न्यू मुस्लिम ई-लर्निंग साइट में आपका स्वागत है। यह नए मुस्लिम धर्मान्तरित लोगों के लिए है जो अपने नए धर्म को आसान और व्यवस्थित तरीके से सीखना चाहते हैं। इसमे पाठों को स्तरों के अंतर्गत संयोजित किए गया है। तो पहले आप स्तर 1 के तहत पाठ 1 पर जाएं। इसका अध्ययन करें और फिर इसकी प्रश्नोत्तरी करें। जब आप इसे पास कर लें तो पाठ 2 वगैरह पर आगे बढ़ें। शुभकामनाएं।
आपको पंजीकरण करने की सलाह दी जाती है ताकि आपके प्रश्नोत्तरी ग्रेड और प्रगति को सेव किया जा सकें। इसलिए पहले यहां पंजीकरण करें, फिर स्तर 1 के अंतर्गत पाठ 1 से शुरू करें और वहां से अगले पाठ की ओर बढ़ें। अपनी सुविधा अनुसार पढ़ें। जब भी आप इस साइट पर वापस आएं, तो बस "मैंने जहां तक पढ़ा था मुझे वहां ले चलें" बटन (केवल पंजीकृत उपयोगकर्ताओं के लिए उपलब्ध) पर क्लिक करें।
न्याय के दिन की घटनाएं (3 का भाग 1): दिन शुरू होगा
विवरण: न्याय का दिन कब और कैसे शुरू होगा।
द्वारा Aisha Stacey (© 2014 NewMuslims.com)
प्रकाशित हुआ 08 Nov 2022 - अंतिम बार संशोधित 07 Nov 2022
प्रिंट किया गया: 16 - ईमेल भेजा गया: 0 - देखा गया: 805 (दैनिक औसत: 2)श्रेणी: पाठ > इस्लामी मान्यताएं > परलोक
उद्देश्य
· न्याय के दिन की घटनाओं के क्रम को जानना और उनके महत्व को समझना।
अरबी शब्द
· हदीस - (बहुवचन - हदीसें) यह एक जानकारी या कहानी का एक टुकड़ा है। इस्लाम में यह पैगंबर मुहम्मद और उनके साथियों के कथनों और कार्यों का एक वर्णनात्मक रिकॉर्ड है।
· रकात - नमाज़ की इकाई।
इससे पहले कि हम अल्लाह द्वारा बताये गए न्याय के दिन घटित होने वाली उन घटनाओं के बारे मे जाने, हमें अपने आप से पूछना चाहिए कि वह दिन कब आएगा। और हम यह सवाल पूछने वाली पहली पीढ़ी नहीं हैं। पैगंबर मुहम्मद से कई लोगों ने कई बार पूछा था कि यह दिन कब आएगा। हालांकि अब भले ही हमने सभी प्रकार के ज्ञान, विशेष रूप से टेक्नोलॉजी और विज्ञान में उल्लेखनीय प्रगति की है, इसका उत्तर अभी भी वही है। सिर्फ अल्लाह ही जानता है कि न्याय का दिन कब आएगा। जब स्वर्गदूत जिब्रील एक व्यक्ति के रूप मे पैगंबर के पास आये, तो उन्होंने न्याय के दिन की शुरुआत के बारे मे प्रश्न किया। पैगंबर मुहम्मद ने उत्तर दिया, "जिसने सवाल पूछा है, इसके बारे मे वही बेहतर जानता है।”
“प्रश्न करते हैं आपसे लोग प्रलय के विषय में। तो आप कह दें कि उसका ज्ञान तो अल्लाह ही को है। संभव है कि प्रलय समीप हो।” (क़ुरआन 33:63)
“निश्चय प्रलय आने वाली है, मैं उसे गुप्त रखना चाहता हूं...” (क़ुरआन 20:15)
अल्लाह ने न्याय के दिन को हम से छुपाया है। इस छंद से हमें यह संकेत मिलता है कि यह भव्य दिन एक महत्वपूर्ण अवसर से कम नहीं है। हालांकि हम नहीं जानते कि न्याय का दिन कब आएगा, अल्लाह और उसके दूत मुहम्मद (उन पर अल्लाह की दया और आशीर्वाद हो) ने विस्तार से वर्णन किया है कि उस दिन क्या होगा। इसमें और अगले दो पाठों में हम न्याय के दिन की घटनाओं का वर्णन करेंगे जैसा कि क़ुरआन और प्रामाणिक हदीस वर्णित है।
तुरही फूंकना
न्याय का दिन मानवजाति पर अचानक आएगा। इससे कोई मतलब नही है कि इससे पहले आने वाले संकेतों के बारे मे कोई कितनी अच्छी तरह से जानता है, इसकी शुरुआत एक झटके से होगी। तुरही फूंकी जाएगी और लोगों को इतनी भयानक आवाज सुनाई देगी कि पहाड़ और पृथ्वी खुद ही धूल में मिल जाएंगे।
“फिर जब फूंक दी जायेगी तुरही में एक फूंक। और उठाया जायेगा धरती तथा पर्वतों को, तो दोनों चूर-चूर कर दिये जायेंगे एक ही बार में। तो उसी दिन होनी हो जायेगी।” (क़ुरआन 69:13-15)
अल्लाह कहता है कि यह एक ही फूंक होगी, एक लंबी निरंतर आवाज जो तब तक नहीं रुकेगी जब तक कि सब कुछ नष्ट न हो जाए (क़ुरआन 38:15)। इसके बाद दूसरा तुरही फूंकी जाएगी। अल्लाह कहता है कि हर कोई जो कभी जीवित था, वह खुद को खड़ा, घूरता हुआ और इन घटनाओं से स्तब्ध पाएगा।
“तथा तुरही फूंका जायेगा, तो निश्चेत होकर गिर जायेंगे, जो आकाशों तथा धरती में हैं। परन्तु जिसे अल्लाह चाहे, फिर उसे पुनः फूंका जायेगा, तो सहसा सब खड़े देख रहे होंगे।” (क़ुरआन 39:68)
स्थिति
तुरही फूंकी जाएगी, पृय्वी धूल मे मिल जाएगी और मरे हुए जी उठेंगे। हड्डियां और शरीर के अंग आपस में जुड़ जायेंगे, दिमाग काम करने लगेगा। वास्तव में मानवजाति अल्लाह की ओर लौटेगी। सभी मानवजाति मर चुकी होगी, वे जो तुरही बजने से पहले मरे थे और वे जो पृथ्वी को समतल करने वाली प्रलयकारी घटना में मरे थे। न्याय का दिन शुरू होगा। लोग समूहों में खड़े होकर आगे देखेंगे।
“प्रत्येक प्राणी मौत का स्वाद चखने वाला है, फिर तुम हमारी ही ओर फेरे जाओगे।” (क़ुरआन 29:57)
“ क्या मनुष्य समझता है कि हम एकत्र नहीं कर सकेंगे दोबारा उसकी अस्थियों को? क्यों नहीं? हम सामर्थ्वान हैं इस बात पर कि सीधी कर दें, उसकी उंगलियों की पोर-पोर।” (क़ुरआन 75:3-4)
एक बार जब दोबारा जीवित होने का प्रारंभिक आघात कम होने लगेगा, तो स्थिति की वास्तविकता सामने आने लगेगी। भौतिक दुनिया का पर्दा हटा दिया जायेगा। हमने जो कर्म किए थे वे हमे दिखाया जायेगा। "तो जिसने एक कण के बराबर भी पुण्य किया होगा, उसे देख लेगा। और जिसने एक कण के बराबर भी बुरा किया होगा, उसे देख लेगा” (क़ुरआन 99:7-8)। अल्लाह का एक और वादा पूरा हो जायेगा। कुछ लोग अपनी स्थिति से खुश होंगे, तो कुछ लोग डर से कांपने लगेंगे।
व्यक्ति के कर्म उसकी स्थिति की लंबाई निर्धारित करेंगे लेकिन प्रतीक्षा करने वाले सभी लोग नंगे पांव, नग्न और खतनारहित होंगे। हदीस हमें बताती है कि डर और घबराहट में यह खड़ा होना 50,000 साल[1] तक का हो सकता है, लेकिन एक धर्मी व्यक्ति के लिए यह समय उतना ही होगा जितना कि दो रकात नमाज़ पढ़ने में लगता है। इंतज़ार कर रहे लोग डर जाएंगे, उनके दिल उनके सीने और कानों में ढोल की तरह धड़क रहे होंगे। वे ऐसे भागेंगे मानो नशे की हालत में हों और अपने सिवा किसी और की परवाह न करेंगे। लोग माता-पिता, जीवनसाथी और बच्चों को भूल जायेंगे। डर के मारे वे अपनी स्थिति पर सवाल उठाने लगेंगे।
“वह कहेगाः मेरे पालनहार! मुझे अन्धा क्यों उठाया, मैं तो (संसार में) आंखो वाला था? अल्लाह कहेगाः इसी प्रकार, तेरे पास हमारी आयतें आयीं, तो तूने उन्हें भुला दिया। अतः इसी प्रकार, आज तू भुला दिया जायेगा।’” (क़ुरआन 20:125-126)
पैगंबर मुहम्मद ने हमें बताया है कि प्रलय के दिन सूर्य को मानवजाति के नजदीक लाया जाएगा। सूरज केवल एक मील दूर होगा और लोगों को उनके कर्मों के स्तर के अनुसार पसीना आएगा[2]। कुछ लोगों को डरने की ज़रूरत नहीं होगी, उन्हें अल्लाह छाया मे रखेगा। उस दिन जब कहीं छाया नहीं होगी, सिर्फ सात प्रकार के लोगों के लिए उस दिन छाया की जाएगी। वे हैं, एक न्यायप्रिय सरदार, वह व्यक्ति जिसका दिल मस्जिद से जुड़ा हुआ था, वह व्यक्ति जो अल्लाह की आज्ञा मानने के लिए उठाया गया है, दो लोग जो एक दूसरे से केवल अल्लाह के लिए प्यार करते थे, वह व्यक्ति जो अल्लाह को यद् करता था और रोता था, वह व्यक्ति जिसने गुप्त रूप से दान दिया और वह व्यक्ति जो विपरीत लिंग के साथ पाप करने के लिए प्रलोभित था, लेकिन उसने यह कहते हुए विरोध किया कि वे अल्लाह से डरता है।[3]
लोग खड़े होंगे, वहां एक बड़े खुले सतह पर, और वे कहेंगे। "हमारा न्याय करने के लिए अल्लाह कहां है?”
इसके अलावा आप यहां उपलब्ध लाइव चैट के माध्यम से भी पूछ सकते हैं।
- इस्लाम में परवरिश (2 का भाग 1)
- इस्लाम मे परवरिश (2 का भाग 2)
- इस्लाम में बड़े पाप (2 का भाग 1): बड़ा पाप क्या होता है?
- इस्लाम में बड़े पाप (2 का भाग 2): बड़े पाप और इनसे पश्चाताप करने का तरीका
- तीर्थयात्रा (हज) (3 का भाग 1)
- तीर्थयात्रा (हज) (3 का भाग 2)
- तीर्थयात्रा (हज) (3 का भाग 3)
- सही मार्गदर्शित खलीफा: अबू बक्र (2 का भाग 1)
- सही मार्गदर्शित खलीफा: अबू बक्र (2 का भाग 2)
- सही मार्गदर्शित खलीफा: उमर इब्न अल-खत्ताब (2 का भाग 1)
- सही मार्गदर्शित खलीफा: उमर इब्न अल-खत्ताब (2 का भाग 2)
- सही मार्गदर्शित खलीफा: उस्मान इब्न अफ्फान (2 का भाग 1)
- सही मार्गदर्शित खलीफा: उस्मान इब्न अफ्फान (2 का भाग 2)
- सही मार्गदर्शित खलीफा: अली इब्न अबी तालिब (2 का भाग 1)
- सही मार्गदर्शित खलीफा: अली इब्न अबी तालिब (2 का भाग 2)
- न्याय के दिन की घटनाएं (3 का भाग 1): दिन शुरू होगा
- न्याय के दिन की घटनाएं (3 का भाग 2): न्याय से पहले
- न्याय के दिन की घटनाएं (3 का भाग 3): न्याय शुरू होगा
- इस्लाम में ब्याज (2 का भाग 1)
- इस्लाम में ब्याज (2 का भाग 2)
- सूरह अल-अस्र की व्याख्या
- कब्र में प्रश्न (2 का भाग 1): मृत्यु अंत नहीं है
- कब्र में प्रश्न (2 का भाग 2): न्याय के दिन तक आपका ठिकाना
- तकवा के फल (2 का भाग 1)
- तकवा के फल (2 का भाग 2)
- सूरह अल-इखलास की व्याख्या
- इस्लाम में पड़ोसियों के अधिकार (2 का भाग 1): पड़ोसियों के साथ दयालु व्यवहार
- इस्लाम में पड़ोसियों के अधिकार (2 का भाग 2): पड़ोसी - अच्छा और बुरा
- जब कोई छाया न होगी तो इन लोगो को छाया में रखा जायेगा (2 का भाग 1): अल्लाह की दया प्रकट होगी
- जब कोई छाया न होगी तो इन लोगो को छाया में रखा जायेगा (2 का भाग 2): छाया मे रहने का प्रयास