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अंतरंग मुद्दे
विवरण: इस्लाम के कानूनों के अनुसार अंतरंग मुद्दों और शयनकक्ष शिष्टाचार के लिए एक संक्षिप्त मार्गदर्शिका।
द्वारा Aisha Stacey (© 2017 NewMuslims.com)
प्रकाशित हुआ 08 Nov 2022 - अंतिम बार संशोधित 07 Nov 2022
प्रिंट किया गया: 5 - ईमेल भेजा गया: 0 - देखा गया: 648 (दैनिक औसत: 2)श्रेणी: पाठ > सामाजिक बातचीत > विवाह
उद्देश्य
· यह समझना कि यौन स्वास्थ्य एक महत्वपूर्ण स्वास्थ्य समस्या है।
· अंतरंग मुद्दों के हलाल और हराम दोनों पहलू हैं।
अरबी शब्द
· ज़िना - व्यभिचार या व्यश्यावृति जिसमें योनि और गुदा मैथुन होता है, लेकिन यह अन्य प्रकार के अनुचित यौन व्यवहार को भी संदर्भित करता है।
· हलाल - जिसकी अनुमति है, अनुमेय।
· हराम - वर्जित या निषिद्ध।
· सुन्नत - अध्ययन के क्षेत्र के आधार पर सुन्नत शब्द के कई अर्थ हैं, हालांकि आम तौर पर इसका अर्थ है जो कुछ भी पैगंबर ने कहा, किया या करने को कहा।
· इबादत - पूजा।
· ग़ुस्ल - अनुष्ठान स्नान।
· सहाबा - "सहाबी" का बहुवचन, जिसका अर्थ है पैगंबर के साथी। एक सहाबी, जैसा कि आज आमतौर पर इस शब्द का प्रयोग किया जाता है, वह है जिसने पैगंबर मुहम्मद को देखा, उन पर विश्वास किया और एक मुसलमान के रूप में मर गया।
परिचय
इस्लाम के प्राथमिक स्रोत, क़ुरआन और पैगंबर मुहम्मद की सुन्नत, एक साथ जीवन के लिए एक व्यापक मार्गदर्शक हैं। इस प्रकार, इस्लाम एक समग्र धर्म है जो भावनात्मक और शारीरिक स्वास्थ्य के साथ-साथ आध्यात्मिक आवश्यकताओं को भी ध्यान में रखता है। अपने स्वास्थ्य की देखभाल करना बहुत महत्वपूर्ण है और इसमें हमारा यौन स्वास्थ्य भी शामिल है। इस्लाम इस विषय से कतराता नहीं है बल्कि इसे खुलकर संबोधित करता है। शारीरिक और भावनात्मक दोनों जरूरतों को पूरा करने के लिए अल्लाह ने संभोग की शारीरिक क्रिया को बनाया और शादी इन जरूरतों को पूरा करने का एक हलाल तरीका है। इसलिए अंतरंग मुद्दों और शयनकक्ष शिष्टाचार की समझ बेहद जरूरी है।
ज़िना
इस्लाम में, अवैध यौन गतिविधियों को ज़िना शब्द से परिभाषित किया गया है। इस तरह की गतिविधियों मे शामिल होने के घातक परिणाम हैं, और ये पूरी तरह से हराम हैं।
1. ज़िना एक पाप है। इसमें शामिल होने से हमारी शारीरिक, भावनात्मक और आध्यात्मिक स्वस्थ को खतरा होता है। "और व्यभिचार के समीप भी न जाओ, वास्तव में, वह निर्लज्जा तथा बुरी रीति है।" (क़ुरआन 17:32)
2. यौन संचारित रोगों का प्रसार। इन बीमारियों के शारीरिक परिणाम भुगतना जो असुविधा से लेकर खराब प्रजनन क्षमता तक हो सकते हैं।
3. अवांछित गर्भधारण।
4. पारिवारिक विभाजन।
5. बिना किसी प्रतिबद्धता के बने रिश्तों से उत्पन्न होने वाली भावनात्मक कठिनाइयां।
ज़िना में लिप्त व्यक्ति खुद को और अपने जीवनसाथी को काफी नुकसान पहुंचाता है। यदि एक साथी हराम तरीके से अपनी शारीरिक या भावनात्मक जरूरतों को पूरा करने की कोशिश करता है, तो दूसरा साथी कई तरह से पीड़ित होता है। उनके आत्म-सम्मान को ठेस पहुंचती है और उनकी सुरक्षा की भावना क्षीण हो जाती है क्योंकि वे अपने साथी पर विश्वास खो देते हैं। वे भावनात्मक रूप से अस्थिर महसूस करना शुरू कर सकते हैं जैसे कि उनकी दुनिया पलट गई हो। जो व्यक्ति अवैध यौन व्यवहार में लिप्त होता है, उसे गंभीर परिणाम भुगतने पड़ते हैं, जिसमें शामिल है लेकिन सीमित नहीं है, अपने और अल्लाह के बीच एक रूपक बाधा बनाना, गंभीर पारिवारिक शिथिलता, परिवार और दोस्तों से अलगाव और अपराधबोध और शर्म जैसी दर्दनाक भावनाएं।
विवाह
अल्लाह किसी ऐसी चीज़ को मना नहीं करता है जो प्राकृतिक मानव व्यवहार का हिस्सा हो; वह हमें एक व्यवहार्य विकल्प देता है। विवाह, एक पुरुष और एक महिला के बीच एक अनुबंध, दो लोगों को उनके इबादत और अल्लाह की आज्ञाकारिता में एक होने की अनुमति देता है। जब भी कोई युवा विवाह करने की इच्छा प्रकट करता है तो उसे प्रोत्साहित किया जाना चाहिए और उसकी सहायता की जानी चाहिए। उनके रास्ते में रुकावटें नहीं डालनी चाहिए बल्कि जल्द से जल्द शादी करने मे उनकी सहायता करनी चाहिए ताकि वे पाप में न पड़ें। हलाल विवाह पूरी तरह से सामान्य यौन इच्छाओं को पूरा करने का एक साधन है, इसलिए पैगंबर मुहम्मद (उन पर अल्लाह की दया और आशीर्वाद हो) लोगों को शादी करने के लिए प्रोत्साहित करते थे और उनकी उत्कृष्ट सलाह पूरी सुन्नत में पाई जा सकती है।
“तुम में से जिसके पास शादी करने के लिए भौतिक और वित्तीय संसाधन हों, उसे शादी कर लेना चाहिए, क्योंकि यह उसके शर्म की रक्षा करने में मदद करता है, और जो शादी करने में असमर्थ हैं उन्हें उपवास करना चाहिए, क्योंकि उपवास यौन इच्छा को कम कर देता है।”[1]
शादी के अनगिनत फायदे हैं। अल्लाह हमें बताता है कि पति-पत्नी एक दूसरे के लिए कपड़ों की तरह हैं; वे एक दूसरे की रक्षा करते हैं और घनिष्ठ साथी होते हैं। विवाह को विश्वासियों के लिए उनके जीवन मे इबादत का सबसे लंबा, सबसे निरंतर कार्य माना जाता है। पैगंबर मुहम्मद ने कहा कि जब व्यक्ति शादी कर लेता है, तो मानो उसका आधा धर्म पूरा हो गया है, उन्होंने अपनी सलाह जारी रखी और कहा कि दूसरे आधे के संबंध मे अल्लाह से डरो।[2] विवाहित लोग एक-दूसरे के साथ दयालुता और प्रेम से पेश आते हैं। यौन क्रिया का आनंद लेना चाहिए और इसके लिए पैगंबर मुहम्मद ने फोरप्ले को प्रोत्साहित किया है। उन्होंने कहा, “तुम में से कोई भी अपनी पत्नी पर पशु की तरह न टूट पड़े; तुम्हारे बीच एक 'दूत' होना चाहिए।" लोगो ने पूछा, "और दूत का क्या अर्थ है?", और पैगंबर ने उत्तर दिया, "चुंबन और शब्द।”[3]
जैसे-जैसे विवाहित जोड़े एक-दूसरे के अधिकारों और जरूरतों को पूरा करने की कोशिश करते हैं, एक-दूसरे के लिए उनका स्नेह बढ़ता जाता है, और साथ ही उनके पुरस्कार भी। संभोग का कार्य ही एक पुरस्कृत कार्य है। पैगंबर मुहम्मद ने साहबा को समझाया कि वैध यौन कृत्य दान का एक रूप है। सहाबा ने सवाल किया, "जब हम में से कोई अपनी यौन इच्छा पूरी करता है, तो क्या उसे उसके लिए इनाम दिया जाएगा?" और पैगंबर मुहम्मद ने कहा, "क्या आपको नहीं लगता कि अगर वह अवैध यौन संबंध बनाये तो वह पाप होगा? उसी तरह, यदि वह वैध यौन संबंध बनाएगा, तो उसे प्रतिफल मिलेगा।”[4]
“तुम्हारी पत्नियां तुम्हारे लिए खेतियां हैं। तुम्हें अनुमति है कि जैसे चाहो, अपनी खेतियों में जाओ; परन्तु भविष्य के लिए भी सत्कर्म करो तथा अल्लाह से डरते रहो और विश्वास रखो कि तुम्हें उससे मिलना है…” (क़ुरआन 2:223)
उपरोक्त छंद मे अल्लाह समझाता है कि एक विवाहित जोड़ा एक-दूसरे के शरीर का अलग-अलग तरीकों से आनंद लेने के लिए स्वतंत्र है, बशर्ते दोनों भागीदारों की सहमति हो। शादीशुदा जोड़े को एक-दूसरे का हस्तमैथुन करना जायज़ है। मुख मैथुन की अनुमति है लेकिन इससे नुकसान या अप्रतिष्ठा नहीं होनी चाहिए, और अशुद्धियों को निगलना नहीं चाहिए। उनके लिए अपने शरीर के सभी अंगों और अपने जीवनसाथी के शरीर को देखना हलाल है। वास्तव में, एक विवाहित जोड़े के लिए बहुत कम निषेध हैं।
निषेध
1. मासिक धर्म होने पर या प्रसवोत्तर रक्तस्राव के दौरान संभोग से बचना चाहिए। पत्नी के ग़ुस्ल करने के बाद ही संभोग शुरू करना चाहिए।
2. गुदा मैथुन एक बहुत ही गंभीर पाप है। भले ही दोनों साथी इस कृत्य के लिए सहमत हों, फिर भी यह एक पाप है। आपसी सहमति इसे नहीं बदल सकती।
3. उपवास के दौरान जोड़े को संभोग से बचना चाहिए। यदि संभोग न करने से दूसरे साथी को कठिनाई है, तो व्यक्ति को अपने साथी से गैर-अनिवार्य उपवास करने की अनुमति मांगनी चाहिए।
4. शादीशुदा के बिस्तर में होने वाली बातों का खुलासा करना मना है। अंतरंग स्थितियों में रहस्य उजागर होते हैं और आत्माओं को नंगा कर दिया जाता है। इन बातों का खुलासा विकट परिस्थितियों को छोड़कर कभी नहीं करना चाहिए, उदाहरण के लिए एक चिकित्सा आपात स्थिति के मामले में।
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