तीर्थयात्रा (हज) (3 का भाग 2)
विवरण: मक्का की बड़ी तीर्थयात्रा, हज, की वो जरूरी जानकारी जो हर नए मुसलमान को पता होना चाहिए, इसकी एक आसान मार्गदर्शिका।
द्वारा Abdurrahman Murad (© 2013 NewMuslims.com)
प्रकाशित हुआ 08 Nov 2022 - अंतिम बार संशोधित 07 Nov 2022
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उद्देश्य:
·हज करने का तरीका जानना।
अरबी शब्द
·यौम उल-अराफा - अराफा का दिन वो है जब तीर्थयात्री अराफा नामक स्थान पर इकट्ठा होते हैं।
·जिल हिज्जा - इस्लामी चंद्र कैलेंडर के 12वे महीने का नाम।
·दुआ - याचना, प्रार्थना, अल्लाह से कुछ मांगना।
·फज्र, ज़ुहर, असर, मगरिब, ईशा - इस्लाम में पांच दैनिक नमाज़ों के नाम।
·हज - मक्का की तीर्थयात्रा जहां तीर्थयात्री कुछ अनुष्ठानों का पालन करते है। हज इस्लाम के पांच स्तंभों में से एक है, जिसे हर वयस्क मुसलमान को अपने जीवन में कम से कम एक बार अवश्य करना चाहिए यदि वे इसे वहन कर सकते हैं और शारीरिक रूप से सक्षम हैं।
·एहराम - ऐसी स्थिति जिसमें किसी को कुछ ऐसे काम करने की मनाही होती है जो अन्य समय में वैध होता है। उम्रह और हज के संस्कार करते समय यह आवश्यक है।
·काबा - मक्का शहर में स्थित घन के आकार की एक संरचना। यह एक केंद्र बिंदु है जिसकी ओर सभी मुसलमान प्रार्थना करते समय अपना रुख करते हैं।
·मस्जिद - प्रार्थना स्थल का अरबी शब्द।
·तलबियाह - तीर्थयात्रा के दौरान मुसलमानों द्वारा किया जाने वाल जप।
·तरवियाह - ज़िल-हिज्जा के महीने का 8वां दिन, हज का पहला वास्तविक दिन।
·उम्रह - सऊदी अरब के मक्का शहर में अल्लाह के पवित्र घर की तीर्थयात्रा। अक्सर इसे छोटी तीर्थयात्रा के रूप में जाना जाता है। इसे वर्ष के किसी भी समय किया जा सकता है।
परिचय
हज इस्लाम का एक स्तंभ है और पूजा का वह कार्य जिसमे विश्वास, कथन और कार्य शामिल हैं; संक्षेप में यह पूजा का वह कार्य है जिस पर आपको पूरा ध्यान देने की आवश्यकता है। हज के समय मे उन असाधारण सौदों की खरीदारी से बचना बुद्धिमानी है जो आपको निश्चित रूप से देखने को मिलेगा।
एक महत्वपूर्ण गैजेट जिसे आपको नहीं भूलना चाहिए वह है मोबाइल। इस समय के दौरान महंगे मोबाइल का उपयोग न करने की सलाह दी जाती है, सिर्फ एक सस्ते मोबाइल का उपयोग करें जो आप हज के शहर (सऊदी पहुंचने पर) में खरीद सकते हैं। ये मोबाइल आमतौर पर प्री-पेड सिम कार्ड के साथ बेचे जाते हैं। अपने ग्रुप के डायरेक्टर और हज लीडर का नंबर फोन पर सेव कर लें।
हज 3 प्रकार के होते हैं और इस श्रृंखला मे सबसे सामान्य प्रकार के हज, हज ए तमात'ऊ की व्याख्या होगी। इसमें आप अपने देश से आने के बाद ज़िल-हिज्जा की 8 तारीख से पहले उम्रह करेंगे (उम्रह करने की प्रक्रिया पहले बताई जा चुकी है)।
ज़िल-हिज्जाह का 8वां दिन
अब हम ज़िल-हिज्जा की 8 तारीख पर हैं। इसे 'तरवियाह का दिन ' या 'पानी लाने और प्यास बुझाने का दिन' के रूप में जाना जाता है। इसे यह नाम इसलिए दिया गया है क्योंकि तीर्थयात्री इस लंबे दिन और रात के लिए अपने जानवरों को खिलाते-पिलाते हैं और यह सुनिश्चित करते हैं कि उनके ऊंटों के पास आगे की लंबी यात्रा के लिए पर्याप्त पानी है। अराफा के दिन, जो आमतौर पर एक गर्म, लंबा दिन होता था, वे लंबे दिन की प्रत्याशा में पानी को इकठ्ठा भी करते थे!
तरवियाह का दिन आने पर, प्रात:काल वह उस समय मक्का के जिस स्थान पर रहे, उसे एहराम में प्रवेश करना चाहिए। पैगंबर (उन पर अल्लाह की दया और आशीर्वाद हो) ने दुहा के समय (सूर्योदय के बाद, सूर्य के अपने चरम पर पहुंचने से ठीक पहले) पर एहराम के वस्त्र पहने थे। उसके बाद व्यक्ति को निम्नलिखित कहना चाहिए: लब्बैका हज'जन (ऐ अल्लाह मै यहां हज के लिए आया हूं) जो हज करने के इरादे को इंगित करता है। उसके बाद लगातार तलबियाह कहना चाहिए: 'लब्बैक अल्लाहुम्मा लब्बैक, लब्बैका ला शारीका लका लब्बैक, इन्नल-हम्दा व-नियमता लका वल मुल्क, ला शारीका लक।[1]
फिर आप अपने हज समूह के साथ मीना के क्षेत्र में आगे बढ़ेंगे, जो सचमुच एक तम्बू का शहर है। इस दिन दुनिया के कोने-कोने से लाखों लोग यहां इकट्ठा होते हैं। यह बुद्धिमानी है कि आप जिस क्षेत्र में हैं, उस पर ध्यान से ध्यान दें; प्रत्येक को एक रंग और एक पहचान कोड के साथ चिह्नित किया गया है। यदि आप यह करने मे विफल हो जाते हैं, तो आप बस अपने देश के टेंटों के सामान्य स्थान के बारे में पूछ सकते हैं।
सूरज के अपने चरम पर पहुंचने से पहले मीना में पहुंचने की पूरी कोशिश करना महत्वपूर्ण है। तीर्थयात्री को खुद को अल्लाह की याद में व्यस्त रखना चाहिए और क़ुरआन का पाठ करना चाहिए। व्यर्थ की बातों और सांसारिक विषयों की चर्चा और वाद-विवाद से बचना चाहिए।
अबू हुरैरा (अल्लाह उनसे प्रसन्न हो) ने कहा: "मैंने पैगंबर को यह कहते सुना, 'जो कोई हज करता है और कोई रफत (अश्लीलता) या फुसूक (अपराध) नहीं करता है, वह उस दिन वहां से ऐसा लौटता है, मानो वो अभी पैदा हुआ हो (अर्थात पाप से मुक्त)।" (सहीह अल-बुखारी)
यहां रहते हुए, तीर्थयात्री को हर समय की नमाज़ (ज़ुहर, असर , मगरिब , ईशा और फज्र) पढ़नी चाहिए। उन्हें नमाज़ों को जोड़ कर नही पढ़ना चाहिए, लेकिन प्रत्येक चार रकात की नमाज़ को दो रकातों मे छोटा कर सकते हैं।
मीना में एक बहुत ही रोचक मस्जिद है। इसे मस्जिद कीफ के नाम से जाना जाता है। पैगंबर (उन पर अल्लाह की दया और आशीर्वाद हो) ने कहा: "इस मस्जिद में सत्तर पैगंबरो ने नमाज पढ़ी थी।" (बैहाकी)
उस मस्जिद में जाने या वहां नमाज़ पढ़ने की ज़रूरत नहीं है, कुछ लोग इस मान्यता को मानते हैं, लेकिन इसका कोई आधार नहीं है।
अपने हज समूह के बस समय सारणी के आधार पर, आप फ़ज्र की नमाज़ के तुरंत बाद या ज़िल-हिज्जा के 9वें दिन की ज़ुहर की नमाज़ से पहले मीना से हज के अगले पड़ाव पर जा सकते हैं।
ज़िल-हिज्जा का 9वां दिन
ज़िल-हिज्जा के नौवें दिन को यौम-उल-अराफ़ा या अराफ़ा का दिन कहा जाता है। यह हज का सबसे महत्वपूर्ण दिन होता है। पैगंबर (उन पर अल्लाह की दया और आशीर्वाद हो) ने कहा: "हज अराफा है" (अहमद)
तीर्थयात्री को सूर्यास्त से ठीक पहले तक अरफा (एक तीर्थ स्थल) मे रुकना चाहिए। पैगंबर ने कहा: "अराफा के दिन सबसे अच्छी दुआ (प्रार्थना); सबसे अच्छी बात जो मैंने कही है और मेरे से पहले के पैगंबरो ने कही है वह है "ला इलाहा इल्ललाह वहदहु ला शारीक-लहु, लहुल-मुल्क व लहुल-हमद युह'यी वा यूमीत व हुवा 'अला कुल्ली शायिन कदीर।”[2] (सहीह अत-तरग़िब)
अगले पाठ में हम हज के शेष कार्यों के बारे में जानेंगे।
फुटनोट:
[1] अर्थ: मै यहां आ गया हूं ऐ अल्लाह आपके बुलाने पर, मै यहां आ गया हूं। मै यहां आ गया हूं, आपका कोई साझी नही है, मै यहां आ गया हूं। निस्सन्देह सारी स्तुति, अनुग्रह और प्रभुता आपकी है। आपका कोई साझी नही है।
[2] अर्थ: अल्लाह के सिवा कोई भी पूजनीय नही है, अल्लाह का कोई साझी नहीं है। उसी की प्रभुता है और उसकी ही महिमा है। वह जीवन देने वाला है और वह ही मृत्यु देने वाला है, वह सब कुछ करने में सक्षम है।
पिछला पाठ: तीर्थयात्रा (हज) (3 का भाग 1)
अगला पाठ: तीर्थयात्रा (हज) (3 का भाग 3)
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- इस्लाम मे परवरिश (2 का भाग 2)
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- इस्लाम में बड़े पाप (2 का भाग 2): बड़े पाप और इनसे पश्चाताप करने का तरीका
- तीर्थयात्रा (हज) (3 का भाग 1)
- तीर्थयात्रा (हज) (3 का भाग 2)
- तीर्थयात्रा (हज) (3 का भाग 3)
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- जब कोई छाया न होगी तो इन लोगो को छाया में रखा जायेगा (2 का भाग 2): छाया मे रहने का प्रयास