब पैगंबर सोने जाते, तो वह सूरह इखलास, सूरह फलक और सूरह नास पढ़ कर अपने हाथों को एक साथ रखते और उनमें फूंक मारते थे।[10] फिर वह अपने हांथो को सबसे पहले अपने सिर, मुंह और देह के आगे के भाग से शुरू कर के अपने पुरे शरीर पर जहां तक हो सकता था फेरते थे। ऐसा वह तीन बार करते थे।[11]

पैगंबर ने कहा:

“जब आप सोने जाएं, तो आयत अल-कुरसी का छंद 'अल्लाह के सिवा कोई पूज्य नहीं, वह जीवित तथा नित्य स्थायी है, आकाश और धरती में जो कुछ है, सब उसी का है ...' (क़ुरआन 2:255) अंत तक पढ़ें, फिर अल्लाह तुम्हारे ऊपर एक संरक्षक रखेगा, और शैतान भोर तक तुम्हारे नजदीक नहीं आएगा।”[12]

सोने से पहले वुज़ू करना और सोते समय दाहिनी करवट लेटने की भी सलाह दी जाती है।



फुटनोट:

[1] इस पाठ में सुन्नत शब्द का इस्तेमाल उन प्रार्थनाओं के लिए हुआ है जिन्हे करने की सलाह दी जाती है, लेकिन अनिवार्य नहीं है।

[2] सहीह अल-बुखारी, सहीह मुस्लिम

[3] सहीह मुस्लिम

[4] सहीह अल-बुखारी, सहीह मुस्लिम

[5] सहीह मुस्लिम

[6] अबू दाऊद

[7] सहीह अल-बुखारी, सहीह मुस्लिम

[8] तिर्मिज़ी

[9] सहीह अल-बुखारी, सहीह मुस्लिम

[10] सोने से पहले पढ़ी जाने वाली अन्य प्रार्थनाएं भी हैं, लेकिन वे काफी लंबी हैं और इसलिए दूसरे पाठ में बताई जाएगी।

[11] सहीह अल-बुखारी, सहीह मुस्लिम

[12] सहीह अल-बुखारी

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