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शुक्रवार की नमाज़ (2 का भाग 2)
विवरण: शुक्रवार की नमाज - मुसलमानों के लिए सबसे महत्वपूर्ण साप्ताहिक प्रार्थना - के बारे में एक मुसलमान को क्या-क्या जानने की जरूरत है।
द्वारा Imam Mufti (© 2012 NewMuslims.com)
प्रकाशित हुआ 08 Nov 2022 - अंतिम बार संशोधित 07 Nov 2022
प्रिंट किया गया: 7 - ईमेल भेजा गया: 0 - देखा गया: 544 (दैनिक औसत: 2)श्रेणी: पाठ > पूजा के कार्य > प्रार्थना
उद्देश्य:
· शुक्रवार के दिन के दस शिष्टाचार और कर्तव्य सीखना।
अरबी शब्द:
· सलात उल जुमा - शुक्रवार की नमाज।
· ज़ुहर - दोपहर की नमाज़।
· ख़ुतबा - प्रवचन।
· रकात - प्रार्थना की इकाई।
· इमाम - नमाज़ पढ़ाने वाला।
· अज़ान - मुसलमानों को पांच अनिवार्य प्रार्थनाओं के लिए बुलाने का एक इस्लामी तरीका।
शुक्रवार के दिन के शिष्टाचार और कर्तव्य
1. साफ कपड़े पहनना और अच्छा महकना
पैगंबर मुहम्मद ने कहा, "हर मुसलमान को शुक्रवार के दिन अनुष्ठान स्नान (ग़ुस्ल) करना चाहिए और अपने सबसे अच्छे कपड़े पहनना चाहिए, और अगर उसके पास इत्र है तो लगाना चाहिए।”[1]
2. पैगंबर पर आशीर्वाद भेजना
शुक्रवार के दिन पैगंबर मुहम्मद पर शांति और आशीर्वाद भेजने की अत्यधिक सलाह दी जाती है क्योंकि पैगंबर ने कहा, "मुझ पर शुक्रवार और इससे पहले की रात मे बार-बार आशीर्वाद भेजें; क्योंकि जो कोई ऐसा करेगा, मैं न्याय के दिन उसका साक्षी बनूंगा और उसकी सिफारिश करूंगा।”[2]
यह सिर्फ इन शब्दों को कहने और दोहराने से कर सकते हैं, "अल्लाहुम्मा सल्लि व सल्लिम 'अला मुहम्मद।" इन सरल शब्दों को शुक्रवार के दिन किसी भी समय दोहराने से पैगंबर मुहम्मद को बहुत आशीर्वाद मिलता है जैसा कि ऊपर बताया गया है।
3. अधिक प्रार्थना करें
मुसलमान को चाहिए कि वह शुक्रवार के दिन अल्लाह से अधिक से अधिक प्रार्थना करे क्योंकि शुक्रवार के दिन एक ऐसा समय होता है जब अल्लाह प्रार्थनाओ का जवाब देता है और जो कुछ भी अच्छा मांगा जाता है वह देता है। पैगंबर ने कहा, "शुक्रवार के दिन एक ऐसा समय होता है जिसमें कोई मुसलमान कुछ भी अच्छा मांगता है, तो अल्लाह उसे देता है।”[3]
कोई अपनी इच्छानुसार किसी भी भाषा में प्रार्थना कर सकता है। प्रार्थना के शिष्टाचार को पिछले पाठों में बताया गया है।
4. मस्जिद में जल्दी पहुंचें
पैगंबर मुहम्मद ने कहा, "जो कोई शुक्रवार को अशुद्धता जैसे यौन अशुद्धता से खुद को शुद्ध करने के लिए अनुष्ठान स्नान (ग़ुस्ल) करता है, और फिर सबसे पहले मस्जिद मे प्रवेश करता है, तो वह उसके समान है जिसने ऊंट की बलि दी है; उसके बाद जो प्रवेश करता है, तो वह उसके समान है जिसने गाय की बलि दी है; जो उसके बाद प्रवेश करता है वह उस के समान है जिसने सींग वाले मेढ़े की बलि दी है; उसके बाद जो आता है वह उस के समान है जिसने मुर्गे की बलि दी है; उसके बाद जो प्रवेश करता है वह उस के समान है जिसने अंडा की बलि दी है। जब इमाम आते हैं, तो स्वर्गदूत प्रवचन (अर्थात खुतबा) सुनने के लिए मस्जिद मे चले जाते हैं।”[4]
यदि कोई व्यक्ति देर से आता है, तो उसे पहले से आगे की पंक्तियों में बैठे लोगों के ऊपर से नहीं जाना चाहिए, और न ही एक साथ बैठे दो लोगों को अलग करना चाहिए। उसे किसी अन्य व्यक्ति को हटा के उसकी जगह पर भी नही बैठना चाहिए। मुसलमान को नमाज़ पढ़ने वाले के सामने से नहीं गुजरना चाहिए।
5. इमाम के करीब बैठना
व्यक्ति को जल्दी आने की कोशिश करनी चाहिए और प्रवचन देने वाले इमाम के पास बैठना चाहिए। इमाम के करीब बैठना पीछे की पंक्तियों में पीछे बैठने या दीवार के बगल में तक लगा के बैठने से बेहतर है। अगर किसी नए मुसलमान को आधे घंटे तक फर्श पर बैठना मुश्किल लगता है, तो उसे जहां भी आराम मिले वहां बैठ सकता है, लेकिन उसे इमाम के करीब बैठने की आदत डालने की कोशिश करनी चाहिए।
6. खुतबाह के दौरान बात न करें
इसके अलावा मुसलमान को ख़ुतबा को ध्यान से सुनना चाहिए और उसके दौरान बात नहीं करनी चाहिए, भले ही ख़ुतबा अरबी में क्यों न हो। शुक्रवार की नमाज के दौरान बात करना एक गंभीर मामला है। पैगंबर मुहम्मद ने कहा, "शुक्रवार को जब इमाम ख़ुतबा पढ़ रहे हों और यदि आप अपने दोस्त को 'चुप रहने' के लिए भी कहते हो तो आपने गलत किया किया है।”[5]
एक अन्य कथन में, पैगंबर ने कहा, "... जो भी बात करता है माना जाता है कि उसने शुक्रवार की नमाज में भाग नहीं लिया है!”[6]
7. मस्जिद में प्रवेश करने पर बैठने से पहले दो रकात नमाज पढ़ें
यदि आप मस्जिद में जल्दी जाते हैं, तो आपको बैठने से पहले दो रकात नमाज़ पढ़नी चाहिए। यदि आप इमाम के प्रवचन के दौरान जाते हैं, तब भी आपको दो रकात नमाज़ पढ़नी चाहिए, लेकिन इसे जल्दी पढ़ें। पैगंबर ने कहा, "यदि आप में से कोई भी शुक्रवार को मस्जिद में प्रवेश करता है, जबकि इमाम खुतबा दे रहे हैं, तो उसे दो रकात नमाज़ पढ़ना चाहिए और जल्दी पढ़ना चाहिए।”[7]
8. अज़ान हो जाने के बाद न खरीदें और न ही बेचें
यह निषेध क़ुरआन पर आधारित है,
“... जब अज़ान दी जाये नमाज़ के लिए जुमा के दिन, तो दौड़ जाओ अल्लाह की याद की ओर तथा त्याग दो क्रय-विक्रय।...” (क़ुरआन 62:9)
9. शुक्रवार की दो रकात नमाज़ इमाम के पीछे प्रवचन के बाद पढ़ी जाती है। जो कोई इसे छोड़ देता है उसे नियमित जुहर की चार रकात नमाज़ पढ़नी चाहिए।
10. शुक्रवार की नमाज़ के बाद आप दो या चार रकात सुन्नत (अनुशंसित) नमाज़ पढ़ सकते हैं।
सलात उल-जुमा के समय छुट्टी के लिए नियोक्ता से बात करना
अनगिनत मुसलमान शुक्रवार की नमाज़ में शामिल होने के लिए अपने व्यवसायों, स्कूलों और कार्यो से समय निकालते हैं। शुक्रवार की नमाज़ एक धार्मिक दायित्व है और एक नए मुसलमान को इसमें भाग लेने के लिए अपने स्कूल या नियोक्ता के साथ समय निकालने की व्यवस्था करनी चाहिए। आप सप्ताह के दौरान अतिरिक्त काम करके या शुक्रवार को देर तक काम करके अपने समय को पूरा कर सकते हैं।[8]
फुटनोट:
[1] सहीह अल-बुखारी, सहीह मुस्लिम
[2] बैहाकी
[3] सहीह मुस्लिम
[4] मुवत्ता
[5] सहीह मुस्लिम
[6] अबू दाऊद
[7] सहीह मुस्लिम
[8] अधिक जानकारी या सहायता के लिए निम्नलिखित संगठनों से संपर्क करें:
(www.cair.com)
(www.caircan.ca)
(www.amcran.org)
यदि इसमें आपका देश नही है, तो आप सहायता और मार्गदर्शन के लिए अपने देश में किसी मुस्लिम नागरिक अधिकार संगठन से संपर्क कर सकते हैं।
अगला पाठ:
पैगंबर इब्राहिम के जीवन की झलकियां
पिछला पाठ:
शुक्रवार की नमाज़ (2 का भाग 1)
इसके अलावा आप यहां उपलब्ध लाइव चैट के माध्यम से भी पूछ सकते हैं।
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