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स्वास्थ्य और फ़िटनेस (2 का भाग 2)

विवरण: एक विश्वासी के जीवन मे फिटनेस और व्यायाम की भूमिका।

द्वारा Aisha Stacey (© 2017 IslamReligion.com)

प्रकाशित हुआ 08 Nov 2022 - अंतिम बार संशोधित 07 Nov 2022

प्रिंट किया गया: 16 - ईमेल भेजा गया: 0 - देखा गया: 759 (दैनिक औसत: 2)

श्रेणी: पाठ > इस्लामी जीवन शैली, नैतिकता और व्यवहार > आहार कानून


उद्देश्य

·       फिट और स्वस्थ रहने के हमारे दायित्व को समझना, और यह समझना कि व्यायाम चलने जितना आसान हो सकता है।

अरबी शब्द

·       इबादत - पूजा।

·       सहाबा - "सहाबी" का बहुवचन, जिसका अर्थ है पैगंबर के साथी। एक सहाबी, जैसा कि आज आमतौर पर इस शब्द का प्रयोग किया जाता है, वह है जिसने पैगंबर मुहम्मद को देखा, उन पर विश्वास किया और एक मुसलमान के रूप में मर गया।

·       हदीस - (बहुवचन - हदीसें) यह एक जानकारी या कहानी का एक टुकड़ा है। इस्लाम में यह पैगंबर मुहम्मद और उनके साथियों के कथनों और कार्यों का एक वर्णनात्मक रिकॉर्ड है।

·       मस्जिद - प्रार्थना स्थल का अरबी शब्द।

परिचय

Health-and-Fitness-(part-2-of-2).jpgस्वास्थ्य के प्रति इस्लाम के समग्र दृष्टिकोण का अर्थ है कि हमें अपनी शारीरिक और भावनात्मक जरूरतों के साथ-साथ अपनी आध्यात्मिक स्थिति के लिए भी समय निकालना चाहिए और प्रयास करना चाहिए। हमारा शरीर कोशिकाओं, अंगों और प्रणालियों का एक जटिल समूह है जो हमें अल्लाह ने उधार दिया है, इसलिए हम उन्हें अच्छे बनाये रखने के लिए बाध्य हैं। पहले पाठ मे हमने पोषण और आहार की भूमिका पर चर्चा की और अब हम फिटनेस और व्यायाम पर चर्चा करेंगे।

जब पैगंबर मुहम्मद (उन पर अल्लाह की दया और आशीर्वाद हो) ने कहा कि एक मजबूत विश्वासी एक कमजोर विश्वासी से बेहतर है, तो वह सिर्फ आस्था और चरित्र की बात नहीं कर रहे थे। वह यह भी संकेत दे रहे थे कि एक आस्तिक के लिए शारीरिक शक्ति एक वांछनीय गुण है। प्रत्येक व्यक्ति के पास अल्लाह द्वारा निर्धारित शारीरिक क्षमताएं होती है और तदनुसार हम मे से प्रत्येक को अपने स्वयं के इष्टतम स्वास्थ्य और फिटनेस की स्थिति को प्राप्त करने का लक्ष्य रखना चाहिए। सामान्य परिस्थितियों मे इस्लाम के अनिवार्य कृत्यों के लिए कुछ शारीरिक प्रयास की आवश्यकता होती है। नमाज़ पढ़ते समय हम शरीर की सभी मांसपेशियों और जोड़ों का उपयोग करते हैं। यदि व्यक्ति उपवास करने का इरादा रखता है, तो उसे अच्छा स्वास्थ्य बनाये रखना चाहिए और मक्का की तीर्थयात्रा एक कठिन उपक्रम है।

फिटनेस

पैगंबर मुहम्मद और साहबा अपनी जीवन शैली के आधार पर शारीरिक रूप से स्वस्थ थे; जीवन कठिन था, और खेती और शिकार के लिए शक्ति और धीरज की आवश्यकता पड़ती थी। पिछली शताब्दियों मे लोग लंबी दूरी तय करते थे, अधिक प्राकृतिक खाद्य पदार्थ खाते थे, और आम तौर पर अपने जीवन को बनाए रखने के लिए फिट रहना पड़ता था। भले ही हमारा बीमारी और चोट पर सीधा नियंत्रण न हो, अल्लाह हमसे चाहता है कि हम अपने शरीर के साथ सम्मान के साथ व्यवहार करें और उन्हें अच्छी स्थिति में बनाए रखने के लिए हर संभव प्रयास करें।

आजकल हम कई स्थितियों और बीमारियों से ग्रस्त हैं जो सीधे तौर पर अस्वास्थ्यकर जीवनशैली और व्यायाम की कमी से संबंधित हैं। हम फिटनेस पर ध्यान देकर कुछ पुरानी बीमारियों मे सुधार कर सकते हैं और कभी-कभी ये ठीक भी हो जाती है। यह याद रखने योग्य है कि यदि हम अपने गिरते स्वास्थ्य मे सुधार के उपाय करने मे विफल रहते हैं तो हमे इसके लिए जिम्मेदार ठहराया जाएगा। 

हम कई हदीसों को पढ़ सकते हैं जो इस तथ्य की पुष्टि करते हैं कि पैगंबर मुहम्मद ने सहाबा को लगातार फिट रहने और अच्छा स्वास्थ्य बनाये रखने के लिए अनुकूल जीवन शैली जीने की सलाह दी थी। उन्होंने कहा "ऐ अल्लाह, मेरे राष्ट्र के लिए सुबह के समय को धन्य बना दे।[1]  परिणामस्वरूप सब सहाबा जल्दी उठते थे, वे रात भर फालतू की कामो मे नही लगे रहते थे। पैगंबर मुहम्मद ईशा की नमाज़[2]  के बाद सोने के लिए जाते थे, और वह दूसरों को भी यही सलाह देते थे कि हमारे शरीर का हम पर अधिकार है[3]

व्यायाम

व्यायाम एक विश्वासी के जीवन मे एक अभिन्न अंग निभाता है और मध्यम व्यायाम हमारी पूजा मे काफी सुधार करता है। हालांकि, किसी व्यायाम या खेल को अपने ऊपर हावी होने देने से हमारे भावनात्मक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य को हानि होगी। इसलिए व्यायाम और खेलकूद के संबंध में कुछ दिशानिर्देश हैं।

1.     इबादत के अनिवार्य कृत्यों से ज्यादा महत्वपूर्ण कुछ नहीं है।

2.     विश्वासी को समय प्रबंधन पर ध्यान देना चाहिए ताकि व्यायाम जीविकोपार्जन के लिए आवश्यक समय और परिवार के साथ बिताने वाले समय मे बाधा न बने।

3.     शारीरिक गतिविधि को परिवार के सभी सदस्यों के साथ किया जा सकता है। उदाहरण के लिए चलना, लंबी पैदल यात्रा, तैराकी और घुड़सवारी।

4.     सार्वजनिक स्थान पर खेल खेलने वाले व्यक्ति को इस्लामी पहनावे का ध्यान रखना चाहिए।

5.     खेल और व्यायाम मे विभिन्न लिंगों का अनावश्यक मिश्रण नहीं होना चाहिए।

6.     विश्वासी को खराब भाषा का प्रयोग नहीं करना चाहिए या किसी अन्य खिलाड़ी का उपहास नहीं करना चाहिए।

7.     विश्वासी को प्रदर्शन बढ़ाने वाली दवाओं का उपयोग नहीं करना चाहिए और दूसरों को भी मना करना चाहिए।

पैगंबर मुहम्मद, सहाबा और मुसलमानों की शुरुआती पीढ़ियों के व्यवहार से पता चलता है कि आजकल किस तरह का व्यायाम अच्छा माना जाएगा। वे कई खेलों और गतिविधियों मे लगे रहते थे, जिनमें से सभी ने उनके दिमाग और शरीर को कोमल और स्वस्थ रखा था।

“ईश्वर की याद के बिना कोई भी कार्य या तो राह से भटकना या लापरवाही है, केवल चार कार्यो को छोड़कर: एक लक्ष्य से दूसरे लक्ष्य तक चलना [तीरंदाजी अभ्यास के दौरान], घोड़े को प्रशिक्षण देना, अपने परिवार के साथ खेलना और तैराकी सीखना।”[4]

असलम के कबीले के कुछ लोग तीरंदाजी की प्रतियोगिता में भाग ले रहे थे तभी पैगंबर उनके पास से गुजरे। पैगंबर ने उनसे कहा, 'निशाना लगाओ ऐ पैगंबर इस्माईल के वंशजो।" आपके पिता एक कुशल निशानेबाज थे। निशाना लगाओ और मै फलाने के साथ हूं।' इसके बाद दोनों टीमों मे से एक ने शूटिंग रोक दी। पैगंबर ने पूछा, 'तुम क्यों रुक गए?' उन्होंने जवाब दिया, 'जब आप उनके (दूसरी टीम) साथ हैं तो हम कैसे शूटिंग कर सकते हैं। फिर पैगंबर ने कहा, 'निशाना लगाओ और मै तुम्हारे साथ हूं।’[5]

पैगंबर मुहम्मद की पत्नी आयशा ने कहा, "मैंने पैगंबर के साथ दौड़ लगाई और मै उनसे जीत गई। बाद मे जब मेरा कुछ वजन बढ़ गया, तो हमने फिर से दौड़ लगाई और वह जीत गए। फिर उन्होंने कहा, 'यह उसको रद्द करता है (पिछली दौड़ का जिक्र करते हुए)।’”[6]

व्यायाम की शुरुआत करने की कोई उम्र नही होती है, हालांकि उन खेल और गतिविधियों मे भाग लेकर अपने शरीर पर अत्याधिक भार डालने की कोई आवश्यकता नहीं जिनमे भाग लेने के लिए आप पर्याप्त रूप से फिट नहीं हैं। धीरे-धीरे शुरुआत करें। सिर्फ पैदल चलने से ही आप अपना फिटनेस लेवल बढ़ा सकते हैं। चलना एक ऐसी गतिविधि है जिसे सहाबा हर दिन करते थे और हम पैगंबर मुहम्मद के चलने के तरीके का विवरण भी पढ़ सकते हैं। दिन मे सिर्फ 30 मिनट पैदल चलने के कई फायदे हैं।

1.     कार्डियो और पुल्मोनरी (हृदय और फेफड़े) फिटनेस मे वृद्धि।

2.     हृदय रोग और स्ट्रोक का खतरा कम।

3.     उच्च रक्तचाप, उच्च कोलेस्ट्रॉल और मधुमेह जैसी स्थितियों का बेहतर प्रबंधन।

4.     मजबूत हड्डियां, मांसपेशियों और जोड़ों का दर्द कम और संतुलन मे सुधार।

5.     सहनशक्ति में वृद्धि और शरीर की चर्बी कम।

एक विश्वासी के लिए चलने के और भी कई अतिरिक्त लाभ है। पैगंबर मुहम्मद ने कहा, 'नमाज़ पढ़ने के लिए मस्जिद तक सबसे अधिक दूरी तय करने वाले लोग अपनी नमाज के लिए सबसे बड़ा पुरस्कार पाते हैं।[7] उन्होंने यह भी कहा कि जो व्यक्ति अपने घर मे खुद को शुद्ध करता है, फिर मस्जिद मे अल्लाह द्वारा दिए गए कर्तव्यों मे से एक को पूरा करने के लिए चलता है, उसे हर दो कदम चलने पर पुरस्कार मिलेगा। पहला उसके पाप मिटाएगा और दूसरा उसके पद को ऊंचा करेगा।[8]



फुटनोट:

[1] इमाम अहमद

[2] इब्न माजा

[3] सहीह मुस्लिम

[4] अत-तबरानी

[5] सहीह अल-बुखारी

[6] सहीह अल-बुखारी

[7] सहीह मुस्लिम

[8] सहीह मुस्लिम

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