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क़ुरआन के गुण (2 का भाग 2)
विवरण: यह 2 भागो वाला लेख क़ुरआन और पवित्र पाठ के विशेष भागों को पढ़ने के गुणों और आशीर्वादों पर चर्चा करता है।
द्वारा Imam Mufti (© 2015 NewMuslims.com)
प्रकाशित हुआ 08 Nov 2022 - अंतिम बार संशोधित 07 Nov 2022
प्रिंट किया गया: 5 - ईमेल भेजा गया: 0 - देखा गया: 559 (दैनिक औसत: 2)श्रेणी: पाठ > पवित्र क़ुरआन > क़ुरआन के समीप आना
उद्देश्य
· क़ुरआन पढ़ने के अतिरिक्त इनाम जानना।
· क़ुरआन के विशिष्ट सूरह (अध्याय) का इनाम जानना।
अरबी शब्द
· सूरह - क़ुरआन का अध्याय।
क़ुरआन को पढ़ने के महत्व पर जोर देते हुए, पैगंबर ने कहा, "क़ुरआन पढ़ने वाले विश्वासी का उदाहरण एक खट्टे फल का है जिसका स्वाद अच्छा होता है और खुशबू भी अच्छी आती है; और जो क़ुरआन नहीं पढ़ता, वह उस खजूर के समान है, जिसका स्वाद तो अच्छा है पर गंध नहीं है। एक बुरा व्यक्ति जो क़ुरआन पढ़ता है उसका उदाहरण उस तुलसी का है जिसमें अच्छी गंध आती है लेकिन स्वाद कड़वा होता है; और वह बुरा व्यक्ति जो क़ुरआन नहीं पढ़ता है वह उस बेल के समान है जिसका स्वाद कड़वा होता है और उसमें गंध भी नहीं होती।”[1]
अल्लाह के शब्द क़ुरआन के कई गुण हैं। क़ुरआन की प्रत्येक सूरह महत्वपूर्ण है लेकिन कुछ सूरहों का विशेष महत्व है। एक नए मुसलमान के पढ़ने के लिए सबसे अच्छी सूरह वो है जिससे उसे बड़ा इनाम मिले और और उसे याद करने में भी मदद मिले।
इस पाठ में, हम क़ुरआन के अंतिम तीन छोटे लेकिन शक्तिशाली अध्यायों के गुणों का उल्लेख करेंगे:
सूरह अल-इखलास पढ़कर स्वर्ग में एक घर बनाएं: पैगंबर ने कहा: "जो कोई दस बार कुल-हु-वल्लाहु अहद [सूरह अल-इखलास] पढ़ेगा, अल्लाह उसके लिए स्वर्ग में एक घर बना देगा।”[2]
सूरह अल-इखलास पढ़ना एक-तिहाई क़ुरआन पढ़ने के बराबर है: एक आदमी ने दूसरे आदमी को कुल-हु-वल्लाहु अहद [ सूरह अल-इखलास] पढ़ते हुए और उसे दोहराते हुए सुना। अगली सुबह वह अल्लाह के दूत (उन पर अल्लाह की दया और आशीर्वाद हो) के पास गया, और उसे इसके बारे में बताया। उस आदमी ने सोचा कि यह बहुत छोटा है, लेकिन अल्लाह के दूत ने कहा: "जिसके हाथ में मेरी आत्मा है उसकी कसम, यह एक तिहाई क़ुरआन के बराबर है।”[3]
पैगंबर के समय मे एक आदमी भोर से ठीक पहले अल्लाह की पूजा करने के लिए उठा और कुल-हु-वल्लाहु अहद [सूरह अल-इखलास] पढ़ा, लेकिन इसके अलावा कुछ और नहीं पढ़ा। सुबह वह आदमी पैगंबर के पास गया और उन्हें इस बारे में बताया, यह सोचकर कि शायद यह पर्याप्त नहीं है। अल्लाह के दूत ने कहा: "जिसके हाथ में मेरी आत्मा है उसकी कसम, यह एक तिहाई क़ुरआन के बराबर है।”[4]
सोने से पहले सूरह अल-इखलास पढ़ने की सलाह दी जाती है: आयशा ने बताया कि जब पैगंबर सोने जाते थे, तो वह अपने हाथों को एक साथ मिलाकर कप जैसा आकार बनाते, उसमे फूंकते और उसमे कुल-हु-वल्लाहु अहद [सूरह अल-इखलास], कुल आऊज़ो-बी रब्बिल फलक [सूरह अल-फलक] और कुल आऊज़ो-बी रब्बिन-नास [सूरह अन-नास] पढ़ते (ये कुरान के अंतिम 3 अध्याय हैं)। फिर वह अपने सिर और चेहरे और अपने शरीर के सामने से शुरू करते हुए अपने हाथों से जितना हो सके अपने शरीर को पोंछते। ऐसा वह तीन बार करते थे।[5]
सूरह अल-इखलास के लिए प्यार: आयशा ने यह भी बताया कि पैगंबर ने एक छोटे सैन्य अभियान का नेतृत्व करने के लिए एक व्यक्ति को भेजा, और जब वह अपने साथियों को नमाज़ पढ़ाते हुए क़ुरआन पढ़ता, तो वह हमेशा कुल-हु वल्लाहु अहद [सूरह अल -इखलास] पर समाप्त करता। जब वे वापस आए, तो (उसके साथियों ने) पैगंबर को ये बात बताई, पैगंबर ने उनसे कहा कि उससे पूछो कि उसने ऐसा क्यों किया। तो लोगो ने उससे पूछा, और उसने कहा, "क्योंकि यह परम दयालु का वर्णन है, और मुझे इसे पढ़ना अच्छा लगता है।" पैगंबर ने कहा: "उसे बता दो कि अल्लाह उससे प्यार करता है।”[6]
हर रात सूरह अल-इखलास पढ़ना: उक़बा इब्न 'आमिर ने कहा, "मैं अल्लाह के दूत से मिला और उन्होंने मुझसे कहा: 'ऐ उक़बा इब्न' आमिर, क्या मैं आपको कुछ सूरह न सिखा दूं जिसके जैसी तौरात या ज़बूर या सुसमाचार या क़ुरआन मे प्रकट नही हुई है? कोई रात ऐसी नही होनी चाहिए जिसमे आप ये न पढ़ो (अर्थात, हर रात आपको पढ़ना चाहिए) कुल-हु-वल्लाहु अहद [सूरह अल-इखलास], कुल आऊज़ो-बी रब्बिल फलक [सूरह अल-फलक] और कुल आऊज़ो-बी रब्बिन-नास [सूरह अन-नास]" उक़बा ने कहा: "तो मैं हर रात इन्हे पढ़ता। इन्हे पढ़ना मेरा कर्तव्य बन गया, क्योंकि अल्लाह के दूत (उन पर अल्लाह की दया और आशीर्वाद हो) ने मुझे ऐसा करने की आज्ञा दी थी…”[7]
स्वर्ग उसका अधिकार है: पैगंबर ने एक आदमी को कुल-हु-वल्लाहु अहद पढ़ते हुए सुना, और उन्होंने कहा, "यह उसका अधिकार है।" लोगो ने पूछा, "ऐ अल्लाह के दूत, उसका क्या अधिकार है?" उन्होंने कहा, "स्वर्ग उसका अधिकार है।”[8]
इन पाठों मे अरबी में सामान्य रूप से क़ुरआन पढ़ने और कुछ लंबी सूरह पढ़ने के कई महान गुणों का उल्लेख किया गया है। क़ुरआन के छोटे सूरह को पढ़ने के महान गुण भी हैं जिन्हें याद करना आसान है, जैसे सूरह अल-फातिहा और सूरह अल-इखलास।
जब तक आप क़ुरआन को अच्छी तरह से पढ़ना नहीं सीख लेते, यदि आप इसे किसी और के द्वारा सुने और इसके बताये गए इनाम की उम्मीद करें, तो आशा है कि आपको पढ़ने वाले के समान इनाम मिलेगा, क्योंकि आपका इरादा अच्छा है और आप वह कर रहे हैं जो आप करने में सक्षम हैं।
इसके अलावा आप यहां उपलब्ध लाइव चैट के माध्यम से भी पूछ सकते हैं।
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