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सूरह अज़-ज़ल्ज़ला की व्याख्या
विवरण: मदीना की एक सूरह, सूरह की एक श्रृंखला में से एक सूरह जो न्याय के दिन के दृश्यों से संबंधित है।
द्वारा Imam Mufti (© 2016 NewMuslims.com)
प्रकाशित हुआ 08 Nov 2022 - अंतिम बार संशोधित 07 Nov 2022
प्रिंट किया गया: 2 - ईमेल भेजा गया: 0 - देखा गया: 414 (दैनिक औसत: 2)श्रेणी: पाठ > पवित्र क़ुरआन > चयनित छंद की व्याख्या
उद्देश्य
· जीवन के उद्देश्य की याद दिलाने का एक साधन।
· न्याय के दिन की वास्तविकता को पहचानना।
अरबी शब्द
· ज़ल्ज़ला - भूकंप
· दज्जाल - एंटी-क्राइस्ट
· क़यामत - न्याय का दिन
· जहन्नुम - नर्क
· सूरह - क़ुरआन का अध्याय
अल्लाह हमें दुनिया के आने वाले अंत की चेतावनी देने के लिए इस अध्याय में अंतिम दिन की कुछ घटनाओं का वर्णन करता है। अल्लाह हमें बताता है कि सभी कर्मों का न्याय किया जाएगा और सभी रहस्यों को उजागर किया जाएगा। हमें सलाह दी जाती है कि हम न्याय के समय अपने नेक कामों के पलड़े को भरने के लिए जितना हो सके उतना अच्छा कर्म करें।
1. ‘जब पृथ्वी सबसे अधिक प्रचंड रूप से हिलेगी।’
अल्लाह इस सूरह में आखिरी घंटे की एक तस्वीर चित्रित करता है ताकि हम इस दुनिया की गुजरती प्रकृति पर प्रतिबिंबित कर सकें और वास्तव में क्या मायने रखता है उस पर ध्यान केंद्रित कर सकें। वह चित्र को पृथ्वी की सतह के शक्तिशाली कंपन के साथ चित्रित करता है क्योंकि यह धीमा होता जायेगा और अंतिम छोर तक पहुंच जायेगा। पृथ्वी के सभी कोने भूकंप से तबाह हो जायेंगे, जिससे सब कुछ टूट कर बिखर जायेगा, और कुछ भी नहीं बचेगा। पृथ्वी के बड़े हिस्से का डूबना क़यामत से पहले होने वाले प्रमुख संकेतों में से एक है। पैगंबर मुहम्मद ने कहा,
‘यह तब तक नहीं आएगा जब तक कि आप दस संकेत नहीं देख लेते: धुआं, दज्जाल, जानवर, सूर्य का पश्चिम से उदय, यीशु का आना, याजूज और माजूज, तीन स्थानों में भूमि का डूबना, पूर्व, पश्चिम और अरब में, उसके बाद एक भीषण आग लगना जो यमन से शुरू होगी और लोगों को उनके सभा स्थल तक ले जाएगी।’[1]
2. ‘जब धरती ढेर सारी लाशें और खज़ाना निकालेगी।’
अल्लाह एक के बाद एक पृथ्वी पर होने वाली भयानक घटनाओं का वर्णन करना जारी रखता है, जबकि पृथ्वी की सतह उखड़ जाएगी और टूट जाएगी। लाशों और लाशों के अवशेष कब्रों में से बाहर निकलकर पृथ्वी की सतह पर आ जायेंगे। जो जहां मरा होगा, उसे वहीं से निकाला जायेगा, चाहे वह समुद्र की गहराई मे हो, ऊंचे पहाड़ों के बीच हो, या यहां तक कि शरीर को जलाकर राख कर दिया गया हो। क़ुरआन के अन्य सूरहों में, अल्लाह कुछ अन्य घटनाओं का वर्णन करता है जो आकाश और पृथ्वी में घटित होंगी:
“जब आकाश फट जायेगा, तथा जब तारे झड़ जायेंगे, और जब सागर उबल पड़ेंगे और जब समाधियां (कब्र) खोल दी जायेंगी।” (क़ुरआन 82: 1-4)
“क़यामत के दिन को न भूलो जब सूर्य लपेट दिया जायेगा और जब तारे धुमिल हो जायेंगे, जब पर्वत चलाये जायेंगे और जब दस महीने की गाभिन ऊंटनियां छोड़ दी जायेंगी और जब वन् पशु एकत्र कर दिये जायेंगे, और जब सागर भड़काये जायेंगे, और जब प्राण जोड़ दिये जायेंगे।” (क़ुरआन 81:1-7)
अब अंतिम निर्णय के लिए मंच तैयार होगा और दुनिया में जो कुछ भी छिपा हुआ था, वह सब उजागर हो जाएगा। यह हमारे छिपे हुए कामों और इरादों को संदर्भित करता है जिसे अल्लाह ने इस जीवन में छुपा रखा है, लेकिन अंतिम दिन पर उजागर किया जायेगा और न्याय होगा। उस दिन सबके दोष उजागर नहीं होंगे। अल्लाह की दया सच्चे ईमान वालों को ढक लेगी। पैगंबर मुहम्मद ने कहा, 'अल्लाह ने जिस धर्मी सेवक के दोष इस दुनिया में छुपाए हैं, उसके दोष अल्लाह पुनरुत्थान के दिन भी छिपाए।’[2]
3. ‘और आदमी पूछेगा, 'उसे क्या हुआ, वह ऐसा क्यों कर रही है?'
भूकंप और विस्फोटों के बाद बचे हुए मनुष्य भयानक रूप से रोएंगे क्योंकि उनकी आंखों के सामने कब्रें उठी हुई होगी और उसमे से लाशें बाहर निकल गई होगी। पागलों की तरह वे खुद से और अपने आसपास के लोगों से पूछेंगे,
‘दुनिया में ये क्या चल रहा है?' जो लोग दुनिया के अंत तक रहेंगे, वे मानवजाति के सबसे भ्रष्ट और पतित लोग होंगे, जैसा कि पैगंबर ने कहा था,
‘अंतिम समय मानवजाति के सबसे बुरे लोगो के ऊपर आएगा।’[3]
‘अल्लाह एक सुगन्धित हवा भेजेगा जिससे हर वह व्यक्ति जिसके पास राई के बराबर वजन का भी ईमान होगा, मर जाएगा, और केवल बुरे लोग ही जीवित बच जायेंगे। वे अपने पूर्वजों की तरह मूर्तिपूजक धर्मों में लौट जायेंगे।’[4]
लोग अपने पूर्वजों की तरह मूर्तियों की पूजा करने मे लग जाएंगे।
4. ‘उस दिन पृथ्वी अपनी कहानी सुनाएगी।'
पृथ्वी उन्हें इस सारे विनाश के पीछे का रहस्य बताएगी। पृथ्वी उन्हें अपने तरीके से बताएगी कि अंतिम निर्णय का समय आ गया है और इस जीवन में पहले जो कुछ भी किया था उसका हिसाब देने का समय आ गया है।
5. ‘पृथ्वी ऐसा करेगी क्योंकि आपका ईश्वर उसे ऐसा करने का आदेश देगा।’
यह अल्लाह की अनुमति से होगा कि पृथ्वी नष्ट होने से कुछ समय पहले मानवजाति को सभी विनाश और शवों को बाहर निकलने का कारण बताएगी। धरती बोलेगी, यह अजीब बात है! लेकिन अल्लाह अपनी सारी रचना को बुलवाने मे सक्षम है जैसा कि उसने हमें क़ुरआन में बताया है,
“यहां तक कि जब आ जायेंगे उस (नरक) के पास, तो साक्ष्य देंगे उनपर उनके कान तथा उनकी आंखे और उनकी खालें उस कर्म का, जो वे किया करते थे। और वे कहेंगे अपनी खालों सेः क्यों साक्ष्य दिया तुमने हमारे विरुध्द? वे उत्तर देंगी कि हमें बोलने की शक्ति प्रदान की है उसने, जिसने प्रत्येक वस्तु को बोलने की शक्ति दी है तथा उसीने तुम्हें पैदा किया प्रथम बार और उसी की ओर तुमसब फेरे जा रहे हो।’” (क़ुरआन 41:20-21)
6. ‘उस दिन लोग अपने कार्यों के परिणामों को देखने के लिए विभिन्न समूहों मे पुनरुत्थान के मैदान में लौट आएंगे।’
जब ये सभी घटनाएं घटित होंगी, तो सारी मानवजाति मृतकों में से लौट आएगी, कोई भी दूसरे को नहीं पहचानेगा। सभी सांसारिक बंधन टूट जाएंगे और प्रत्येक को अपने बारे में चिंता होगी। अल्लाह इसका वर्णन इस प्रकार करता है:
“उस दिन इन्सान अपने भाई से भागेगा, तथा अपने माता और पिता से, एवं अपनी पत्नी तथा अपने पुत्रों से। प्रत्येक व्यक्ति को उस दिन अपनी पड़ी होगी।” (क़ुरआन 80:34-37)
7-8. ‘फिर जिसने ईमानदारी से एक अणु के वजन के बराबर भी अच्छा कर्म किया होगा, वह उसे देखेगा और जिसने एक अणु के वजन के बराबर भी बुराई की होगी (इसके लिए अल्लाह की क्षमा हासिल किए बिना) वह उसे देखेगा।'
अच्छे या बुरे का कार्य कितना भी तुच्छ और छोटा क्यों न हो, उसे दाएं और बाएं तरफ के स्वर्गदूत दर्ज करेंगे। उस दिन पूरा रिकॉर्ड हमारे सामने पेश किया जाएगा। इसलिए हमें किसी भी काम को बेकार नहीं समझना चाहिए, लेकिन हमें वह सब कुछ करने का प्रयास करना चाहिए जो हम कर सकते हैं क्योंकि यह खोया या भुलाया नहीं जाएगा। पैगंबर मुहम्मद ने कहा,
‘किसी भी प्रकार के अच्छे कर्म का तिरस्कार न करें, भले ही वह अपने भाई से मुस्कुराते हुए मिलना ही क्यों न हो।’[5]
आप इस सूरह को यहां से याद कर सकते हैं:
इसके अलावा आप यहां उपलब्ध लाइव चैट के माध्यम से भी पूछ सकते हैं।
- जिहाद क्या है?
- पैगंबर आदम: मानवजाति की शुरुआत (2 का भाग 1)
- पैगंबर आदम: मानवजाति की शुरुआत (2 का भाग 2)
- सूरह अज़-ज़ल्ज़ला की व्याख्या
- पैगंबर मुहम्मद की नैतिकता (2 का भाग 1)
- पैगंबर मुहम्मद की नैतिकता (2 का भाग 2)
- पर्यावरण का संरक्षण
- इस्लाम में अपराध और सजा (2 का भाग 1)
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- पैगंबर मुहम्मद की विस्तृत जीवनी - मदीना अवधि (3 का भाग 1)
- पैगंबर मुहम्मद की विस्तृत जीवनी - मदीना अवधि (3 का भाग 2)
- पैगंबर मुहम्मद की विस्तृत जीवनी - मदीना अवधि (3 का भाग 3)
- सृजन की कहानी (2 का भाग 1)
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