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इस्तिखारा प्रार्थना

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विवरण: इस्तिखारा प्रार्थना और इसे करना क्यों एक अनुशंसित कार्य है, इसकी एक संक्षिप्त व्याख्या।

द्वारा Aisha Stacey (© 2012 NewMuslims.com)

प्रकाशित हुआ 08 Nov 2022 - अंतिम बार संशोधित 07 Nov 2022

प्रिंट किया गया: 18 - ईमेल भेजा गया: 0 - देखा गया: 1,542 (दैनिक औसत: 4)


उद्देश्य

·इस्तिखारा प्रार्थना की परिभाषा और महत्व दोनों को समझना।

·यह जानना कि इस्तिखारा की प्रार्थना कब और कैसे करनी है।

अरबी शब्द

·सुन्नत - अध्ययन के क्षेत्र के आधार पर सुन्नत शब्द के कई अर्थ हैं, हालांकि आम तौर पर इसका अर्थ है जो कुछ भी पैगंबर ने कहा, किया या करने को कहा।

·दुआ - याचना, प्रार्थना, अल्लाह से कुछ मांगना।

·हज - मक्का की तीर्थयात्रा, जहां तीर्थयात्री कुछ अनुष्ठानों की एक श्रृंखला का पालन करते हैं। हज इस्लाम के पांच स्तंभों में से एक है, जिसे हर वयस्क मुसलमान को अपने जीवन में कम से कम एक बार अवश्य करना चाहिए यदि वे इसे वहन कर सकते हैं और शारीरिक रूप से सक्षम हैं।

·तसलीम - शांति का सलाम जो प्रार्थना के आखिर मे करा जाता है।

·हलाल - जिसकी अनुमति है।

इस्तिखारा क्या है?

Istikhara.jpgइस्तिखारा गैर-अनिवार्य प्रार्थना की एक दुआ है; यह एक स्वैच्छिक प्रार्थना है जिसे पैगंबर मोहम्मद ने उस व्यक्ति को करने की सलाह दी जो कुछ करना चाहता है लेकिन करने में झिझक रहा है। यह सही निर्णय लेने के लिए मार्गदर्शन मांगना है। यह बताया गया है कि पैगंबर मुहम्मद अपने साथियों को इस्तिखारा करना वैसे ही सिखाते थे जैसे वह उन्हें क़ुरआन के छंद सिखाते थे। व्यक्ति को दो रकात गैर-अनिवार्य (स्वैच्छिक) नमाज की दो इकाइ पढ़ना चाहिए और फिर इस्तिखारा की दुआ पढ़नी चाहिए।

इस्तिखारा की दुआ

Allahumma innee astakheeru-ka bi-’ilmik wa astaqdiru-ka bi-qudratik wa as-alu-ka min fadlikal-‘azeem fa-inna-ka taqdiru wa laa aqdir wa ta’lamu wa laa a’lam wa Anta ‘Allamul-ghuyoob. Allahumma in kunta ta’lamu anna hadhal-amr khairul-lee fee deenee wa ma’aashee wa ‘aaqibati amree faqdur-hu lee wa yassir-hu lee thumma baarik lee feeh. wa in kunta ta’lamu anna hadhal-amra sharrul-lee fee deenee wa ma’aashee wa ‘aaqibati amree fasrifhu ‘annee wasrifnee ‘anh waqdur liyal-khayra haythu kaan thumma ardhinee bih.अल्लाहुम्मा इन्नी अस्तखीरुका बी-इलमीका व असतक्दीरुका बी- क़ुदरतिका व अस अलुका मीन फ़ज़्लिका अल-अज़ीम फ- इन्नका तक़्दीरु व ला अक्दिर व ता-लामु व ला आ-लमु व अंता अल्लमुल-गुयुब। अल्लाहुम्मा इन कुंता ता-लमू अन्ना हाज़ल अम्र खैरुल-ली फि-दिनी व मा अशी व आक़िबति अमरि फ़क़दिरहु ली व यस्सीर-हु सुम्मा बारिक-ली फ़िह व इन कुंता ता-लमु अन्ना हाज़ल अमरा शर्रु-ली फि-दिनी व मा अशी व-आक़िबति अमरि फ़सफिर-हु अन्नी वस्-फिरनी अन्हु-वक्दिर लिअल-खैरा हैसु का-न-सुम्मा अर्ज़िनी बिह

ऐ अल्लाह, मैं आपके बेइंतिहा इल्म के जरिए बेहतरी मांगता हूं, और मैं आपसे आपकी कुदरत के जरिए से शक्ति मांगता हूं, और मैं आपकी असीम कृपा मांगता हूं। क्योंकि आप पूरी तरह काबील हैं, जबकि मैं नहीं। आप सब कुछ जानते हैं, और मैं नहीं, और आप सब कुछ जानते हैं जो अनदेखी है।

ऐ अल्लाह, अगर आप जानते हैं कि यह फैसला [फैसले का इजहार करें] मेरे धर्म, मेरी दुनिया और परलोक के नतीजे के लिए अच्छा है, तो इसे पूरा करें, इसे मेरे लिए आसान करें और मेरा इसके जरिए भला करें।

लेकिन अगर आप जानते हैं कि मेरे धर्म, मेरी दुनिया और परलोक के नतीजे पर इसका बुरा असर है, तो इस फैसले को मूझसे फिरा दीजिये और मुझे इससे दूर कर दीजिये, और इसके बजाय मूझे कूछ बेहतर दीजिये, वो चाहे जो भी हो, उसके जरिए मूझे संतुष्टि दीजिये।”

इस्तिखारा की दुआ कब पढ़ें

तस्लीम से पहले या बाद में इस्तिखारा की दुआ पढ़ने की अनुमति है। कुछ विद्वान तस्लीम से पहले करने की सलाह देते हैं, क्योंकि पैगंबर मुहम्मद खुद तस्लीम से पहले बहुत सी दुआ करते थे।

इस्तिखारा की प्रार्थना कब करें

इस्लामी विद्वान इस बात से सहमत हैं कि इस्तिखारा तब करना चाहिए जब कोई व्यक्ति सही निर्णय लेने मे झिझक रहा हो। अगर कोई इस बारे में अनिश्चित है कि उसके संभावित कार्यों से इस दुनिया और परलोक दोनों में अच्छा होगा या नहीं। यदि कोई व्यक्ति झिझक रहा है, यह नहीं जानता कि क्या "यह" करना सही है, तो इस्तिखारा वह दुआ है जो उसके दिमाग को शांत कर सकती है। यह वो दुआ है जो अल्लाह को इस दुनिया में एकमात्र ताकत और एकमात्र शक्ति के रूप में स्वीकार करती है। उनका मार्गदर्शन यह सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है कि मनुष्य सीधे और सही मार्ग का अनुसरण करें जो एक आनंदमय जीवन की ओर ले जाता है। उदाहरण के लिए, यदि कोई व्यक्ति चाहता है कुछ करने का सही समय पता करें, जैसे कि इस साल स्वैच्छिक हज करना है या नहीं, या किसी विशेष व्यक्ति को शादी का प्रस्ताव देना है, तो यह स्वीकार्य है और सलाह दी जाती है कि वह इस्तिखारा की प्रार्थना करे। ध्यान से समझें कि इस्तिखारा उन मामलों के लिए है जिन्हें या तो अनुशंसित माना जाता है या करने की अनुमति है। यह उन मामलों के लिए है जिनमें झिझक होती है, जैसे क्या मुझे यह दान देना चाहिए या अन्य? क्या मुझे इस हलाल नौकरी के लिए आवेदन करना चाहिए या किसी अन्य के लिए? व्यक्ति को इस्तिखारा प्रार्थना उस चीज़ के बारे में करनी चाहिए जिसके बारे में वह सोचता है कि यह इससे बेहतर हो सकता है और फिर उसे इस्तिखारा प्रार्थना करना चाहिए।

इस्तिखारा की प्रार्थना उन मामलों के लिए नहीं करना चाहिए जिन्हें पूजा के अनिवार्य कार्य माना जाता है, या पापों और बुरे कार्यों से दूर रहने के लिए।

इस्तिखारा की प्रार्थना करने से पहले किसी ऐसे व्यक्ति से परामर्श लेने की सलाह दी जाती है जिसे आप जानते हैं कि वह ईमानदार, परवाह करने वाला है और उसके पास अनुभव है, और जो अपनी धार्मिक प्रतिबद्धता और ज्ञान के संबंध में भरोसेमंद है।

साधारण गलती

·यह मानना कि इस्तिखारा प्रार्थना करने की एक निश्चित संख्या है।

इस्तिखारा की प्रार्थना के लिए कोई समय निर्धारित नहीं है और इसे एक से अधिक बार दोहराने की अनुमति है।

·यह विश्वास करना कि एक सपना आएगा।

कुछ लोगों का मानना ​​है कि इस्तिखारा की प्रार्थना के बाद उन्हें कोई सपना आएगा या सुकून का अनुभव होगा। यह सही नहीं है। ऐसी बातो के बिना भी, यदि कोई व्यक्ति निर्णय लेता है तो इस्तिखारा की ईमानदार दुआ के कारण यह आशा की जानी चाहिए कि यह उसके लिए सबसे अच्छा निर्णय है।

·यह मानना कि दुआ का जवाब नहीं दिया गया।

यदि कोई व्यक्ति इस्तिखारा की प्रार्थना करने के बाद लिए गए निर्णय में सफल नहीं होता है, तो इसका मतलब यह नहीं है कि दुआ ने वह नहीं किया जो सबसे अच्छा था। अक्सर ऐसा होता है कि अल्लाह जानता है कि सबसे अच्छा क्या है जबकि हम इंसान नहीं जानते। यदि हम दुआ के शब्दों पर विशेष ध्यान दें तो हम देखेंगे कि हम न केवल अल्लाह से सबसे अच्छा मांग रहे हैं, बल्कि उस चीज़ को हमसे दूर करने के लिए भी कह रहे हैं जिसका इस जीवन में या परलोक मे हमारे लिए कोई लाभ नहीं है।

इस्तिखारा की प्रार्थना के बाद अगर अल्लाह आपके लिए चीजों को आसान बना देता है तो यह इस बात का संकेत है कि आपने जो फैसला लिया है वह आपके लिए अच्छा है और अगर रास्ते में बाधाएं आती हैं और चीजें मुश्किल हो जाती हैं तो यह इस बात का संकेत है कि अल्लाह आपको एक बुरे फैसले से दूर कर रहा है।

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