लोड हो रहा है...
फ़ॉन्ट का आकारv: इस लेख के फ़ॉन्ट का आकार बढ़ाएं फ़ॉन्ट का डिफ़ॉल्ट आकार इस लेख के फॉन्ट का साइज घटाएं
लेख टूल पर जाएं

सृजन की कहानी (2 का भाग 2)

रेटिंग:

विवरण: दूसरा पाठ कलम, संरक्षित किताब, आकाश, पृथ्वी, समुद्र, नदी, बारिश, और बहुत कुछ के बारे में बताता है।

द्वारा Imam Mufti (© 2016 NewMuslims.com)

प्रकाशित हुआ 08 Nov 2022 - अंतिम बार संशोधित 07 Nov 2022

प्रिंट किया गया: 19 - ईमेल भेजा गया: 0 - देखा गया: 1,212 (दैनिक औसत: 2)


उद्देश्य

·उस कलम के बारे में जानना जिसने हर चीज की तकदीर लिखी।

·संरक्षित किताब के बारे में जानना।

·आकाश, पृथ्वी, नदियां, समुद्र, सूर्य, चन्द्र, स्वर्गदूत और जिन्न की रचना के बारे में जानना।

अरबी शब्द

·अल-लौह अल-महफुज - संरक्षित किताब

·जिन्न - अल्लाह की एक रचना जो मानवजाति से पहले धुआं रहित आग से बनाई गई थी। उन्हें कभी-कभी आत्मा, बंशी, पोल्टरजिस्ट, प्रेत आदि के रूप में संदर्भित किया जाता है।

कलम

Story_of_Creation_(Part_2_of_2)._001.jpgजल और सिंहासन के निर्माण के बाद, ईश्वर ने कलम की रचना की। जब पैगंबर कहते हैं कि ईश्वर ने कलम बनाई, तो वे कहते हैं कि उनका सिंहासन पानी के ऊपर था, और ईश्वर के सिंहासन के नीचे पानी की एक परत थी।

“ईश्वर ने आसमान और पृथ्वी को बनाने से पचास हजार साल पहले सृष्टि के उपायों को निर्धारित किया था, जबकि उनका सिंहासन पानी के ऊपर था।”[1]

कलम का आकर क्या हैं? यह कैसा दिखता है? इसका हमें बिल्कुल भी पता नहीं है।

पैगंबर ने कहा, "ईश्वर ने कलम से कहा: 'लिखो।' कलम ने कहा: 'ऐ ईश्वर, मैं क्या लिखूं?' ईश्वर ने कहा: 'अंतिम समय शुरू होने से पहले की सभी व्यवस्था लिख ले।'’”[2]

संरक्षित किताब (अल-लौह अल-महफुज)

आसमान और पृथ्वी से 50,000 साल पहले बनाये गए कलम ने अल-लौह अल-महफुज (संरक्षित किताब) लिखी। ईश्वर ने इसे अल-लौह अल-महफुज कहा क्योंकि यह किसी भी बदलाव और पहुंच से सुरक्षित है। इस किताब के अंदर सब कुछ लिखा है, यहां तक ​​कि पेड़ से गिरने वाला एक पत्ता भी, जैसा कि ईश्वर ने हमें बताया हैं। जो कुछ हो चुका है, हो रहा है और होगा वह सब इसमे लिखा है।

यह एक विश्वासी के विश्वास को अल्लाह में स्थापित करता है कि उसने जो कुछ लिखा है वह हमारे अच्छे के लिए लिखा है, और यह कि कुछ भी होने के पीछे एक ज्ञान है। कभी-कभी हमें इसका पता चल जाता है, लेकिन कभी-कभी हमें यह जानकर सुकून और संतोष मिलता है कि ईश्वर जानता है कि वह क्या कर रहा है।

आसमान और पृथ्वी

जिसे वैज्ञानिक आज महाविस्फोट कहते हैं, उसका जिक्र करते हुए क़ुरआन कहता है, "और क्या उन्होंने विचार नहीं किया, जो काफ़िर हो गये कि आकाश तथा धरती दोनों मिले हुए थे, तो हमने दोनों को अलग-अलग किया तथा हमने बनाया पानी से प्रत्येक जीवित चीज़ को? फिर क्या वे (इस बात पर) विश्वास नहीं करते? (क़ुरआन 21:30)

निम्नलिखित छंद के आधार पर, कुछ विद्वानों का कहना है कि अल्लाह ने पृथ्वी को बनाने से पहले आकाश बनाया, "क्या तुम्हें पैदा करना कठिन है अथवा आकाश को, जिसे उसने बनाया। उसकी छत ऊंची की और चौरस किया। और उसकी रात को अंधेरी तथा दिन को उजाला किया। और इसके बाद धरती को फैलाया। और उससे पानी और चारा निकाला। और पर्वतों को गाड़ दिया तुम्हारे तथा तुम्हारे पशुओं के लाभ के लिए। (क़ुरआन 79:27-30)

क़ुरआन मे अल्लाह कहता है,

“तुम्हारा पालनहार वही अल्लाह है, जिसने आकाशों तथा धरती को छः दिनों में बनाया” (क़ुरआन 7:54)

अल्लाह को वास्तव में छह दिनों की आवश्यकता नहीं थी, ईश्वर को बस कहना था, "हो जा," और यह अस्तित्व में आ जाता। ईश्वर सिर्फ एक सेकंड या उससे कम समय की तुलना मे छह दिनों में क्यों पैदा करेगा? शायद, ईश्वर हमें अपने प्रिय गुणों में से एक सिखाना चाहता था, जो कि चीजों को धीरे-धीरे करना और ठीक से योजना बना के करना है।

समुद्र, नदियां और वर्षा

अल्लाह हमें बताता है कि वही है जिसने आकाशों और पृथ्वी को बनाया, आकाश से बारिश भेजी, हमारे अस्तित्व के लिए फल और जीविका पैदा की। अल्लाह ने हमें समुद्र दिए और इससे गुजरने के लिए समुंद्री जहाज दिए। उसने नदियों को हमारे लाभ के लिए बनाया और सूर्य और चंद्रमा को उनके चक्रों में रखा। उसने रात और दिन को हमारे लाभ के लिए बनाया। अल्लाह कहता है कि उसने हमें वह सब कुछ दिया जो हमें जीवित रहने के लिए चाहिए। अगर हम अल्लाह के आशीर्वादो को गिनने की कोशिश करें, तो हम ऐसा नहीं कर पाएंगे (क़ुरआन 14:32-34 देखें)।

पृथ्वी हमें असंख्य तरीकों से लाभ पहुंचाती है। यदि आप पृथ्वी की सतह को देखें, तो अल्लाह कहता है कि उसने इसे हमारे लिए विशेष बनाया है, जिसका अर्थ है कि इस पर चलना आसान है। अब कल्पना कीजिए कि पृथ्वी की सतह पहाड़ों की तरह होती और हम सभी को ऐसे क्षेत्रों में रहना पड़ता जो उबड़-खाबड़ और चलने में मुश्किल होते। उसने सतह को नरम बनाया ताकि हम उसमें खुदाई कर सकें और चीजें लगा सकें। लेकिन साथ ही, उसने पृथ्वी को स्थिर और दृढ़ बनाया ताकि उस पर निर्माण हो सके। उसने गुरुत्वाकर्षण भी बनाया है इसलिए हम हर जगह उड़ते नहीं फिर रहे हैं।

सूरज और चंद्रमा

सूरज अल्लाह की एक शानदार रचना है और आप देखेंगे कि अल्लाह ने अध्याय अस-शम्स में सूर्य की कसम खाई है ताकि हमें दिए गए इस उपहार का अधिक महत्त्व बता सके। अतीत मे कई धर्मों ने सूर्य को विशेष गुण दिए थे; बहुत से लोगों ने सूर्य की पूजा की। अल्लाह कहता है,

“तथा उसकी निशानियों में से है रात्रि, दिवस, सूर्य तथा चन्द्रमा, तुम सज्दा न करो सूर्य तथा चन्द्रमा को और सज्दा करो उस अल्लाह को, जिसने पैदा किया है उनको, यदि तुम उसी (अल्लाह) की इबादत (वंदना) करते हो।” (क़ुरआन 41:37)

सूर्य, चंद्रमा और सितारों के साथ आपके पास बहुत सारे अंधविश्वास हैं और यहां तक ​​​​कि तर्कसंगत इंसानों में भी ये बहुत ही अजीब अंधविश्वास होंगे। जब अंधविश्वास की बात आती है तो लोग अक्सर तर्क को किनारे कर देते हैं। आपके पास ज्योतिष, कुंडली और इसी तरह की अन्य चीजें हैं जिनका बिल्कुल कोई मतलब नहीं है, लेकिन वे लोगों को या तो आशा देते हैं जो कि वास्तव में नहीं होती है या वे लोगों के व्यामोह का कारण बनते हैं। इस्लाम ज्योतिषियों के पास जाने या उन पर विश्वास करने की पूरी तरह से मनाही करता है।

स्वर्गदूतो की रचना

फिर ईश्वर ने प्रकाश से स्वर्गदूतों को बनाया। वे अल्लाह की अवज्ञा नहीं कर सकते हैं और ठीक वैसा ही करते हैं जैसा उन्हें आज्ञा दी गई है। वे कई अलग-अलग कार्यों को करने के लिए जिम्मेदार हैं। उदाहरण के लिए, ईश्वर के दूतों को रहस्योद्घाटन देना जिब्रील का काम था। ईश्वर हमें स्वर्गदूतों के बारे में बताकर, हमें संदेश की सत्यता के बारे में स्पष्ट करता है क्योंकि जिब्रील दूतों के पास गए थे, कई अन्य कार्यो के अलावा।

स्वर्गदूतों में इस्लामी मान्यता के संबंध में कुछ अनोखी बात यह है कि हम आसमान से गिरे हुए किसी भी स्वर्गदूत में विश्वास नहीं करते हैं, और हम यह नहीं मानते हैं कि शैतान एक स्वर्गदूत था।

इसके अलावा, स्वर्गदूत रोबोट नहीं हैं। उनके बहुत चरित्र है; वे प्रेम करते हैं और घृणा करते हैं, प्रार्थना करते हैं, और वे कुछ चीजों की ओर आकर्षित होते हैं, लेकिन यह सब ईश्वर की आज्ञाकारिता के दायरे में है।

जिन्न की रचना

वे आग से बनाए गए हैं, लेकिन वे आग के किसी भी प्रकार से नहीं, बल्कि एक धुंआ रहित लौ से बनाए गए हैं।[3] ईश्वर ने उन्हें हमसे पहले बनाया था। संक्षेप मे उनका उद्देश्य मनुष्य के उद्देश्य के समान ही है: सिर्फ ईश्वर की पूजा करना और उनकी सेवा करना।

मानवजाति की रचना

सबसे पहले बनाये गए मानव आदम थे। उनकी रचना की कहानी और उसके बाद की घटनाओं को हमारी साइट के एक अन्य लेख श्रृंखला में विस्तार से बताया गया है।[4]



फुटनोट:

[1]सहीह मुस्लिम

[2] अबू दाऊद

[3] उनके बारे में अधिक जानने के लिए, कृपया देखें: http://www.newmuslims.com/lessons/184/ [2 भाग]

[4]इस पाठ श्रृंखला को देखने के लिए, कृपया यहां क्लिक करें: http://www.newmuslims.com/lessons/326/ [2 भाग]

प्रश्नोत्तरी और त्वरित नेविगेशन
पाठ उपकरण
बेकार श्रेष्ठ
असफल! बाद में पुन: प्रयास। आपकी रेटिंग के लिए धन्यवाद।
हमें प्रतिक्रिया दे या कोई प्रश्न पूछें

इस पाठ पर टिप्पणी करें: सृजन की कहानी (2 का भाग 2)

तारांकित (*) फील्ड आवश्यक हैं।'

उपलब्ध लाइव चैट के माध्यम से भी पूछ सकते हैं। यहाँ.
अन्य पाठ स्तर 10