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पैगंबर मुहम्मद के चमत्कार (2 का भाग 2)

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विवरण: ये दो पाठ चमत्कारों की प्रकृति और पैगंबर मुहम्मद द्वारा किए गए कुछ चमत्कारों की व्याख्या करेंगे।

द्वारा Imam Mufti (© 2016 NewMuslims.com)

प्रकाशित हुआ 08 Nov 2022 - अंतिम बार संशोधित 07 Nov 2022

प्रिंट किया गया: 23 - ईमेल भेजा गया: 0 - देखा गया: 1,485 (दैनिक औसत: 3)


उद्देश्य

·पैगंबर मुहम्मद के 8 विभिन्न प्रकार के पुष्ट चमत्कारों के बारे में जानना।

पैगंबर मुहम्मद (उन पर अल्लाह की दया और आशीर्वाद हो) को दिए गए सबसे बड़े चमत्कार क़ुरआन के अलावा, उन्होंने सैकड़ों और कुछ मामलों मे हजारों की संख्या मे चमत्कार किए जिनके गवाह उनके समकालीन थे।

इस खंड में हम पैगंबर मुहम्मद द्वारा किए गए कुछ चमत्कारों पर चर्चा करेंगे।

चांद को दो भागो मे बांटना

Miracles-of-Prophet-Muhammad-Part-2.jpgजब मक्का के लोगो ने पैगंबर मुहम्मद से उनकी सच्चाई को सिद्ध करने लिए चमत्कार दिखाने की मांग की, तो अल्लाह ने पैगंबर के हाथों चमत्कार करवाया। अल्लाह ने चांद को दो अलग-अलग हिस्सों में बांट दिया और फिर उन्हें जोड़ दिया। क़ुरआन मे इस घटना का वर्णन है:

“समीप आ गयी प्रलय तथा दो खण्ड हो गया चांद। और यदि वे देखते हैं कोई निशानी, तो मूंह फेर लेते हैं और कहते हैं: ये तो जादू है, जो होता रहा है। और उन्होंने झुठलाया और अनुसरण किया अपनी आकांक्षाओं का और प्रत्येक कार्य का एक निश्चित समय है।” (क़ुरआन 54:1-3)

रात की यात्रा और आसमान पर जाना

मक्का से मदीना प्रवास से कुछ महीने पहले, अल्लाह पैगंबर मुहम्मद को एक रात मे मक्का की बड़ी मस्जिद से यरूशलेम मे अल-अक्सा मस्जिद तक ले गए, ये यात्रा किसी कारवां के लिए 1230 किमी और एक महीने की थी। यरुशलम से, भौतिक ब्रह्मांड की सीमाओं को पार करते हुए, ईश्वर की उपस्थिति में वह आसमान पर गए, अल्लाह से मिलने और महान निशानियों (अल-आयत उल-कुबरा) को देखने के लिए। उनकी सच्चाई दो तरह से सामने आई।

पहला, घर वापस जाते वक्त पैगंबर ने रास्ते मे अपने पीछे छोड़ आये कारवां का वर्णन किया और बताया कि वे कहां थे और वे कब तक मक्का पहुंच सकते हैं; और प्रत्येक कारवां भविष्यवाणी के अनुसार समय पर पहुंचा, और विवरण वैसा ही था जैसा उन्होंने बताया था।

दूसरा, वह पहले कभी यरुशलम नही गए थे, फिर भी उन्होंने संशयवादियों को अल-अक्सा मस्जिद के बारे मे एक चश्मदीद गवाह की तरह बताया।

इस यात्रा का उल्लेख क़ुरआन मे है:

“पवित्र है वह जिसने रात्रि के कुछ क्षण में अपने भक्त को मस्जिदे ह़राम (मक्का) से मस्जिदे अक़्सा तक यात्रा कराई। जिसके चतुर्दिग हमने सम्पन्नता रखी है, ताकि उसे अपनी कुछ निशानियों का दर्शन कराए। वास्तव में, वह सब कुछ सुनने-जानने वाला है।” (क़ुरआन 17:1)

“तो क्या तुम उनसे झगड़ते हो उसपर, जिसे वे (आंखो से) देखते हैं? निःसंदेह, उन्होंने उसे एक बार और भी उतरते देखा। सिद्-रतुल मुन्तहा के पास। जिसके पास जन्नतुल मावा है। जब सिद्-रह पर छा रहा था, जो कुछ छा रहा था। न तो निगाह चुंधियाई और न सीमा से आगे हुई। निश्चय आपने अपने पालनहार की बड़ी निशानियां देखीं।” (क़ुरआन 53:12-18)

पेड़ का तना

मदीना मे, पैगंबर मुहम्मद एक पेड़ के तने पर झुक कर उपदेश देते थे। जब उपासकों की संख्या में वृद्धि हुई, तो किसी ने सुझाव दिया कि एक मंच बनाया जाए ताकि वह इसका उपयोग उपदेश देने के लिए कर सके। जब मंच का निर्माण हुआ, तो पैगंबर ने पेड़ के तने को छोड़ दिया। उनके साथियों में से एक अब्दुल्लाह इब्न उमर ने जो कुछ हुआ उसके बारे मे बताया। तने को रोते हुए सुना गया, दया के पैगंबर उसकी ओर गए और अपने हाथ से उसे दिलासा दिया[1]

पानी का बहना

एक से अधिक अवसरों पर जब लोगों को पानी की सख्त जरूरत थी, पैगंबर के आशीर्वाद ने उन्हें बचा लिया। मक्का से मदीना प्रवास के छठे वर्ष में, पैगंबर तीर्थयात्रा के लिए मक्का गए। रेगिस्तान की लंबी यात्रा में, लोगों का सारा पानी खत्म हो गया, केवल पैगंबर के पास एक पानी का बर्तन बचा था जिससे उन्होंने नमाज के लिए वुज़ू किया। उन्होंने बर्तन में हाथ रखा, और उनकी अंगुलियों के बीच से पानी बहने लगा। यह चमत्कार देखने वाले पंद्रह सौ पुरुषों मे से जाबिर इब्न अब्दुल्ला ने बताया, 'हमने इससे पिया और वुज़ू किया।’[2]

भोजन का आशीर्वाद

एक से अधिक अवसरों पर, पैगंबर ने प्रार्थना करके या स्पर्श करके भोजन को आशीर्वाद दिया ताकि सभी उपस्थित लोगों अपना पेट भर सके। यह उस समय हुआ जब भोजन और पानी की कमी के कारण मुसलमान पीड़ित थे (बुखारी)। ये चमत्कार बड़ी संख्या में लोगों की उपस्थिति में हुए और इस प्रकार इनका इनकार करना संभव नहीं है।

बीमारों को ठीक करना

अब्दुल्ला इब्न अतीक ने अपना पैर तोड़ लिया था और पैगंबर मुहम्मद ने उस पर अपना हाथ फेरकर उसे ठीक कर दिया। अब्दुल्ला ने कहा कि यह ऐसा था जैसे कुछ हुआ ही न हो! यह चमत्कार देखने वाले एक अन्य साथी बारा इब्न आज़िब थे।[3]

खैबर के अभियान के दौरान, पैगंबर मुहम्मद ने पूरी सेना के सामने अली इब्न अबी तालिब की आंखों के दर्द को ठीक किया था। अली कई साल बाद मुसलमानों के चौथे खलीफा बने (बुखारी, मुस्लिम)।

शैतानों को भगाना

एक मां अपने लड़के को पैगंबर मुहम्मद के पास लाई और पैगंबर ने 'बाहर आओ! मैं अल्लाह का दूत मुहम्मद हूं!' कहते हुए उस लड़के मे से शैतान को बाहर निकाला। औरत ने कहा, 'जिसने आपको सच्चाई के साथ भेजा है उसकी कसम, उसके बाद से कभी मैंने उस लड़के के साथ कुछ भी गलत होते नहीं देखा।' (मुसनद)

दुआओं का पूरा होना

(1) पैगंबर मुहम्मद के एक करीबी साथी अबू हुरैरा की मां इस्लाम और उसके पैगंबर के बारे में बुरा बोलती थीं। एक दिन, अबू हुरैरा रोते हुए पैगंबर मुहम्मद के पास आये और उनसे अपनी मां के उद्धार के लिए दुआ करने को कहा। पैगंबर मुहम्मद ने दुआ की और जब अबू हुरैरा घर लौटे तो उन्होंने देखा की उनकी मां इस्लाम स्वीकार करने के लिए तैयार है। उसने अपने बेटे के सामने आस्था की गवाही दी और इस्लाम में प्रवेश किया। (मुस्लिम)

(2) जरीर इब्न अब्दुल्ला को पैगंबर ने अल्लाह के अलावा मूर्ति की पूजा करने वाले राज्य को छोड़ने को कहा, लेकिन जरीर ने बोला कि वह अच्छी तरह से घोड़े की सवारी नहीं कर सकता! पैगंबर ने उसके लिए दुआ की, 'ऐ अल्लाह, उसे एक मजबूत घुड़सवार बना दो और उसे मार्गदर्शित और मार्गदर्शन करने वाला बना दो।' जरीर ने बताया कि पैगंबर द्वारा उनके लिए दुआ करने के बाद वह अपने घोड़े से कभी नहीं गिरे।[4]



फुटनोट:

[1] सहीह अल-बुखारी

[2] सहीह अल-बुखारी

[3] सहीह अल-बुखारी

[4] सहीह मुस्लिम

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