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पैगंबर आदम: मानवजाति की शुरुआत (2 का भाग 1)

विवरण: आदम की रचना और उसके बाद की घटनाओं पर दो भागो का पाठ। भाग 1 चर्चा करता है कि कैसे आदम को बनाया गया और सम्मानित किया गया।

द्वारा Imam Mufti (© 2016 NewMuslims.com)

प्रकाशित हुआ 08 Nov 2022 - अंतिम बार संशोधित 07 Nov 2022

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श्रेणी: पाठ > इस्लामी मान्यताएं > अन्य पैगंबरो का जीवन


उद्देश्य

·       आदम की विशिष्टता और सम्मान के बारे में जानना।

·       यह समझना कि सभी पैगंबर एक ही सार्वभौमिक संदेश के साथ आए थे और आपस मे भाई हैं।

·       आदम और हव्वा की रचना की कहानी और इससे संबंधित घटनाओं के बारे में जानना।.

·       छींकने और सलाम करने के शिष्टाचार के बारे मे जानना।

अरबी शब्द

·       खलीफा (बहुवचन: खुलाफ़ा) - वह प्रमुख मुस्लिम धार्मिक और नागरिक शासक है, जिन्हें पैगंबर मुहम्मद का उत्तराधिकारी माना जाता है। खलीफा का मतलब सम्राट नही है।

·       सलाम - इस्लामी अभिवादन जैसे 'अस-सलामु अलैकुम'।

आदम का सम्मान

Prophet-Adam.jpgअल्लाह ने आदम (क़ुरआन 3:33) को अन्य लोगों पर कुछ महान गुणों के साथ अनुग्रहित किया:

1.     आदम सभी मनुष्यों के पिता हैं। अल्लाह ने उन्हें सभी मनुष्यों का पिता बनाने के लिए चुना, जैसा कि पैगंबर (उन पर अल्लाह की दया और आशीर्वाद हो) ने कहा, "आप सभी आदम के बच्चे हैं और आदम को मिट्टी से बनाया गया था।”[1]

2.     अल्लाह ने आदम को अपने हाथों से बनाया था। शैतान को संबोधित करते हुए, अल्लाह ने कहा, "किस चीज़ ने तुझे रोक दिया सज्दा करने से उसके लिए, जिसे मैंने पैदा किया अपने हाथ से?" (क़ुरआन 38:75)।

3.     अल्लाह ने आत्मा बनाई और उसे आदम मे फूंक दिया। अल्लाह ने अपने स्वर्गदूत जिब्रील को उसमें प्राण फूंकने को कहा (क़ुरआन 15:29, 38:72)।

4.     अल्लाह ने स्वर्गदूतों को आदम को सजदा करने को कहा (क़ुरआन 15:29, 38:72)।

5.     अल्लाह ने आदम को स्वर्गदूतों से भी ज्यादा ज्ञान दिया (क़ुरआन 2:31)।

6.     अल्लाह ने आदम और उनकी पत्नी हव्वा स्वर्ग में निवास दिया, और उन्हें वहां आनंद लेने की अनुमति दी (क़ुरआन 2:35)।

7.     आदम इंसानों के लिए पहले पैगंबर थे। पैगंबर मुहम्मद ने कहा, "...आदम एक पैगंबर थे और उन्हें रहस्योद्घाटन मिला।”[2]

8.     आदम और अन्य सभी पैगंबरो ने एक ही धर्म का पालन किया और उसी धर्म यानि इस्लाम की ओर लोगो को बुलाया। उन सभी ने अल्लाह पर विश्वास करने और सिर्फ अल्लाह की पूजा करने के लिए आमंत्रित किया (क़ुरआन 21:25, 16:36)।

आदम की रचना

अल्लाह ने स्वर्गदूतों से कहा कि वह धरती पर 'ख़लीफ़ा'[3]  बनाने की योजना बना रहा है। 'खलीफा' वह व्यक्ति होता है जो दूसरों का उत्तराधिकारी होता है। स्वर्गदूत तुरंत समझ गए कि यह सिर्फ आदम नही होंगे जो पृथ्वी पर रहेंगे, बल्कि यह मनुष्यों की एक लंबी श्रृंखला होगी और उनमें से कई दुष्ट होंगे:

“और (ऐ मुहम्मद! याद करो) जब आपके पालनहार ने स्वर्गदूतों से कहा कि मैं धरती में एक ख़लीफ़ा बनाने जा रहा हूं। वे बोलेः क्या तू उसमें उसे बनायेग, जो उसमें उपद्रव करेगा तथा रक्त बहायेगा? जबकि हम तेरी प्रशंसा के साथ तेरे गुण और पवित्रता का गान करते हैं! (अल्लाह) ने कहाः जो मैं जानता हूं, वह तुम नहीं जानते।’” (क़ुरआन 2:31)

स्वर्गदूतों का सवाल अल्लाह की बुद्धि पर सवाल उठाने के लिए नहीं था या इंसानों के लिए ईर्ष्या या नफरत की भावना नही थी। वे केवल आदम की सृष्टि के उद्देश्य को समझना चाहते थे। अल्लाह की प्रतिक्रिया हमें बताती है कि अपने पूर्ण ज्ञान में, वह आदम के बारे में ऐसी बातें जानता था जिसकी स्वर्गदूत कल्पना भी नहीं कर सकते थे। 

स्वर्गदूतों को डर था कि आदम धरती पर खलीफा बनने के लायक नहीं है, अल्लाह ने उन्हें साबित कर दिया कि यह गलत है और ज्ञान मे नई सृष्टि उनसे आगे निकल सकती है। क़ुरआन 2:31-33 बताता है कि अल्लाह ने आदम को उन सभी चीजों के नाम सिखाए जिन्हें स्वर्गदूत नहीं जानते थे। अल्लाह ने स्वर्गदूतों को बताया कि तुम्हारा ज्ञान सीमित है और तुम केवल वही जान सकते हो जो अल्लाह ने तुम्हे सिखाया है। जब आदम ने 'ज्ञान की प्रतियोगिता' में स्वर्गदूतों को हराया, तो उसने उनका सम्मान अर्जित किया। इस प्रकार, वे अल्लाह के आदेश पर आदम को सजदा करने के लिए दौड़ पड़े।

आदम की रचना पर और अधिक

अल्लाह हमें क़ुरआन 20:55 और 30:20 में बताता है कि उसने हमें मिट्टी से बनाया है। अल्लाह ने आदम को पैदा करने के लिए मिट्टी के विभिन्न प्रकार और रंगों को इकट्ठा किया। पैगंबर मुहम्मद ने कहा, 'वास्तव मे, आदम को तीन प्रकार के ठोस पदार्थों से बनाया गया था: काला, सफेद और लाल।’[4]

आदम की रचना के लिए इकट्ठी की गई मिट्टी को क़ुरआन 6:2 के अनुसार मिट्टी के गारे मे बदल दिया गया। मिटटी चिपचिपी थी (क़ुरआन 37:11)। आदम की गारे की मिट्टी सूख जाने के बाद, यह मिट्टी के बर्तन की तरह हो गई थी, ठोकने पर एक आवाज निकलती थी (क़ुरआन 15:26)।

आदम की मिट्टी बनाने के बाद, अल्लाह ने उसे गढ़ा और उसे जीवन देने से पहले एक निश्चित अवधि के लिए स्वर्ग मे स्थापित किया। “शैतान ने मिट्टी के चारों ओर चक्कर लगाना शुरू किया, उसकी प्रकृति की जांच की। जब उसने महसूस किया कि यह खोखला है, तो उसने सोचा, 'मैं इससे जीत जाऊंगा, क्योंकि यह एक ऐसी रचना है इकट्ठी नहीं रह सकती।' 'इकट्ठी नहीं रह सकती' का अर्थ है कि वह अपनी इच्छाओं के आगे झुक जाएगी।

आदम आज के इंसानों की तुलना में आकार में बहुत बड़े थे। पैगंबर ने कहा, 'अल्लाह ने आदम को साठ हाथ लंबा बनाया, फिर मानवजाति तब तक छोटी होती गई जब तक वह स्थिर ऊंचाई तक नहीं पहुंच गई' (बुखारी, मुस्लिम)। इस प्रकार, मनुष्य विकास के चरणों से नहीं गुजरा। 

क़ुरआन के कई छंदों (2:117, 3:47, 6:73, 16:40, 19:35, 36:82, 40:68) मे अल्लाह बताता है कि वह सिर्फ एक शब्द या आदेश से किसी भी चीज़ को अस्तित्व में ला सकता है। कभी-कभी अल्लाह सीधे आदेश देने के बजाय, कार्य को पूरा करने के लिए साधन बनाता है। मनुष्यों मे प्राण फूंकने के लिए अल्लाह स्वर्गदूतो को भेजता है। आदम और यीशु के मामले मे, अल्लाह ने जिब्रील को उनमें प्राण फूंकने के लिए भेजा (क़ुरआन 15:29, 38:72)।

आदम मे शुक्रवार को जान फूंकी गई। पैगंबर ने कहा, 'वास्तव मे, आपके सबसे अच्छे दिनों में शुक्रवार है। इसी दिन आदम को बनाया गया और इसी दिन उनकी मृत्यु हुई। इसके अलावा, इसी दिन तुरही फूंकी जाएगी और सभी लोग मर जाएंगे।’[5]

आदम को शुक्रवार के दिन स्वर्ग से निकाला गया और पृथ्वी पर भेजा गया। इसने मानव के प्रति जवाबदेही की शुरुआत को चिह्नित किया। शुक्रवार को आदम का पाप क्षमा कर दिया गया। उस समय से, वह और उसके वंशज अपने जीवन को खाली पन्ने के साथ जीना शुरू करेंगे और उसे अपने अच्छे या बुरे कर्मो से भरेंगे।

छींकने और सलाम करने का शिष्टाचार

जैसे ही अल्लाह ने आदम में प्राण फूंक दिए, उसने आदम को छींकने और अभिवादन करने का तरीका सिखाया। उनके शरीर में आत्मा के प्रवेश करने के तुरंत बाद, आदम ने छींका और कहा, अल्हम्दुलिल्लाह रब्बिल-'आलमीन (सृष्टि के ईश्वर की प्रशंसा हो)। अल्लाह ने जवाब दिया, यारहमु-कल्लाह (अल्लाह आप पर दया करे)[6]

अल्लाह ने आदम से कहा कि वह दूर बैठे स्वर्गदूतो के एक समूह के पास जाए और उनका अभिवादन 'अस-सलामु अलैकुम' (आप पर शांति हो) कहकर करे। उन्होंने जवाब दिया, 'अलयकस-सलाम व-रहमतुल्लाह' (और आप पर शांति और अल्लाह की दया हो)[7]



फुटनोट:

[1] बज़्ज़ार

[2] इब्न हिब्बन, तबरानी

[3] इस पाठ मे इस्तेमाल किये गए खलीफा शब्द का ऊपर अरबी शब्दों में बताये गए अर्थ से एक अलग अर्थ है।

[4] बज़्ज़ार

[5] अबू दाऊद

[6] इब्न हिब्बन

[7] तिर्मिज़ी

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