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स्तर
-
स्तर 1 (23)
- आस्था की गवाही
- इस्लाम के स्तंभों और आस्था के अनुच्छेदों का परिचय (2 भागो का भाग 1)
- इस्लाम के स्तंभों और आस्था के अनुच्छेदों का परिचय (2 भागो का भाग 2)
- नए मुसलमान बने लोगों के कुछ सामान्य प्रश्न
- ज्ञान प्राप्त करने का महत्व
- स्वर्ग (2 का भाग 1)
- स्वर्ग (2 का भाग 2)
- रात की यात्रा
- हाल ही में परिवर्तित हुए लोग कैसे प्रार्थना करें (2 का भाग 1)
- हाल ही में परिवर्तित हुए लोग कैसे प्रार्थना करें (2 का भाग 2)
- परिवार को बताना (2 का भाग 1)
- परिवार को बताना (2 का भाग 2)
- मुस्लिम समुदाय के साथ तालमेल बिठाना
- अच्छी संगति रखना
- अल्लाह पर विश्वास (2 का भाग 1): तौहीद की श्रेणियां
- अल्लाह पर विश्वास (2 का भाग 2): शिर्क, तौहीद का विपरीत
- पैगंबरो पर विश्वास
- धर्मग्रंथों में विश्वास
- स्वर्गदूतों में विश्वास
- न्याय के दिन में विश्वास
- ईश्वरीय पूर्वनियति में विश्वास (2 का भाग 1)
- ईश्वरीय पूर्वनियति में विश्वास (2 का भाग 2)
- एक नए मुस्लिम के लिए अध्ययन पद्धति
-
स्तर 2 (25)
- आओ मुहम्मद के बारे मे जानें (2 का भाग 1)
- आओ मुहम्मद के बारे मे जानें (2 का भाग 2)
- पवित्र क़ुरआन का संरक्षण
- प्रार्थना (नमाज) का महत्व
- अनुष्ठान स्नान (ग़ुस्ल) का शिष्टाचार
- वुज़ू (वूदू)
- नए मुसलमानों के लिए प्रार्थना (2 का भाग 1): प्रार्थना करने से पहले
- नए मुसलमानों के लिए प्रार्थना (2 का भाग 2): प्रार्थना का विवरण
- प्रार्थना के आध्यात्मिक लाभ
- नमाज़ के चिकित्सा लाभ
- पेशाब या शौच करने का तौर-तरीका
- माहवारी
- इस्लाम के आहार कानून का परिचय
- मुस्लिम परिवार से परिचय (2 का भाग 1)
- मुस्लिम परिवार से परिचय (2 का भाग 2)
- ईश्वर के प्रति प्रेम और उसे कैसे प्राप्त करें (2 का भाग 1)
- ईश्वर के प्रति प्रेम और उसे कैसे प्राप्त करें (2 का भाग 2)
- उपवास का परिचय
- उपवास कैसे करें
- ईद और रमजान की समाप्ति
- अल्लाह कहां है?
- इब्राहिम (2 का भाग 1)
- इब्राहिम (2 का भाग 2)
- सूरह अल-फातिहा की सरल व्याख्या
- क़ुरआन के तीन छोटी सूरह की सरल व्याख्या
-
स्तर 3 (30)
- क़ुरआन के लिए शुरुआती मार्गदर्शक (3 का भाग 1)
- क़ुरआन के लिए शुरुआती मार्गदर्शक (3 का भाग 2)
- क़ुरआन के लिए शुरुआती मार्गदर्शक (3 का भाग 3)
- हदीस और सुन्नत के लिए शुरुआती मार्गदर्शक
- नमाज़ का महत्व
- नमाज़ के पूर्व-आवश्यकताएँ
- इस्लाम मे स्वच्छता
- स्नान (घुस्ल)
- अंगशुद्धि (वुज़ू)
- दो रकाअत नमाज़ पढ़ना
- तीन रकाअत नमाज़ पढ़ना
- चार रकाअत नमाज़ पढ़ना
- नमाज़ के सामान्य बिंदु
- एक मुसलमान के जीवन का एक दिन (2 का भाग 1): जागने से लेकर देर सुबह तक
- एक मुसलमान के जीवन का एक दिन (2 का भाग 2): दोपहर से ले कर सोने तक
- गैर-मुस्लिमों का भाग्य
- पश्चाताप (3 का भाग 1): मोक्ष का द्वार
- पश्चाताप (3 का भाग 2): पश्चाताप की शर्तें
- पश्चाताप (3 का भाग 3): पश्चाताप की प्रार्थना
- क्या हम अल्लाह को देख सकते हैं?
- सुन्नत का संरक्षण (4 का भाग 1)
- सुन्नत का संरक्षण (4 का भाग 2)
- सुन्नत का संरक्षण (4 का भाग 3)
- सुन्नत का संरक्षण (4 का भाग 4)
- भोजन करना – इस्लामी तरीका (2 का भाग 1)
- भोजन करना – इस्लामी तरीका (2 का भाग 2)
- क़ुरआन की सबसे महानतम आयत की सरल व्याख्या: आयतुल कुर्सी
- मोज़े के ऊपर से पोंछना, छूटी हुई प्रार्थना पूरी करना, और एक यात्री की प्रार्थना
- शकुन
- टोटका और ताबीज
-
स्तर 4 (30)
- अज़ान (2 का भाग 1): प्रार्थना के लिए पुकार
- अज़ान (2 का भाग 2): प्रार्थना के लिए पुकार
- शिर्क और इसके प्रकार (3 का भाग 1)
- शिर्क और इसके प्रकार (3 का भाग 2)
- शिर्क और इसके प्रकार (3 का भाग 3)
- अनुष्ठान स्नान (ग़ुस्ल) के अनुशंसित नियम
- सूरह अल-फातिहा पर विचार (3 का भाग 1)
- सूरह अल-फातिहा पर विचार (3 का भाग 2)
- सूरह अल-फातिहा पर विचार (3 का भाग 3)
- सूखी वुज़ू (तयम्मुम)
- संप्रदायों का परिचय (2 का भाग 1)
- संप्रदायों का परिचय (2 का भाग 2)
- शैतान से सुरक्षा (2 का भाग 1)
- शैतान से सुरक्षा (2 का भाग 2)
- अपने चरित्र को सुधारना
- आत्मा की शुद्धि का परिचय (2 का भाग 1)
- आत्मा की शुद्धि का परिचय (2 का भाग 2)
- इस्लामी पहनावा (3 का भाग 1)
- इस्लामी पहनावा (3 का भाग 2): अवराह और महरम
- इस्लामी पहनावा (3 का भाग 3): प्रार्थना और ज्ञान
- शैतान: मानव जाति का सबसे बड़ा दुश्मन (2 का भाग 1)
- शैतान: मानव जाति का सबसे बड़ा दुश्मन (2 का भाग 2)
- प्रार्थना (2 का भाग 1)
- प्रार्थना (2 का भाग 2)
- अल्लाह की दया (2 का भाग 1)
- अल्लाह की दया (2 का भाग 2)
- इस्लाम में रोल मॉडल (2 का भाग 1): मुसलमानों की पहली पीढ़ी
- इस्लाम में रोल मॉडल (2 का भाग 2)
- धर्म परिवर्तन के बाद परीक्षा और समस्याएं (2 का भाग 1): जीवन की कठिनाइयों में अल्लाह की दया होती है
- धर्म परिवर्तन के बाद परीक्षण और समस्याएं (2 का भाग 2)
-
स्तर 5 (29)
- मस्जिद में जाने के शिष्टाचार (2 का भाग 1)
- मस्जिद में जाने के शिष्टाचार (2 का भाग 2)
- अच्छी आदतें जो नए मुसलमानों को सीखना चाहिए
- पैगंबर नूह के जीवन की झलकियां
- शुक्रवार की नमाज़ (2 का भाग 1)
- शुक्रवार की नमाज़ (2 का भाग 2)
- पैगंबर इब्राहिम के जीवन की झलकियां
- विवाह सलाह (2 का भाग 1)
- विवाह सलाह (2 का भाग 2): व्यावहारिक कदम
- पतियों और पत्नियों के अधिकार और जिम्मेदारियां
- इस्लामी विवाह के विस्तृत व्यावहारिक पहलू
- पैगंबर लूत के जीवन की झलकियां
- उदासी और चिंता से कैसे निपटें (2 का भाग 1): धैर्य, कृतज्ञता और विश्वास
- उदासी और चिंता से कैसे निपटें (2 का भाग 2): अल्लाह के साथ संबंध स्थापित करें
- पैगंबर युसूफ के जीवन की झलकियां
- इस्तिखारा प्रार्थना
- पैगंबर अय्यूब के जीवन की झलकियां
- ज़कात के लिए आसान मार्गदर्शन (2 का भाग 1)
- ज़कात के लिए आसान मार्गदर्शन (2 का भाग 2)
- पैगंबर मूसा के जीवन की झलकियां
- क्या मुझे अपना नाम बदलना चाहिए?
- पैगंबर ईसा के जीवन की झलकियां
- संदेह से निपटना
- पैगंबर मुहम्मद की एक संक्षिप्त जीवनी (2 का भाग 1): मक्का अवधि
- पैगंबर मुहम्मद की एक संक्षिप्त जीवनी (2 का भाग 2): मदीना अवधि
- ड्रग्स, शराब और जुआ (2 का भाग 1)
- ड्रग्स, शराब और जुआ (2 का भाग 2)
- जिन्न की दुनिया (2 का भाग 1)
- जिन्न की दुनिया (2 का भाग 2)
-
स्तर 6 (27)
- स्वैच्छिक प्रार्थना
- जानवरों के प्रति व्यवहार
- झूठ बोलना, चुगली करना और झूठी निंदा करना (2 का भाग 1)
- झूठ बोलना, चुगली करना और झूठी निंदा करना (2 का भाग 2)
- आस्था बढ़ाना (2 का भाग 1): आस्था हमेशा स्थिर स्तर पर क्यों नहीं रहती
- आस्था बढ़ाना (2 का भाग 2): अपनी आस्था (ईमान) बढ़ाना और पुरस्कार अर्जित करना
- स्वैच्छिक उपवास
- न्याय के दिन की निशानियां (2 का भाग 1): छोटी निशानियां
- न्याय के दिन की निशानियां (2 का भाग 2): प्रमुख निशानियां
- व्यभिचार, वैश्यावृति, और पोर्नोग्राफ़ी (2 का भाग 1)
- व्यभिचार, वेश्यावृत्ति, और पोर्नोग्राफ़ी (2 का भाग 2)
- विपरीत लिंगो के बीच मेलजोल के इस्लामी दिशानिर्देश (2 का भाग 1)
- विपरीत लिंगो के बीच मेलजोल के इस्लामी दिशानिर्देश (2 का भाग 2)
- शरिया का परिचय (2 का भाग 1)
- शरिया का परिचय (2 का भाग 2)
- मानव स्वभाव के अनुरूप कार्य (सुनन अल-फ़ित्रह)
- ईद-उल-अजहा शुरू से आखिर तक (3 का भाग 1)
- ईद-उल-अजहा शुरू से आखिर तक (3 का भाग 2)
- ईद-उल-अजहा शुरू से आखिर तक (3 का भाग 3)
- इस्लाम में नवाचार (2 का भाग 1): बिदअत के दो प्रकार
- इस्लाम में नवाचार (2 का भाग 2): क्या यह एक बिदअत है?
- रमजान: अंतिम दस रातें
- उम्रह (2 का भाग 1)
- उम्रह (2 का भाग 2)
- इस्लाम में पापों की अवधारणा (3 का भाग 1)
- इस्लाम में पापों की अवधारणा (3 का भाग 2)
- इस्लाम में पापों की अवधारणा (3 का भाग 3)
-
स्तर 7 (30)
- इस्लाम में परवरिश (2 का भाग 1)
- इस्लाम मे परवरिश (2 का भाग 2)
- इस्लाम में बड़े पाप (2 का भाग 1): बड़ा पाप क्या होता है?
- इस्लाम में बड़े पाप (2 का भाग 2): बड़े पाप और इनसे पश्चाताप करने का तरीका
- तीर्थयात्रा (हज) (3 का भाग 1)
- तीर्थयात्रा (हज) (3 का भाग 2)
- तीर्थयात्रा (हज) (3 का भाग 3)
- सही मार्गदर्शित खलीफा: अबू बक्र (2 का भाग 1)
- सही मार्गदर्शित खलीफा: अबू बक्र (2 का भाग 2)
- सही मार्गदर्शित खलीफा: उमर इब्न अल-खत्ताब (2 का भाग 1)
- सही मार्गदर्शित खलीफा: उमर इब्न अल-खत्ताब (2 का भाग 2)
- सही मार्गदर्शित खलीफा: उस्मान इब्न अफ्फान (2 का भाग 1)
- सही मार्गदर्शित खलीफा: उस्मान इब्न अफ्फान (2 का भाग 2)
- सही मार्गदर्शित खलीफा: अली इब्न अबी तालिब (2 का भाग 1)
- सही मार्गदर्शित खलीफा: अली इब्न अबी तालिब (2 का भाग 2)
- न्याय के दिन की घटनाएं (3 का भाग 1): दिन शुरू होगा
- न्याय के दिन की घटनाएं (3 का भाग 2): न्याय से पहले
- न्याय के दिन की घटनाएं (3 का भाग 3): न्याय शुरू होगा
- इस्लाम में ब्याज (2 का भाग 1)
- इस्लाम में ब्याज (2 का भाग 2)
- सूरह अल-अस्र की व्याख्या
- कब्र में प्रश्न (2 का भाग 1): मृत्यु अंत नहीं है
- कब्र में प्रश्न (2 का भाग 2): न्याय के दिन तक आपका ठिकाना
- तकवा के फल (2 का भाग 1)
- तकवा के फल (2 का भाग 2)
- सूरह अल-इखलास की व्याख्या
- इस्लाम में पड़ोसियों के अधिकार (2 का भाग 1): पड़ोसियों के साथ दयालु व्यवहार
- इस्लाम में पड़ोसियों के अधिकार (2 का भाग 2): पड़ोसी - अच्छा और बुरा
- जब कोई छाया न होगी तो इन लोगो को छाया में रखा जायेगा (2 का भाग 1): अल्लाह की दया प्रकट होगी
- जब कोई छाया न होगी तो इन लोगो को छाया में रखा जायेगा (2 का भाग 2): छाया मे रहने का प्रयास
-
स्तर 8 (29)
- ईमानदारी से पूजा करना: इखलास क्या है? (भाग 2 का 1)
- ईमानदारी से पूजा करना: इखलास बनाम रिया (2 का भाग 2)
- वैध कमाई
- पैगंबर मुहम्मद के साथी: सलमान अल-फ़ारसी
- पैगंबर मुहम्मद के साथी: बिलाल इब्न रबाह
- पैगंबर मुहम्मद के साथी: अम्मार इब्न यासिर
- पैगंबर मुहम्मद के साथी: ज़ायद इब्न थाबित
- पैगंबर मुहम्मद के साथी: अबू हुरैरा
- इस्लामी शब्द (2 का भाग 1)
- इस्लामी शब्द (2 का भाग 2)
- नमाज़ में खुशू
- गैर-मुस्लिमो को सही राह पर आमंत्रित करना (3 का भाग 1): संदेश को यथासंभव सर्वोत्तम तरीके से फैलाएं
- गैर-मुस्लिमो को सही राह पर आमंत्रित करना (3 का भाग 2): सबसे पहले तौहीद
- गैर-मुस्लिमो को सही राह पर आमंत्रित करना (3 का भाग 3): परिवार के लोगो, दोस्तों और सहकर्मियों को आमंत्?
- अल्लाह पर भरोसा और निर्भरता
- एक अच्छा दोस्त कौन है? (2 का भाग 1)
- एक अच्छा दोस्त कौन है? (भाग 2 का 2)
- अभिमान और अहंकार
- विश्वासियों की माताएं (2 का भाग 1): विश्वासियों की माताएँ कौन हैं?
- विश्वासियों की माताएं (2 का भाग 2): परोपकारिता और गठबंधन
- मुस्लिम समुदाय में शामिल होना
- उम्मत: मुस्लिम राष्ट्र
- इस्लामी तलाक के सरलीकृत नियम (2 का भाग 1)
- इस्लामी तलाक के सरलीकृत नियम (2 का भाग 2)
- एक मुस्लिम विद्वान की भूमिका (2 का भाग 1)
- एक मुस्लिम विद्वान की भूमिका (2 का भाग 2)
- मुसलमान होने के लाभ
- पवित्र शहरें; मक्का, मदीना और जेरूसलम (2 का भाग 1)
- पवित्र शहरें; मक्का, मदीना और जेरूसलम (2 का भाग 2)
-
स्तर 9 (30)
- नमाज़ - उन्नत (2 का भाग 1)
- नमाज़ - उन्नत (2 का भाग 2)
- जीवन का उद्देश्य
- क़ुरआन क्यों और कैसे सीखें (2 का भाग 1)
- क़ुरआन क्यों और कैसे सीखें (2 का भाग 2)
- पैगंबरो के चमत्कार
- पवित्रशास्त्र के लोगों के लिए मांस (2 का भाग 1)
- पवित्रशास्त्र के लोगों के लिए मांस (2 का भाग 2)
- जिक्र (अल्लाह को याद करना): अर्थ और आशीर्वाद (2 का भाग 1)
- जिक्र (अल्लाह को याद करना): अर्थ और आशीर्वाद (2 का भाग 2)
- न्याय के दिन मध्यस्थता (2 का भाग 1)
- न्याय के दिन मध्यस्थता (2 का भाग 2)
- क़ुरआन के गुण (2 का भाग 1)
- क़ुरआन के गुण (2 का भाग 2)
- अच्छी नैतिकता (2 का भाग 1)
- अच्छी नैतिकता (2 का भाग 2)
- इस्लामी स्वर्ण युग (2 का भाग 1)
- इस्लामी स्वर्ण युग (2 का भाग 2)
- इस्लाम मे सोशल मीडिया
- आराम, मस्ती और मनोरंजन
- ज्योतिष और भविष्यवाणी
- पैगंबर मुहम्मद के चमत्कार (2 का भाग 1)
- पैगंबर मुहम्मद के चमत्कार (2 का भाग 2)
- बुरी नैतिकता से दूर रहना चाहिए (2 का भाग 1)
- बुरी नैतिकता से दूर रहना चाहिए (2 का भाग 2)
- उपवास और दान के आध्यात्मिक लाभ
- सपने की व्याख्या
- पैगंबर मुहम्मद की विस्तृत जीवनी - मक्का अवधि (3 का भाग 1)
- पैगंबर मुहम्मद की विस्तृत जीवनी - मक्का अवधि (3 का भाग 2)
- पैगंबर मुहम्मद की विस्तृत जीवनी - मक्का अवधि (3 का भाग 3)
-
स्तर 10 (26)
- जिहाद क्या है?
- पैगंबर आदम: मानवजाति की शुरुआत (2 का भाग 1)
- पैगंबर आदम: मानवजाति की शुरुआत (2 का भाग 2)
- सूरह अज़-ज़ल्ज़ला की व्याख्या
- पैगंबर मुहम्मद की नैतिकता (2 का भाग 1)
- पैगंबर मुहम्मद की नैतिकता (2 का भाग 2)
- पर्यावरण का संरक्षण
- इस्लाम में अपराध और सजा (2 का भाग 1)
- इस्लाम में अपराध और सजा (2 का भाग 2)
- भूलने का सजदा
- हदीस शब्दावली का परिचय
- पैगंबर मुहम्मद की विस्तृत जीवनी - मदीना अवधि (3 का भाग 1)
- पैगंबर मुहम्मद की विस्तृत जीवनी - मदीना अवधि (3 का भाग 2)
- पैगंबर मुहम्मद की विस्तृत जीवनी - मदीना अवधि (3 का भाग 3)
- सृजन की कहानी (2 का भाग 1)
- सृजन की कहानी (2 का भाग 2)
- अंतिम संस्कार (2 का भाग 1)
- अंतिम संस्कार (2 का भाग 2)
- इस्लामी वसीयत और विरासत (2 का भाग 1)
- इस्लामी वसीयत और विरासत (2 का भाग 2)
- पैगंबर के कथन: ईमानदारी
- मीडिया स्टीरियोटाइपिंग को समझना
- स्वास्थ्य और फ़िटनेस (2 का भाग 1)
- स्वास्थ्य और फ़िटनेस (2 का भाग 2)
- अंतरंग मुद्दे
- इस्लाम कुछ विचित्र के रूप में शुरू हुआ
- स्तर 1 (23)
- स्तर 2 (25)
- स्तर 3 (30)
- स्तर 4 (30)
- स्तर 5 (29)
- स्तर 6 (27)
- स्तर 7 (30)
- स्तर 8 (29)
- स्तर 9 (30)
- स्तर 10 (26)
श्रेणियाँ
- इस्लाम के गुण (8)
- इस्लामी मान्यताएं (57)
- पूजा के कार्य (63)
- इस्लामी जीवन शैली, नैतिकता और व्यवहार (48)
- पवित्र क़ुरआन (17)
- पैगंबर मुहम्मद (37)
- सामाजिक बातचीत (38)
- बढ़ती आस्था (18)
- इस्लाम के गुण (8)
- इस्लामी मान्यताएं (57)
- पूजा के कार्य (63)
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एक अच्छा दोस्त कौन है? (भाग 2 का 2)
विवरण: अच्छे, करीबी मुस्लिम मित्र पर दो भागो वाला पाठ। भाग 2 अच्छे मुस्लिम मित्र खोजने और बनाने के बारे में सुझाव देता है।
द्वारा Imam Mufti (© 2015 NewMuslims.com)
प्रकाशित हुआ 08 Nov 2022 - अंतिम बार संशोधित 07 Nov 2022
प्रिंट किया गया: 28 - ईमेल भेजा गया: 0 - देखा गया: 3,874 (दैनिक औसत: 4)
उद्देश्य
·उन जगहों के बारे में जानना जहां कोई व्यक्ति दोस्त बनाने के लिए मुसलमानों से मिल सकता है।
·बातचीत में शामिल होने के कुछ सुझावों को समझना।
·एक अच्छा दोस्त कैसे बनें?
अरबी शब्द
·अस-सलामु अलैकुम - आप पर शांति और आशीर्वाद बना रहे।
·ईद - त्योहार या उत्सव। मुसलमान दो प्रमुख धार्मिक छुट्टियां मनाते हैं, जिन्हें ईद-उल-फितर (जो रमजान के बाद आता है) और ईद-उल-अज़हा (जो हज के समय होता है) कहा जाता है।
·हिजाब - हिजाब शब्द के कई अलग-अलग अर्थ हैं, जिनमें छुपाना, छुपना और पर्दा शामिल हैं। यह आमतौर पर एक महिला के हेडस्कार्फ़ को संदर्भित करता है और व्यापक रूप से मामूली कपड़ों और व्यवहार को संदर्भित करता है।
·रमजान - इस्लामी चंद्र कैलेंडर का नौवां महीना। यह वह महीना है जिसमें अनिवार्य उपवास निर्धारित किया गया है।
·सलाम - इस्लामी अभिवादन जैसे ' अस-सलामु अलैकुम।'
सुझाव 1. मुसलमानों से कहां मिलें?
घनिष्ठ संबंध रातोंरात नहीं बनते, लेकिन अन्य मुसलमानों से मिलने और उनसे दोस्ती करने के लिए आप कुछ कदम उठा सकते हैं।
साप्ताहिक आधार पर शुक्रवार की नमाज़ और कुछ अन्य नमाज़ों में भाग लें। भले ही यह पूजा का समय होता है, समाजीकरण का नहीं, आप उन साथी मुसलमानों को जान पाएंगे जो नियमित रूप से मस्जिद में आते हैं और आप उनके साथ एक विशेष आध्यात्मिक बंधन विकसित कर पाएंगे।
अपने स्थानीय मस्जिद या इस्लामी केंद्र में नए मुसलमानों के लिए सामान्य लगाव वाले अन्य लोगों से मिलने के समारोह मे जाएं। www.facebook.com और www.twitter.com जैसी वेबसाइटें स्थानीय समूहों को खोजने या अपना खुद का समूह शुरू करने और समान रुचियों वाले अन्य लोगों से जुड़ने में आपकी सहायता कर सकती हैं।
नए मुसलमानों से मिलने के साथ-साथ दूसरों की मदद करने के लिए स्वयंसेवा एक शानदार तरीका हो सकता है। इस्लामिक केंद्र हमेशा ईद के करीब और साल के दौरान रमजान या अन्य प्रमुख कार्यक्रमों में स्वयंसेवकों की तलाश करते हैं। यह अन्य मुसलमानों के साथ जुड़ने का एक उत्कृष्ट अवसर होता है।
अपनी मस्जिद में सामुदायिक रात्रिभोज में भाग लें जो आम तौर पर हर महीने किया जाता है। यहां तक कि अगर आप पारंपरिक भोजन के अभ्यस्त नहीं हैं या ये आपको मसालेदार लगता है, तो आप सामाजिक रूप से आराम के माहौल में नए मुसलमानों से मिल पाएंगे।
अपने इलाके में या पड़ोसी शहरों या राज्यों में मुस्लिम समुदाय के कार्यक्रमों, सम्मेलनों और व्याख्यानों में भाग लें जहां आप समान रुचियों वाले लोगों से मिल सकते हैं। आप नए लोगों से मिलेंगे, नए खाद्य पदार्थ खाएंगे, और आपको कपड़े और किताबें खरीदने का मौका मिलेगा।
सुझाव 2. बातचीत में शामिल होना सीखें
कुछ लोग सहज रूप से किसी भी स्थान पर किसी के साथ बातचीत शुरू करना जानते हैं। यदि आप ऐसे नहीं हैं, तो यहां किसी नए व्यक्ति के साथ बातचीत शुरू करने के कुछ आसान तरीके दिए गए हैं:
इस्लामी अभिवादन का अभ्यास करें और आत्मविश्वास से हाथ मिलाएं। बहुत से लोग 'अस-सलामु अलैकुम' कहने में संघर्ष करते हैं । आपको इसका अभ्यास करना होगा ताकि सामाजिक समारोहों में यह आपकी आदत बन जाए। याद रखें, पैगंबर ने कहा, "जब दो मुसलमान मिलते हैं (सलाम करते हैं), और हाथ मिलाते हैं, तो उनके (एक दूसरे के साथ) अलग होने से पहले उनके पापों को क्षमा कर दिया जाता है।" (अबू दाऊद)
मस्जिद और अपने आसपास के मुसलमानों या किसी अवसर पर टिप्पणी करें। आप कुछ सकारात्मक टिप्पणी कर सकते हैं, जैसे: "मुझे मस्जिद पसंद है," या "खाना बहुत अच्छा है। क्या आपने चिकन खाने की कोशिश की है?”
ऐसे सवाल पूछें जिसका उत्तर हां या ना से अधिक हो। ऐसे प्रश्न पूछें जिसमे कौन, कहां, कब, क्या, क्यों, या कैसे आता है है। उदाहरण के लिए,
·“यहां तुम्हारे जानने वाले कौन लोग हैं?”
·“आप आमतौर पर शुक्रवार की नमाज़ के लिए कहां जाते हैं?”
·“आप यहां कब स्थानांतरित हुए थे?”
·“खाना कैसा है?”
अधिकांश लोगों को अपने बारे में बात करने में मज़ा आता है इसलिए प्रश्न पूछना बातचीत शुरू करने का एक अच्छा तरीका है।
तारीफ करें। उदाहरण के लिए, "मुझे आपका हिजाब बहुत पसंद है, क्या मैं पूछ सकता हूं कि आपको यह कहां से मिला?" या "लगता है कि आपने पहले भी ऐसा किया है, क्या आप मुझे दिखा सकते हैं?”
प्रभावी ढंग से सुनें। लोगों ने देखा कि जब वे पैगंबर मुहम्मद से बात करते थे तो ऐसा लगता था कि पैगंबर सिर्फ उनकी सुनने में रुचि रखते थे, वह पूरी तरह से ध्यान केंद्रित रखते थे। प्रभावी संचार की कुंजियों में से एक है बोलने वाले पर पूरी तरह से ध्यान केंद्रित करना और जो कहा जा रहा है उसमें रुचि दिखाना। कभी-कभी सिर हिलाएं और उस व्यक्ति पर मुस्कुराएं। पैगंबर ने कहा, "अपने भाइयों को देखकर मुस्कुराना दान का कार्य है" (तिर्मिज़ी)। बोलने वाले को "हां" या "हुंह" जैसे छोटे मौखिक संकेतों के साथ जारी रखने के लिए प्रोत्साहित करें और बीच में न टोकें।
सुझाव 3. एक अच्छा दोस्त कैसे बनें
क़ुरआन में अल्लाह कहता है, "हे मनुष्यो! हमने तुम्हें पैदा किया एक नर तथा नारी से तथा बना दी हैं तुम्हारी जातियां तथा प्रजातियां, ताकि एक-दूसरे को पहचानो" (क़ुरआन 49:13)। सिर्फ 'उनको' हमें जानने की जरूरत नहीं है, हमें भी 'उन्हें' जानने की जरूरत है। हमें अपने आराम क्षेत्र से बाहर निकलने की जरूरत है।
याद रखें कि एक दोस्त बनाना एक रिश्ते की शुरुआत है जिसे गहरा होने में समय लगेगा। दोस्त बनना एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके लिए समय, प्रयास और दूसरे व्यक्ति में वास्तविक रुचि की आवश्यकता होती है। कुछ सरल चरणों का पालन करें:
·वैसा दोस्त बनें जैसा दोस्त आप अपने लिए चाहते हैं। अपने मित्र के साथ वैसा ही व्यवहार करें जैसा आप चाहते हैं कि वे आपसे व्यवहार करें। पैगंबर ने सलाह दी, "आप मे से किसी की भी आस्था तब तक नही है जब तक कि आप अपने भाई के लिए वह न चुने जो आप अपने लिए चुनते हैं।" (सहीह अल-बुखारी, सहीह मुस्लिम)
·एक अच्छा श्रोता बनें। किसी के साथ एक ठोस दोस्ती विकसित करने के लिए, उनकी बात सुनने और उनका समर्थन करने के लिए तैयार रहें, जैसा आप उनसे उम्मीद करते हैं।
·दोस्ती में निवेश करें। नियमित ध्यान के बिना कोई दोस्ती नहीं पनपेगी। अपने नए मुस्लिम मित्र को रात के खाने के लिए आमंत्रित करें और उनके साथ गतिविधियों की योजना बनाएं।
·अपने दोस्त को स्पेस दें। बहुत ज्यादा जरूरतमंद न बनें और सुनिश्चित करें कि अपने मित्र की उदारता का दुरुपयोग न करें।
·क्षमाशील बनें। कोई भी व्यक्ति पूर्ण नहीं होता है और प्रत्येक मित्र गलतियां करेगा। माफ करना सीखिए, इससे आप दोनों के बीच दोस्ती का रिश्ता और गहरा होगा। अल्लाह ने पवित्र क़ुरआन में विश्वास करने वालों का वर्णन उन लोगों के रूप में किया है जो लगातार ईर्षा, घृणा और द्वेष से मुक्त दिलों को साफ करने का प्रयास करते हैं। वे इसे प्राप्त करने के लिए अल्लाह की मदद के लिए प्रार्थना करते हैं, "ऐ हमारे पालनहार! हमें क्षमा कर दे तथा हमारे उन भाईयों को, जो हमसे पहले ईमान लाये और न रख हमारे दिलों में कोई बैर उनके लिए, जो ईमान लाये। ऐ हमारे पालनहार! तू अति करुणामय, दयावान् है।” (क़ुरआन 59:10)
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- ईमानदारी से पूजा करना: इखलास क्या है? (भाग 2 का 1)
- ईमानदारी से पूजा करना: इखलास बनाम रिया (2 का भाग 2)
- वैध कमाई
- पैगंबर मुहम्मद के साथी: सलमान अल-फ़ारसी
- पैगंबर मुहम्मद के साथी: बिलाल इब्न रबाह
- पैगंबर मुहम्मद के साथी: अम्मार इब्न यासिर
- पैगंबर मुहम्मद के साथी: ज़ायद इब्न थाबित
- पैगंबर मुहम्मद के साथी: अबू हुरैरा
- इस्लामी शब्द (2 का भाग 1)
- इस्लामी शब्द (2 का भाग 2)
- नमाज़ में खुशू
- गैर-मुस्लिमो को सही राह पर आमंत्रित करना (3 का भाग 1): संदेश को यथासंभव सर्वोत्तम तरीके से फैलाएं
- गैर-मुस्लिमो को सही राह पर आमंत्रित करना (3 का भाग 2): सबसे पहले तौहीद
- गैर-मुस्लिमो को सही राह पर आमंत्रित करना (3 का भाग 3): परिवार के लोगो, दोस्तों और सहकर्मियों को आमंत्?
- अल्लाह पर भरोसा और निर्भरता
- एक अच्छा दोस्त कौन है? (2 का भाग 1)
- एक अच्छा दोस्त कौन है? (भाग 2 का 2)
- अभिमान और अहंकार
- विश्वासियों की माताएं (2 का भाग 1): विश्वासियों की माताएँ कौन हैं?
- विश्वासियों की माताएं (2 का भाग 2): परोपकारिता और गठबंधन
- मुस्लिम समुदाय में शामिल होना
- उम्मत: मुस्लिम राष्ट्र
- इस्लामी तलाक के सरलीकृत नियम (2 का भाग 1)
- इस्लामी तलाक के सरलीकृत नियम (2 का भाग 2)
- एक मुस्लिम विद्वान की भूमिका (2 का भाग 1)
- एक मुस्लिम विद्वान की भूमिका (2 का भाग 2)
- मुसलमान होने के लाभ
- पवित्र शहरें; मक्का, मदीना और जेरूसलम (2 का भाग 1)
- पवित्र शहरें; मक्का, मदीना और जेरूसलम (2 का भाग 2)
एक अच्छा दोस्त कौन है? (भाग 2 का 2)
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